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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 16 Oct 2025 07:54:48 AM IST
बिहार चुनाव 2025 - फ़ोटो GOOGLE
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सबसे ज्यादा चर्चा अगर किसी एक सीट को लेकर है, तो वह है मोकामा विधानसभा सीट। यह सीट हमेशा से ही बाहुबल और राजनीति के संगम का केंद्र रही है। मोकामा की सियासत का इतिहास बताता है कि यहां जीत सिर्फ संगठन या पार्टी के बूते नहीं मिलती, बल्कि जनाधार, प्रभाव और स्थानीय समीकरणों का संतुलन तय करता है कि कौन बाजी मारेगा। इस बार भी यहां का मुकाबला बेहद दिलचस्प और हाई-प्रोफाइल होने जा रहा है।
इस बार मोकामा के मैदान में दो दिग्गज परिवार आमने-सामने हैं एक ओर हैं मोकामा के बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह, तो दूसरी तरफ हैं सूरजभान सिंह परिवार, जिनकी पहचान बिहार ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी “दादा” के नाम से मशहूर है। सूरजभान सिंह की पत्नी और पूर्व सांसद वीणा देवी ने गुरुवार को मोकामा सीट से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के टिकट पर नामांकन दाखिल करेंगी है।
बता दें कि वीणा देवी का नामांकन मोकामा की राजनीति में नया मोड़ लेकर आया है। गुरुवार को उन्होंने दोपहर 12:30 बजे बाढ़ अनुमंडल कार्यालय में अपना नामांकन दाखिल करेंगी। इस मौके पर राजद के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में मौजूद रहेंगे। वीणा देवी को हाल ही में राजद का चुनाव चिन्ह (सिंबल) मिल गया था, जिससे यह तय हो गया कि अब मोकामा में अनंत सिंह बनाम सूरजभान सिंह परिवार की सीधी टक्कर होगी।
वीणा देवी पहले भी राजनीति में सक्रिय रही हैं। वे पूर्व सांसद रह चुकी हैं और अपने सामाजिक कार्यों के लिए भी जानी जाती हैं। हालांकि, कुछ साल पहले उन्होंने पारिवारिक कारणों से राजनीति से दूरी बना ली थी, लेकिन इस बार वे पूरे आत्मविश्वास के साथ चुनावी मैदान में उतर रही हैं। वीणा देवी के मैदान में आने से मोकामा का समीकरण पूरी तरह बदल गया है।
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि वीणा देवी का नामांकन केवल एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं बल्कि तेजस्वी यादव और सूरजभान सिंह के बीच हुई रणनीतिक बैठक का नतीजा है। हाल ही में दोनों नेताओं की मुलाकात हुई थी, जिसमें मोकामा सीट से वीणा देवी को टिकट देने पर सहमति बनी। इस गठजोड़ का उद्देश्य न केवल मोकामा सीट जीतना है, बल्कि बिहार में राजद का सामाजिक समीकरण और वोटबैंक विस्तार करना भी है।
मोकामा सीट पर अनंत सिंह का दबदबा पिछले दो दशकों से कायम है। 2005 से लेकर अब तक वे इस सीट से लगातार पांच बार चुनाव जीत चुके हैं। पहले तीन बार उन्होंने जदयू (JDU) के टिकट पर जीत हासिल की, उसके बाद एक बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में और फिर 2020 में राजद (RJD) से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। हालांकि, 2022 में आर्म्स एक्ट के मामले में दोषी पाए जाने के बाद उन्हें विधानसभा से अयोग्य ठहराया गया, जिसके बाद उपचुनाव में उनकी पत्नी नीलम देवी को राजद ने टिकट दिया और उन्होंने जीत दर्ज की। इसने यह साबित कर दिया कि मोकामा में अब भी “छोटे सरकार” अनंत सिंह का प्रभाव बरकरार है।
लेकिन इस बार हालात कुछ अलग हैं। वीणा देवी के मैदान में उतरने से मोकामा की लड़ाई अब केवल बाहुबल की नहीं बल्कि संगठनात्मक रणनीति और नेतृत्व की परीक्षा भी बन गई है। एक ओर अनंत सिंह अपने पुराने जनाधार और प्रभाव के सहारे मैदान में हैं, वहीं दूसरी ओर सूरजभान सिंह का राजनीतिक नेटवर्क और अनुभव वीणा देवी के लिए बड़ा समर्थन साबित हो सकता है।
मोकामा विधानसभा सीट पटना जिले के अंतर्गत आती है और यहां की आबादी में भूमिहार, यादव, कुर्मी, अति पिछड़ा वर्ग और दलित समुदायों के मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। परंपरागत रूप से अनंत सिंह का जनाधार भूमिहार समुदाय में रहा है, जबकि राजद के समर्थन से वीणा देवी को यादव और मुसलमान मतदाताओं का बड़ा हिस्सा मिल सकता है। यही समीकरण इस सीट को बेहद दिलचस्प बना देता है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो सूरजभान सिंह का प्रभाव मोकामा से कहीं आगे तक फैला हुआ है। उनका दबदबा मुंगेर, नवादा, पटना, बलिया और आसपास के जिलों में भी देखा जाता है। वे लंबे समय तक रामविलास पासवान की लोजपा (LJP) के करीबी रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच की खींचतान के चलते उन्होंने अपनी राजनीतिक दिशा बदली और अब वे तेजस्वी यादव के साथ नई सियासी जमीन तैयार करने में जुटे हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मोकामा की सीट को अब “हाई-वोल्टेज कॉन्टेस्ट” कहा जा रहा है। इस सीट पर जीत या हार सिर्फ एक उम्मीदवार की नहीं, बल्कि दो सियासी धाराओं की परीक्षा होगी एक तरफ बाहुबल और पुराने जनाधार की राजनीति, तो दूसरी ओर नए गठबंधन, संगठनात्मक रणनीति और सामाजिक समीकरणों का समन्वय।
मोकामा का यह मुकाबला बिहार की राजनीति में एक संदेशवाहक लड़ाई साबित हो सकता है। चाहे जीत अनंत सिंह की हो या वीणा देवी की, इसका असर राज्य की अन्य सीटों पर भी दिखाई देगा। राजद इस सीट के जरिए यह साबित करना चाहता है कि वह सभी तबकों को साथ लेकर चलने में सक्षम है, जबकि अनंत सिंह के लिए यह सीट उनके राजनीतिक भविष्य की साख का सवाल है।
स्पष्ट है कि मोकामा विधानसभा सीट 2025 में बिहार की सबसे चर्चित और निर्णायक सीट बनने जा रही है। आने वाले दिनों में जब प्रचार अभियान तेज होगा, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किसके साथ खड़ी होती है “छोटे सरकार” अनंत सिंह के अनुभव और प्रभाव के साथ या “पूर्व सांसद” वीणा देवी के नए उत्साह और गठबंधन की ताकत के साथ।