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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 20 Oct 2025 08:31:07 AM IST
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Bihar Assembly Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक हलचलें तेज होती जा रही हैं। नेताओं के बयान, रणनीतियां और जनता के बीच पैठ बनाने के तरीके अब जमीन पर दिखने लगे हैं। पटना जिले की मोकामा विधानसभा सीट इस बार भी चर्चाओं में है। पहले राजद नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने यहां लोगों के बीच कलम बांटकर एक अलग संदेश देने की कोशिश की थी, और अब इसी तर्ज पर मोकामा के पूर्व विधायक और जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह के समर्थक भी कलम बांटते नजर आ रहे हैं।
कलम पर लिखा है ‘अनंत कुमार सिंह’
मोकामा क्षेत्र में इन दिनों अनंत सिंह के समर्थक घर-घर जाकर बच्चों और युवाओं के बीच कलम वितरित कर रहे हैं। इन कलमों पर ‘अनंत कुमार सिंह’ लिखा हुआ है। समर्थकों का कहना है कि यह सिर्फ प्रचार नहीं, बल्कि शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने का अभियान है। अनंत सिंह के नाम वाला यह पेन अब मोकामा में चर्चा का केंद्र बन चुका है।
जब इस पर पत्रकारों ने अनंत सिंह से सवाल किया कि उनके नाम का कलम क्यों बांटा जा रहा है, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा—“हम तो यही कहेंगे कि सब बाल-बच्चे पढ़ें-लिखें। बच्चों को कहा जाए कि पढ़ो, कलम उठाओ।” उन्होंने आगे कहा कि “हम जीतेंगे तो मोकामा में नल-जल और विकास का हर काम पूरा किया जाएगा।”
तेजस्वी यादव ने दी थी ‘कलम बनाम बंदूक’ की सीख
गौरतलब है कि पिछले महीने तेजस्वी यादव ने मोकामा में रोड शो के दौरान लोगों के बीच कलम बांटते हुए एक मजबूत राजनीतिक संदेश दिया था। उन्होंने कहा था, “यहां कुछ लोग बंदूक बांटते हैं, हम कलम बांट रहे हैं। कलम की ताकत को समझिए।” तेजस्वी यादव का यह बयान सीधे तौर पर अनंत सिंह जैसे बाहुबली नेताओं पर निशाना माना गया था। अब जब अनंत सिंह के समर्थक भी कलम बांट रहे हैं, तो इसे तेजस्वी की रणनीति का जवाब माना जा रहा है। इस कदम ने मोकामा की चुनावी जंग को और दिलचस्प बना दिया है।
‘छोटे सरकार’ के नाम से मशहूर हैं अनंत सिंह
मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह, जिन्हें लोग ‘छोटे सरकार’ के नाम से जानते हैं, बिहार की राजनीति में बाहुबली छवि के लिए पहचाने जाते हैं। उनका प्रभाव मोकामा और आसपास के इलाकों में काफी गहरा है। कई बार विवादों में रहने के बावजूद उनकी जनप्रियता और पकड़ कायम रही है। अब जब वे जनता दल (यूनाइटेड) के टिकट पर फिर से मैदान में हैं, तो उनका लक्ष्य एक बार फिर विधानसभा में वापसी का है। वे दावा कर चुके हैं कि “मोकामा की जनता एक बार फिर हमें आशीर्वाद देगी।”
दिलचस्प मुकाबला: वीणा देवी बनाम अनंत सिंह
इस बार मोकामा सीट पर मुकाबला बेहद रोचक होने जा रहा है। लोजपा (रामविलास) की वीणा देवी, जो पूर्व सांसद और सूरजभान सिंह की पत्नी हैं, अनंत सिंह को कड़ी टक्कर देने के मूड में हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस सीट पर जातीय समीकरण, स्थानीय प्रभाव और बाहुबली छवि—तीनों फैक्टर अहम भूमिका निभाएंगे। वीणा देवी का मजबूत संगठन और भाजपा-लोजपा गठबंधन का समर्थन उन्हें शक्ति दे रहा है, वहीं अनंत सिंह अपनी जनाधार और स्थानीय छवि के दम पर मैदान में डटे हैं।
जनता की पसंद कौन?
मोकामा की गलियों में इन दिनों सिर्फ एक ही चर्चा है—कलम किसकी होगी? तेजस्वी की या अनंत सिंह की? एक तरफ शिक्षा और परिवर्तन की बात करने वाला विपक्ष है, दूसरी तरफ विकास और स्थानीय जुड़ाव की बात करने वाला अनंत गुट।
ग्रामीणों का कहना है कि वे इस बार ऐसे नेता को चुनना चाहते हैं जो “इलाके में शांति और विकास” ला सके। कुछ लोग अनंत सिंह की पुरानी छवि से प्रभावित हैं, तो कुछ युवाओं को तेजस्वी यादव का “कलम वाला संदेश” पसंद आया है।
बहरहाल , मोकामा विधानसभा सीट पर इस बार का चुनाव एक प्रतीकात्मक जंग बन गया है—कलम बनाम कलम की। पहले तेजस्वी यादव ने कलम बांटकर शिक्षा का संदेश दिया था, अब अनंत सिंह उसी प्रतीक को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। मोकामा की जनता किसकी कलम को ताकत देगी, यह तो परिणाम आने के बाद ही तय होगा, लेकिन इतना साफ है कि मोकामा की चुनावी हवा में अब बारूद नहीं, बल्कि ‘स्याही’ की खुशबू है।