1st Bihar Published by: Viveka Nand Updated Wed, 22 Oct 2025 11:44:23 AM IST
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Bihar News: जाति के नाम पर एक आउटडेटेड नेता/परिवार की किस्मत चमक गई। एक परिवार भूमिहार वोटर्स की भावना से खेल गया. लिहाजा पूरी कृपा एक ही परिवार पर बरसा दी गई। तभी तो दो जिलों में एक ही परिवार से तीन उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतार दिया गया है. HAM-JDU की ऐसी क्या मजबूरी थी जो सिर्फ एक ही परिवार पर भरोसा जताया ?
आउटडेटेड परिवार की खुली किस्मत !
राजनीति से पूरी तरह से आउट हो चुके पूर्व सांसद अरूण कुमार की इस बार के चुनाव में किस्मत खुल गई है. बड़े-बड़े नेता विधानसभा की एक सीट को मोहताज हो गए, और एक परिवार में तीन टिकट मिल गया, वो भी एनडीए से. मगध क्षेत्र में यह बड़ी उपलब्धि भूमिहार समाज के स्वघोषित नेता कहे जाने वाले पूर्व सांसद अरूण कुमार के परिवार को मिली है. अरूण कुमार बड़ी मिहनत के बाद जनता दल (यू) में शामिल हुए. साथ में बेटे को भी दल में शामिल कराया. इसके बाद सीधे बेटे को विधानसभा का टिकट दिलवा दिया. उनके बेटे ऋतुराज कुमार को JDU ने जहानाबाद जिले की घोसी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. ऋतुराज का यह पहला चुनाव है.
भाई-बेटा-भतीजा को टिकट, शायद पूरे बिहार का इकलौता परिवार
अरूण कुमार का परिवार इतने भर से नहीं रूका. जेडीयू से बेटे को टिकट मिला. बाकी का सारा काम हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने कर दिया. सीट बंटवारे में जीतनराम मांझी के खाते में 6 सीटें गईं, उसमें से 2 सीट अरूण कुमार के परिवार को थमा दिया. डॉ. अरुण कुमार के छोटे भाई अनिल कुमार को जीतनराम मांझी की पार्टी ‘हम’ ने गया जिले की टिकारी सीट से मैदान में उतारा है. वैसे अनिल कुमार 2020 के चुनाव में भी हम से चुनाव जीते थे. वर्तमान में ये पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं. सबसे आश्चर्य की बात यह कि मांझी की पार्टी HAM ने एक और सीट अरूण कुमार के भतीजे को दे दी.
मगध में भूमिहार का मतलब सिर्फ अरूण कुमार का परिवार ?
अरूण कुमार से बड़े भाई के बेटे (भतीजा) रोमित कुमार को मांझी ने गया जिले के अतरी विधानसभा से कैंडिडेट बना दिया है. पूर्व सांसद के परिवार से दूसरा टिकट देने के पीछे मांझी की क्या मजबूरी थी, वो ही बता सकते हैं. जानकार बताते हैं कि अतरी में इस बार भूमिहार जाति के कैंडिडेट को टिकट देना था. जीतन मांझी को अरूण कुमार का परिवार में ही भविष्य दिखा, लिहाजा भतीजे को भी उम्मीदवार बना दिया. यानि मगध में मांझी के लिए भूमिहार का मतलब सिर्फ अरूण कुमार का परिवार. लिहाजा पार्टी की 33 फीसदी सीट अरूण कुमार के परिवार के हवाले कर दिया गया. इस तरह से एनडीए ने जहानाबाद-गया में सारा घी अरूण कुमार के परिवार के दाल में उड़ेल दिया.
HAM की नीति पर 100 फीसदी खरे उतरे रोमित कुमार
जानकार बताते हैं कि अनिल कुमार को फिर से उम्मीदवार बनाए जाने की पूरी संभावना थी. मांझी ने उन्हें कैंडिडेट बनाया, इस पर किसी को आश्चर्य नहीं हुआ। लेकिन इनके भतीजे रोमित कुमार को अतरी से प्रत्याशी बनाए जाने पर न सिर्फ दल बल्कि सहयोगी दल के नेता भी आश्चर्य में पड़ गए। रोमित कुमार को जीतनराम मांझी ने क्यों और कैसे उम्मीदवार बनाया, भूमिहार समाज के लिए रोमित ने क्या किया ? इस पर चर्चा जारी है. चर्चा यही है कि भूमिहार समाज के लिए काम करने से टिकट नहीं मिलता ..सेटिंग तगड़ी होनी चाहिए. टिकट के लिए जो फार्मूला तय है, उस पर पूर्ण रूपेण फिट बैठना चाहिए , मांझी ने जिन्हें प्रत्याशी बनाया है, वे 'हम' की नीतियों पर 100 फीसदी खरे उतरे, लिहाजा मांझी ने उन पर भरोसा जताते हुए मैदान में उतार दिया.
बता दें, जहानाबाद के पूर्व सांसद राजनीति से पूरे तौर पर आउट हो चुके थे. 2019 के लोकसभा चुनाव बुरी तरह से हारने के बाद 2024 का चुनाव भी हार गए. कई दलों से परिक्रमा करने के बाद वे जनता दल यू में शामिल होना चाहते थे. लेकिन उनकी इंट्री बैन कर दी गई थी. 3 सितंबर 2025 को अरूण कुमार की जेडीयू में वापसी को अचानक रोक दिया गया था. तब कहा गया था कि जेडीयू के वरिष्ठ नेता ललन सिंह इसके लिए तैयार नहीं थे. लिहाजा ऐन वक्त पर मिलन समारोह को स्थगित करना पड़ा था. इनकी वापसी का रास्ता तब खुला जब मगध के एक अन्य बड़े भूमिहार नेता जगदीश शर्मा के बेटे राहुल शर्मा ने तेजस्वी यादव की राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का दामन थाम लिया. माना जा रहा है कि जहानाबाद की राजनीति में RJD के इस ‘भूमिहार दांव’ से घबराकर, NDA ने तुरंत अरुण कुमार और उनके बेटे ऋतुराज को JDU में शामिल कर लिया और घोसी से उन्हें टिकट दे दिया गया.