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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 23 Oct 2025 11:47:50 AM IST
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Bihar News : नालंदा जिले के सिलाव थाना क्षेत्र के दरियासराय गांव में एक दुखद घटना हुई, जिसमें दो चचेरे भाइयों की पंचाने नदी में डूबने से मौत हो गई। यह घटना उस समय की है जब दोनों बच्चे स्नान के लिए घर से निकले थे। देर शाम तक लौटने पर परिवार और ग्रामीण बच्चों की तलाश में जुट गए, लेकिन कोई पता नहीं चल सका।
मृतकों में शशिभूषण प्रसाद के 15 वर्षीय पुत्र अमन कुमार और पप्पू प्रसाद के 13 वर्षीय पुत्र हिमांशु कुमार शामिल हैं। दोनों बच्चे बिहारशरीफ में पढ़ाई करते थे और दीपावली की छुट्टियों के लिए अपने घर आए थे। परिवार के लोग उनके देर तक न लौटने पर चिंतित हो गए और आसपास खोजबीन शुरू कर दी।
गुरुवार सुबह ग्रामीणों ने नदी किनारे जानवर चराने के दौरान दो जोड़ी चप्पल और कपड़े देखे, जिससे उन्हें शक हुआ कि किसी हादसे का शिकार हुआ है। इस सूचना के बाद परिजन मौके पर पहुंचे और चप्पलों तथा कपड़ों की मदद से बच्चों की पहचान की। इसके बाद ग्रामीणों और परिजनों ने नदी में खोजबीन की, जिसमें कुछ देर बाद दोनों बच्चों के शव बरामद किए गए।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पंचाने नदी में अवैध बालू खनन के कारण नदी में गहरे गड्ढे बन गए हैं, जो लगातार डूबने की घटनाओं का कारण बन रहे हैं। उन्होंने प्रशासन से बालू खनन पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि नदी के इस हिस्से में तेज धाराएं और गहरे गड्ढे अक्सर खतरनाक साबित होते हैं और कई बार लोग डूबने की घटनाओं का शिकार हो जाते हैं।
घटना की सूचना मिलते ही सिलाव थाना प्रभारी मुरली मनोहर आजाद पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया। पुलिस ने घटना की गहन जांच शुरू कर दी है और आसपास के इलाकों में सुरक्षा के इंतजाम एवं चेतावनी जारी की गई है।
स्थानीय लोग प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि नदी किनारे सुरक्षा उपाय किए जाएं और अवैध बालू खनन पर तुरंत रोक लगाई जाए। उनका कहना है कि यदि यह नहीं किया गया, तो भविष्य में और भी दुखद घटनाएं हो सकती हैं। बच्चों की मौत ने पूरे गांव में शोक और चिंता का माहौल पैदा कर दिया है।
परिवार के सदस्यों का कहना है कि अमन और हिमांशु दोनों पढ़ाई में होशियार और अच्छे स्वभाव के थे। उन्होंने बिहारशरीफ में पढ़ाई के दौरान अपनी मेहनत और लगन से परिवार का नाम रोशन किया था। दीपावली पर घर आने की खुशी में परिवार और ग्रामीण बच्चों का स्वागत कर रहे थे, लेकिन यह दुखद हादसा पूरे गांव को स्तब्ध कर गया।
ग्रामीणों का आरोप है कि नदी किनारे सुरक्षा के अभाव में हर साल लोग डूबने की घटनाओं का शिकार होते हैं। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया है कि गहरे गड्ढों को भरने, चेतावनी बोर्ड लगाने और सुरक्षा इंतजाम करने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं। इसके अलावा बालू खनन को रोकना भी जरूरी है, ताकि और किसी की जान जोखिम में न पड़े।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि नदी किनारे बच्चों और ग्रामीणों की सुरक्षा पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। नदी के किनारे खेल-कूद और स्नान करते समय हमेशा खतरा रहता है, खासकर जब वहां गहरे गड्ढे और तेज धाराएं हों।
इस दुखद हादसे ने न केवल परिवार को अपूरणीय क्षति दी है, बल्कि पूरे गांव में गहरे शोक और डर का माहौल पैदा कर दिया है। स्थानीय लोग और प्रशासन दोनों को मिलकर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
सिलाव थाना प्रभारी मुरली मनोहर आजाद ने बताया कि घटना की पूरी जांच की जा रही है और नदी किनारे सुरक्षा उपायों के लिए पुलिस सतर्क हो गई है। साथ ही उन्होंने ग्रामीणों से अपील की है कि वे बच्चों को नदी किनारे अकेले न जाने दें और किसी भी खतरनाक स्थिति की तुरंत सूचना पुलिस को दें।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि अवैध बालू खनन पर रोक नहीं लगाई गई और नदी किनारे सुरक्षा इंतजाम नहीं किए गए, तो भविष्य में और भी कई दुखद घटनाएं हो सकती हैं। इस घटना ने प्रशासन और स्थानीय लोगों को एक चेतावनी दी है कि नदी किनारे सुरक्षा को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
अंततः यह हादसा बच्चों की मासूमियत और परिवार की उम्मीदों के साथ-साथ पूरे गांव के लिए एक गंभीर सबक बन गया है। ग्रामीणों की मांग है कि प्रशासन तुरंत बालू खनन पर रोक लगाए, नदी किनारे सुरक्षा के इंतजाम करे और भविष्य में इस तरह के हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।