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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 28 Oct 2025 08:01:39 AM IST
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बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, सूबे का सियासी तापमान भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। इसी बीच मंगलवार को महागठबंधन की ओर से बहुप्रतीक्षित चुनावी घोषणा पत्र (Manifesto) जारी किया जायेगा । इस मौके पर नेता प्रतिपक्ष और महागठबंधन के मुख्यमंत्री उम्मीदवार तेजस्वी प्रसाद यादव ने घटक दलों के अन्य वरीय नेताओं की मौजूदगी में घोषणा पत्र जनता के सामने रखेंगे।
तेजस्वी यादव ने घोषणा पत्र जारी करते हुए कहा कि महागठबंधन की सरकार बनने पर बिहार में “न्याय, सम्मान और रोजगार” तीन स्तंभों पर राज्य की दिशा तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह घोषणा पत्र महज कागज़ का दस्तावेज़ नहीं, बल्कि “बदलाव का रोडमैप” है, जो हर वर्ग के लोगों की उम्मीदों को साथ लेकर आगे बढ़ेगा।
महागठबंधन के घोषणा पत्र की सबसे बड़ी और चर्चित घोषणा यह रही कि बिहार के हर परिवार से एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी। तेजस्वी यादव ने कहा कि बेरोजगारी बिहार की सबसे बड़ी समस्या है, और इसे खत्म करना उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। उन्होंने कहा कि महागठबंधन की सरकार बनने के 6 महीने के भीतर लाखों पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने दावा किया कि राज्य में लाखों पद रिक्त पड़े हैं, जिन्हें भरने में मौजूदा सरकार ने कोई रुचि नहीं दिखाई। महागठबंधन इन पदों को पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से भरेगा, जिससे युवाओं को सम्मानजनक रोजगार मिलेगा।
घोषणा पत्र में महिलाओं को सशक्त बनाने पर भी खास जोर दिया गया है। महागठबंधन ने ‘माई-बहिन मान योजना’ की घोषणा की है, जिसके तहत हर महिला को प्रतिमाह 2500 रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा, जीविका दीदियों को 2000 रुपये का भत्ता देने की भी घोषणा की गई है। तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार की आधी आबादी के बिना समृद्धि की कल्पना नहीं की जा सकती। “हमारी सरकार महिलाओं को न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी, बल्कि उनके सामाजिक अधिकारों की रक्षा भी करेगी।”
महागठबंधन ने अपने घोषणा पत्र में आरक्षण की सीमा बढ़ाने का भी बड़ा वादा किया है। तेजस्वी यादव ने कहा कि सामाजिक न्याय की भावना को मजबूत करने के लिए पिछड़े, अति पिछड़े, दलित और आदिवासी वर्गों के लिए आरक्षण की सीमा वर्तमान से बढ़ाई जाएगी।उन्होंने कहा कि सामाजिक समानता सिर्फ नारे से नहीं, बल्कि नीति और निर्णयों से आती है। “हम संविधान की मर्यादा के भीतर रहते हुए, हर वंचित वर्ग को उसका हक दिलाने का काम करेंगे।”
महागठबंधन ने स्थानीय निकाय प्रतिनिधियों को भी बड़ी राहत देने का ऐलान किया है। घोषणा पत्र में कहा गया है कि सभी पंचायत प्रतिनिधियों का भत्ता दोगुना किया जाएगा।साथ ही,पूर्व पंचायत प्रतिनिधियों को पेंशन देने की भी घोषणा की गई है।तेजस्वी यादव ने कहा कि पंचायतें लोकतंत्र की बुनियाद हैं। “अगर गांव मजबूत होंगे, तभी बिहार मजबूत होगा। इसलिए पंचायत प्रतिनिधियों को सम्मान और सुविधा देना हमारी प्राथमिकता है।”
घोषणा पत्र में किसानों, छात्रों और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े कई बिंदुओं को भी शामिल किया गया है। किसानों के लिए **कर्ज माफी, न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटीऔर सिंचाई सुविधाओं के विस्तार** का वादा किया गया है। शिक्षा के क्षेत्र में **सरकारी स्कूलों में शिक्षक भर्ती में तेजी और स्कॉलरशिप योजनाओं के विस्तार की बात कही गई है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में जिला स्तर पर मेडिकल कॉलेजों की स्थापना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को सशक्त करने और मुफ्त दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने की घोषणा की गई है।
घोषणा पत्र के अंत में तेजस्वी यादव ने कहा कि यह दस्तावेज़ बिहार के हर नागरिक से किया गया वादा नहीं, बल्कि एक संकल्प पत्र’ है। उन्होंने कहा, “यह हमारे लिए जिम्मेदारी है। हम विकास को जाति और धर्म से ऊपर रखकर एक नया बिहार बनाएंगे। हर गरीब, हर किसान, हर युवा और हर महिला इस परिवर्तन की धारा का हिस्सा होगी।”
महागठबंधन का यह घोषणा पत्र ऐसे समय में आया है जब राज्य में एनडीए की ओर से भी लगातार बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। तेजस्वी यादव के इस घोषणा पत्र को युवाओं और महिलाओं को साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ‘हर परिवार को सरकारी नौकरी’ और ‘महिलाओं को मासिक भत्ता’ जैसे वादे चुनावी समीकरणों को गहराई से प्रभावित कर सकते हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि जनता महागठबंधन के इस वादों भरे घोषणा पत्र को कितना स्वीकार करती है और चुनावी नतीजे इस ‘संकल्प पत्र’ को कितना जनादेश देते हैं।