लालू ने बचायी नीतीश की इज्जत! कोई भाव नहीं दे रहे थे विपक्षी पार्टियों के नेता, लालू के फोन के बाद मुलाकात को राजी हुए

लालू ने बचायी नीतीश की इज्जत! कोई भाव नहीं दे रहे थे विपक्षी पार्टियों के नेता, लालू के फोन के बाद मुलाकात को राजी हुए

PATNA: देश में भाजपा विरोधी पार्टियों को एकजुट करने निकले नीतीश कुमार की इज्जत दांव पर लग गयी थी. जो खबर आ रही है कि वो ये है कि देश का कोई प्रमुख विपक्षी नेता नीतीश कुमार से मुलाकात तक को राजी नहीं था. लेकिन लालू प्रसाद यादव ने नीतीश की इज्जत बचा ली. लालू ने कल से लेकर आज तक देश भर के विपक्षी नेताओं को कॉल किया. तब जाकर विपक्ष के कुछ नेता नीतीश कुमार से मिलने को राजी हुए हैं.


नीतीश का नोटिस नहीं

नीतीश आज यानि 5 सितंबर को दिल्ली पहुंच गये हैं. कल उनकी पार्टी के प्रधान महासचिव केसी त्यागी जब मीडिया से बात कर रहे थे तो पत्रकारों ने बार-बार ये पूछा कि तीन दिनों के लिए दिल्ली जा रहे नीतीश कुमार विपक्ष के किन प्रमुख नेताओं से मुलाकात और बात करेंगे. केसी त्यागी के पास कोई जवाब नहीं था. वे कुल मिलाकर सिर्फ एक नेता का नाम ले पाये. त्यागी ने कहा कि नीतीश कुमार कांग्रेस के नेता राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे. इसके अलावा वे किसी दूसरे नेता का नाम नहीं बता पाये जिससे नीतीश कुमार की मुलाकात फिक्स थी.


वैसे मीडिया यही सवाल नीतीश कुमार से भी पूछ रही थी. नीतीश भी सिर्फ इतना बता पा रहे थे कि वे राष्ट्रपति औऱ उप राष्ट्रपति से मिलेंगे. इसके साथ ही राहुल गांधी से भी मुलाकात होनी है. नीतीश कुमार भी इसके अलावा किसी और नेता का नाम नहीं ले पा रहे थे.


जेडीयू के नेता ने बताया कि नीतीश कुमार का दिल्ली दौरा एक सप्ताह पहले ही फिक्स हो चुका था. इस बीच बिहार के मुख्यमंत्री आवास से देश की कई विपक्षी पार्टियों के नेताओं के पास फोन गये. नीतीश कुमार ने खुद उनसे बात की औऱ मिलने की इच्छा जतायी लेकिन किसी नेता की ओऱ से सकारात्मक जवाब नहीं मिला. जेडीयू नेता ने बताया कि एक दफे तो दिल्ली दौरा टालने पर भी विचार हुआ लेकिन चूंकि राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति से टाइम लिया जा चुका था लिहाजा नीतीश का दिल्ली जाना जरूरी हो गया था.


लालू ने बचायी इज्जत

लालू परिवार के एक करीबी राजद नेता ने बताया कि दिल्ली में विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मुलाकात के मसले पर नीतीश कुमार लगभग हर रोज लालू प्रसाद यादव से फोन पर बात कर रहे थे. पहले तो लालू यादव शांत बैठे थे लेकिन पिछले दो दिनों से लालू एक्शन में आ गये थे. राजद नेता ने फर्स्ट बिहार को बताया कि पिछले दो दिनों में लालू यादव ने देश के लगभग हर प्रमुख विपक्षी नेता से खुद बात की. लालू यादव ने अखिलेश यादव, शरद पवार, अरविंद केजरीवाल, एच.डी. कुमारस्वामी, तमिलनाडु के सीएम स्टालिन जैसे कई नेताओं से खुद बात की.


राजद नेता के मुताबिक लालू यादव ने हर नेता से यही आग्रह किया कि वे नीतीश कुमार से मिल लें. वे नीतीश के फार्मूले को मानें या ना मानें एक बार उनकी बात सुन लें. लालू के बार-बार के आग्रह के बाद ही कई प्रमुख विपक्षी नेता नीतीश कुमार से मिलने को राजी हुए हैं. 


पहले ही निकली नीतीश के दावों की हवा

वैसे नीतीश कुमार के विपक्षी गोलबंदी के दावों की हवा पहले ही निकल चुकी है. भाजपा से संबंध तोड़ने के बाद नीतीश औऱ उनके सलाहकार ये बार-बार कहते आये हैं कि देश भर से विपक्षी नेताओं के कॉल आ रहे हैं. मीडिया ने नीतीश कुमार से पूछा भी कि किन नेताओं के फोन कॉल आये थे. नीतीश औऱ उनके सलाहकार सिर्फ एक नेता का नाम बता पाये. जेडीयू की ओर से बताया गया कि महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने नीतीश कुमार कॉल किया था.


लालू के बुलावे पर आये केसीआर लेकिन नहीं बनी बात

वैसे पिछले 31 अगस्त को तेलगांना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव भी विपक्षी एकता की बात करने पटना आये थे. राजद सूत्रों के मुताबिक के. चंद्रशेखर राव भी लालू यादव के बुलावे पर पटना आये थे. उन्होंने कुछ महीने पहले तेजस्वी यादव को हैदराबाद में अपने घर पर बुलाकर विपक्षी एकता की बात की थी. लालू-तेजस्वी के बुलावे पर वे पटना आये लेकिन नीतीश की बात मानने से इंकार कर चले गये. दरअसल नीतीश कुमार कह रहे थे कि केसीआर कांग्रेस के साथ मिलकर गठबंधन बनायें. जबकि केसीआर ने साफ कर दिया कि वे कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं करेंगे. जेडीयू के नेता सार्वजनिक तौर पर ये बात मान चुके हैं कि केसीआर से नीतीश कुमार की बात नहीं बनी.


दिलचस्प बात ये भी है कि नीतीश कुमार से पहले ही दो प्रमुख नेता देश में भाजपा विरोधी गठबंधन बनाने की पहल कर चुके हैं. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी औऱ एनसीपी के नेता शरद पवार ने इसकी पहल की थी औऱ कई पार्टियों से बात भी की थी. लेकिन दोनों अपनी मुहिम में फेल कर गये. ममता बनर्जी औऱ शरद पवार दोनों का राष्ट्रीय राजनीति में कद और साख नीतीश कुमार से ज्यादा बड़ा है. फिर भी जब वे दोनों फेल कर गये तो नीतीश की मुहिम की सफलता पर सवाल खडा होना लाजिमी है.