Bihar Election 2025: सियासी प्रचार के लिए हाई-फाई गाड़ियों की होड़, नेताओं को रास आ रही विदेशी कार

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के प्रचार के लिए लग्जरी गाड़ियों की मांग में अचानक इजाफा हो गया है। नेताओं और उनके समर्थकों के बीच एसयूवी गाड़ियों की डिमांड इतनी बढ़ गई है कि स्थानीय ट्रैवल एजेंसियों के पास गाड़ियां पूरी तरह कम पड़ गई

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 16 Oct 2025 10:32:47 AM IST

Bihar Election 2025

बिहार चुनाव 2025 - फ़ोटो GOOGLE

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के प्रचार के लिए लग्जरी गाड़ियों की मांग में अचानक इजाफा हो गया है। नेताओं और उनके समर्थकों के बीच एसयूवी गाड़ियों की डिमांड इतनी बढ़ गई है कि स्थानीय ट्रैवल एजेंसियों के पास गाड़ियां पूरी तरह कम पड़ गई हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए पड़ोसी राज्यों झारखंड और पश्चिम बंगाल से भी गाड़ियां मंगाई जा रही हैं।


चुनाव प्रचार के लिए सबसे अधिक पसंद की जा रही गाड़ियां टोयोटा फॉर्च्यूनर और इनोवा एसयूवी हैं। इन गाड़ियों को नेता अपने स्टेटस सिंबल और जनसम्पर्क की मजबूती के लिए प्राथमिकता देते हैं। इसके अलावा, अन्य ब्रांड की एसयूवी और लग्जरी कारों की भी मांग में वृद्धि हुई है। राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों ने पहले ही इन गाड़ियों की बुकिंग कर ली है, जिससे स्थानीय स्तर पर आम लोगों और छोटे आयोजकों के लिए गाड़ियों की उपलब्धता कम हो गई है।


इस अचानक बढ़ी मांग की वजह से किराया डेढ़ गुना तक बढ़ गया है। यह वृद्धि न केवल चुनाव प्रचार के लिए जरूरी खर्च बढ़ा रही है, बल्कि आम लोगों और शादी-विवाह आयोजकों की मुश्किलें भी बढ़ा रही है। नवंबर में शादी का सीजन शुरू होने वाला है, लेकिन चुनाव प्रचार में गाड़ियों की बढ़ी हुई मांग की वजह से शादियों और अन्य आयोजनों के लिए पर्याप्त वाहन उपलब्ध नहीं हैं। इससे आयोजकों को वाहनों की बुकिंग और कार्यक्रम की योजना बनाने में समस्या हो रही है।


चुनाव प्रचार की रफ्तार और नामांकन प्रक्रिया की शुरुआत ने गाड़ियों की जरूरत को और बढ़ा दिया है। स्थानीय ट्रैवल एजेंसियों के पास स्टॉक कम होने के कारण, वे अब पड़ोसी राज्यों से गाड़ियां मंगाकर मांग पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं। एजेंसियों के अनुसार, प्रचार के दौरान वाहन उपलब्ध कराने के लिए उन्हें अतिरिक्त शुल्क लेना पड़ रहा है, जो किराए में वृद्धि का मुख्य कारण बना है।


चुनाव प्रचार में शामिल एसयूवी गाड़ियों की सुरक्षा और सुविधा भी प्रत्याशियों के लिए अहम है। बड़ी गाड़ियों के इस्तेमाल से नेता अपने समर्थकों को परिवहन सुविधा और प्रचार कार्यक्रमों में आसानी प्रदान कर सकते हैं। इसके अलावा, गाड़ियों की बढ़ी मांग से बिहार में ट्रैवल एजेंसियों के लिए भी व्यापारिक अवसर बढ़े हैं, लेकिन आम लोगों के लिए यह स्थिति एक आर्थिक चुनौती बन गई है।


विश्लेषकों का मानना है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान हाई-फाई प्रचार का यह नया ट्रेंड प्रचारकों के शाही अंदाज और स्टेटस को दर्शाता है, लेकिन इसके साथ ही आम लोगों और छोटे आयोजकों की परेशानियां भी बढ़ा देता है। अगर चुनाव प्रचार के लिए गाड़ियों की मांग इसी तरह बढ़ती रही, तो अगले कुछ हफ्तों में वाहन किराए और उपलब्धता को लेकर और अधिक तनाव देखने को मिल सकता है।


कुल मिलाकर, बिहार विधानसभा चुनाव का प्रचार सुविधाओं और लग्जरी गाड़ियों के लिए हाई-फाई हो गया है, लेकिन इसका सीधा असर आम लोगों और स्थानीय आयोजकों पर पड़ रहा है। ऐसे में प्रशासन और ट्रैवल एजेंसियों के लिए यह चुनौती है कि चुनाव प्रचार और आम जरूरतों के बीच संतुलन बनाए रखा जाए।