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Bihar Election 2025 : ब्यूरोक्रेसी बनाम पॉलिटिक्स : अब अफसर बनेंगे नेता; कोई पार्टी में तो कोई खुद की पार्टी बनाकर मैदान में

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार नेता नहीं, अफसर भी मैदान में हैं। कई IAS, IPS और IRS अधिकारी वीआरएस लेकर राजनीति में उतर रहे हैं। सुजीत सिंह, आनंद मिश्रा, दिनेश राय जैसे नाम चुनावी समीकरण बदलने को तैयार हैं। यह जंग ब्यूरोक्रेसी बनाम पॉलिटिक्स की

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 15 Oct 2025 02:01:27 PM IST

Bihar Election 2025 : ब्यूरोक्रेसी बनाम पॉलिटिक्स : अब अफसर बनेंगे नेता; कोई पार्टी में तो कोई खुद की पार्टी बनाकर मैदान में

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Bihar Election 2025 : बिहार की चुनावी फिजा में इस बार न सिर्फ नेताओं की हलचल है, बल्कि नौकरशाहों की चाल भी गर्मी बढ़ा रही है। कुर्सी छोड़कर मैदान में उतरने की तैयारी ऐसी कि सत्ता के गलियारों से लेकर राजनीतिक दलों के दफ्तरों तक हलचल मच गई है। जिन अधिकारियों के नाम अब तक प्रशासनिक आदेशों में गूंजते थे, वे अब जनता की अदालत में किस्मत आजमाने की तैयारी में हैं।


बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे करीब आ रहा है, वैसे-वैसे प्रशासनिक गलियारे भी राजनीतिक रणभूमि में बदलते जा रहे हैं। कई वरिष्ठ IAS, IPS और IRS अधिकारी स्वेच्छा से सेवानिवृत्ति (VRS) लेकर राजनीति में कदम रख रहे हैं। कोई सत्तारूढ़ दल का हिस्सा बन चुका है, तो कोई नई पार्टी बनाकर जनता के बीच उतरने की राह पर है। वहीं, कुछ अधिकारी ऐसे भी हैं जो पुराने राजनीतिक दलों से टिकट की उम्मीद में सक्रिय हैं।


दरभंगा के गौराबौराम विधानसभा सीट इस बार बेहद दिलचस्प हो सकती है। इनकम टैक्स विभाग के प्रिंसिपल कमिश्नर रहे सुजीत सिंह ने 13 अक्टूबर को बीजेपी का दामन थाम लिया। उनकी पत्नी पहले से ही विधायक हैं, और स्थानीय स्तर पर उनका प्रभाव मजबूत माना जाता है। सुजीत सिंह के मैदान में उतरने से भाजपा के अंदर ही नए समीकरण बन रहे हैं। उन्होंने वीआरएस लेकर जिस तरह राजनीतिक पारी शुरू की है, उसने अन्य अफसरों को भी प्रेरित किया है।


बक्सर जिले के IPS आनंद मिश्रा, जिनकी छवि एक सख्त पुलिस अफसर की रही है, उन्होंने भी राजनीति में उतरने की घोषणा की है। 150 से ज्यादा एनकाउंटर करने वाले मिश्रा अब वर्दी की जगह वोट की ताकत से जनता के बीच पहचान बनाना चाहते हैं। वहीं राज्य के अपर सचिव जेड हसन ने भी साफ कर दिया है कि वे भागलपुर के नाथनगर से चुनाव लड़ेंगे। यह सीधा संकेत है कि अफसरशाही की नई राजनीतिक पीढ़ी जन्म ले रही है।


भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग के सचिव दिनेश कुमार राय ने जब जुलाई में पदोन्नति के बाद स्वागत समारोह किया, तो करीब 1000 गाड़ियों के काफिले ने राजनीतिक गलियारों को हिला दिया। माना जा रहा है कि राय रोहतास जिले की करहगर सीट से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। उनका जनसंपर्क अभियान पहले से ही चर्चा में है।


इसी क्रम में 2006 बैच के चर्चित आईपीएस शिवदीप लांडे का नाम भी सुर्खियों में है। लांडे ने 2024 में वीआरएस लेकर अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने का ऐलान किया था। जनता के बीच उनकी लोकप्रियता सोशल मीडिया पर साफ झलकती है। वहीं 1997 बैच के अफसर वीके सिंह विकासशील इंसान पार्टी (VIP) से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।


शिक्षा विभाग के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने भले ही वीआरएस नहीं लिया हो, लेकिन उनकी सोशल मीडिया पर बढ़ती सक्रियता संकेत देती है कि राजनीति में उनकी रुचि गहरी है। वहीं कई रिटायर्ड अफसर जैसे अरविंद कुमार सिंह, गोपाल नारायण सिंह और लल्लन यादव, प्रशांत किशोर के जन सुराज अभियान से जुड़े माने जा रहे हैं।


अफसरों की राजनीति में एंट्री ने पारंपरिक राजनीतिक दलों के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है। ये वे चेहरे हैं जिनकी प्रशासनिक छवि जनता के बीच पहले से बनी हुई है। इन अफसरों की पहचान साफ-सुथरे कामकाज और सख्त प्रशासनिक निर्णयों से जुड़ी रही है। यही वजह है कि जनता के बीच उनकी विश्वसनीयता नेताओं से ज्यादा मानी जाती है।


राजनीतिक दलों को अब ऐसे उम्मीदवारों से न सिर्फ जनता के विश्वास की टक्कर मिलेगी, बल्कि जातीय समीकरणों पर आधारित रणनीति को भी नए सिरे से सोचना होगा। नौकरशाहों का यह समूह अपनी प्रशासनिक दक्षता और सेवा के अनुभव को चुनावी पूंजी में बदलने की कोशिश करेगा।


बिहार चुनाव 2025 केवल दलों और उम्मीदवारों के बीच की जंग नहीं रहेगी, बल्कि यह ‘ब्यूरोक्रेसी बनाम पॉलिटिक्स’ की दिलचस्प लड़ाई भी होगी। एक ओर वर्षों से राजनीति में सक्रिय नेता होंगे, तो दूसरी ओर वो अधिकारी जो अपने अनुशासन और प्रशासनिक कामकाज के लिए जाने जाते रहे हैं।


यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ये अफसर अपने अनुभव और लोकप्रियता के बल पर जनता का दिल जीत पाते हैं या राजनीति की जमीनी हकीकत में उन्हें भी पारंपरिक नेताओं की राह पर चलना पड़ेगा। लेकिन इतना तय है इस बार बिहार की चुनावी रणभूमि में फाइलों से निकले अफसर जनता की अदालत में अपनी नई परीक्षा देने उतर चुके हैं।