चुनावी मैदान में फ्लॉप हो गए पावर स्टार पवन सिंह, इस वजह से देखना पड़ा हार का मुंह

चुनावी मैदान में फ्लॉप हो गए पावर स्टार पवन सिंह, इस वजह से देखना पड़ा हार का मुंह

PATNA: भोजपुरी पावर स्टार पवन सिंह के काराकाट से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने के बाद चर्चा में आई इस सीट से आखिरकार किसी तीसरे ने बाजी मार ली। एक तरफ जहां उपेंद्र कुशवाहा वोटर्स को गोलबंद नहीं कर सके तो दूसरी तरफ भोजपुरी स्टार पवन सिंह भी चुनावी मैदान में फ्लॉप साबित हो गए। उनकी भूमिका महज एक वोटकटवा की बनकर रह गई।


दरअसल, बीजेपी ने पहली बार पवन सिंह को पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट से अपना उम्मीदावर बनाया था लेकिन पवन सिंह से ऐन वक्त पर इस सीट से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया और काराकाट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतर गए। पवन सिंह की सीधी लड़ाई एनडीए के उपेंद्र कुशवाहा से मानी जा रही थी लेकिन दोनों के बीच सीपीआई के राजा राम सिंह ने बाजी मार ली।


सीपीआई के राजा राम सिंह काराकाट से चुनाव जीत गए। पावर स्टार अपनी चुनावी रैलियों में उमड़ने वाली भीड़ को वोट में नहीं बदल सके और दूसरे नंबर पर चले गए जबकि उपेंद्र कुशवाहा तीसरे पायदान पर रहे। पवन सिंह को निर्दलीय चुनाव लड़ना भारी पड़ गया। चुनाव में न तो स्टारडम काम आया और ना ही पिछड़ी जातियों को वह गोलबंद कर पाए।


पवन सिंह के फ्लॉप होने की एक बड़ी वजह यह रही कि उनके कार्यकर्ता मजबूत नहीं थे, जो लोगों को पवन सिंह के पक्ष में नहीं कर पाए। निर्दलीय चुनाव लड़ने की वजह से मतदाताओं को भोजपुरी पावर स्टार पर भरोसा नहीं था। उनकी रैलियों में भीड़ तो खूब उमड़ी लेकिन उस भीड़ को वह वोट में नहीं बदल पाए। पवन सिंह राजपूत जाति से आते हैं, इसलिए उन्हें राजपूतों का वोट तो मिला लेकिन पिछड़ी जाति के मतदाओं ने उन्हें वोट देने के बजाए सीपीआई के राजाराम सिंह को वोट देना ठीक समझा।