PATNA: बिहार में अति पिछड़ों के मसीहा माने जाने वाले पूर्व CM कर्पूरी ठाकुर को केंद्र सरकार ने भारत रत्न देने का एलान कर दिया है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की मौत के 36 साल बाद देश का सर्वोच्च सम्मान देने का फैसला लिया गया है। 24 जनवरी को कर्पूरी जयंती है और इसके एक दिन पहले केंद्र सरकार ने यह एलान किया है।
केंद्र सरकार के इस ऐलान के बाद बीजेपी नेताओं की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गयी है। भाजपा नेता सुशील मोदी ने कहा है कि कर्पूरी ठाकुर अतिपिछड़ा समाज से आते थे। बिहार में पहली बार अतिपिछड़ों को आरक्षण देने का काम किया था। आज कर्पूरी ठाकुर के सपने को साकार करने का काम नरेंद्र मोदी कर रहे हैं। उन्होंने बिहार के गुदरी के लाल कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न की उपाधि देने का काम किया है। मैं पीएम मोदी को धन्यवाद देना चाहता हूं।
वही बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि देश के पीएम यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को विशेष तौर पर धन्यवाद देता हूं जिन्होंने गरीबों के मसीहा कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न देने का घोषणा ऐतिहासिक है। गरीबों का अतिपिछड़ों का सम्मान बढ़ाने का काम नरेंद्र मोदी ने किया है।
बता दें कि कर्पूरी ठाकुर स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे. वे दो दफे बिहार के मुख्यमंत्री रहेथे. लोकप्रियता के कारण उन्हें जन-नायक कहा जाता था. कर्पूरी ठाकुर का जन्म समस्तीपुर के पितौंझिया गांव में हुआ था.. नाई जाति से आने वाले कर्पूरी ठाकुर ने अपना सामाजिक जीवन देश के स्वतंत्रता संघर्ष से शुरू किया था. वे भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 26 महीने जेल में रहे थे. समाजवादी विचारधारा के नेता कर्पूरी ठाकुर दो दफे बिहार के मुख्यमंत्री रहे. वे वह 22 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 तथा 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979 तक बिहार के सीएम पद पर रहे.
पिछड़ों को दिया था आरक्षण
कर्पूरी ठाकुर ने देश में पहली दफे पिछडों और अति पिछड़ों के लिए आरक्षण दिया था. 1978 में उन्होंने पिछडों और अति पिछडों के लिए अलग अलग आरक्षण की व्यवस्था लागू की थी. उन्होंने अति पिछड़ों के लिए 12 प्रतिशत, पिछड़ों के लिए 8 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया था. वहीं, गरीब सवर्णों के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था की थी. कर्पूरी ठाकुर बिहार के मौजूदा दौर के राजनेताओं लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार के राजनीतिक गुरू माने जाते हैं.