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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 24 Oct 2025 09:18:34 AM IST
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Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का राजनीतिक रण अब चरम पर पहुँच चुका है और भाजपा इस चुनावी मंज़िल तक पहुँचने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। 24 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार में अपने चुनावी अभियान का शंखनाद करेंगे, लेकिन इस अभियान की रूपरेखा और रणनीति उन्होंने दिल्ली से ही तैयार कर ली है। प्रधानमंत्री ने बिहार रवाना होने से पहले वर्चुअल माध्यम से ‘बुजुर्गों से संवाद’ और ‘रन फॉर बिहार यूनिटी’ जैसे कार्यक्रमों के जरिए पार्टी के चुनावी अभियान का स्वर सेट किया, जिसमें विकास, विरासत और एकता को मुख्य विषय बनाया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बिहार दौरे की शुरुआत बेहद प्रतीकात्मक स्थल ‘कर्पूरी ग्राम’ से करने का निर्णय लिया है। यह वही गांव है, जहाँ भारत रत्न और जननायक कर्पूरी ठाकुर का जन्म हुआ था। कर्पूरी ठाकुर पिछड़े वर्गों की राजनीति के सबसे बड़े प्रतीकों में से एक रहे हैं और उनकी सामाजिक न्याय की नीतियों ने बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान बनाया। इस प्रतीकात्मक कदम को भाजपा की रणनीति के तहत सामाजिक न्याय के एजेंडे को अपनाने और महागठबंधन के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाने के रूप में देखा जा रहा है।
‘कर्पूरी ग्राम’ में श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी समस्तीपुर और बेगूसराय में दो विशाल जनसभाओं को संबोधित करेंगे। समस्तीपुर और बेगूसराय में होने वाली रैलियां मिथिलांचल और बेगूसराय के औद्योगिक क्षेत्र में भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं। भाजपा का दावा है कि इस क्षेत्र के लोग नए बिहार का सपना देखने और उसे साकार करने के इच्छुक हैं और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह सपना पूरा हो सकता है।
भाजपा की चुनावी रणनीति केवल प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों तक सीमित नहीं है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी 24 अक्टूबर को सीवान और बक्सर में दो प्रमुख रैलियों को संबोधित करेंगे। एक ही दिन में प्रधानमंत्री और अमित शाह द्वारा चार प्रमुख क्षेत्रों में रैलियां आयोजित करना यह दर्शाता है कि भाजपा इस चुनाव को कितनी गंभीरता से ले रही है। पार्टी किसी भी क्षेत्र को कमजोर नहीं छोड़ना चाहती और यह सुनिश्चित करना चाहती है कि उसका प्रचार हर जिले और विधानसभा क्षेत्र तक पहुंचे।
भाजपा की यह रणनीति न केवल चुनावी रैलियों तक सीमित है, बल्कि सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए भी इसे व्यापक रूप देने की योजना है। पार्टी ने अपने डिजिटल अभियानों में विकास, रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा को प्रमुख मुद्दों के रूप में रखा है। इसके अलावा, ‘नए बिहार’ के विजन को लेकर विभिन्न अभियान शुरू किए गए हैं, जिसमें यह बताया जा रहा है कि पिछले वर्षों में भाजपा सरकार ने राज्य के औद्योगिक और बुनियादी ढांचे में किस तरह की प्रगति की है।
कर्पूरी ग्राम में आयोजित कार्यक्रम की खासियत यह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इसे विशेष रूप से पिछड़े वर्गों और युवाओं को जोड़ने के उद्देश्य से चुना है। कर्पूरी ठाकुर के आदर्शों को सामने रखते हुए, भाजपा यह संदेश देने का प्रयास कर रही है कि उसकी नीतियां सामाजिक न्याय और समान अवसर को बढ़ावा देती हैं। भाजपा का मानना है कि यह रणनीति महागठबंधन के वोट बैंक को प्रभावित करने में सहायक साबित होगी।
समस्तीपुर और बेगूसराय में आयोजित रैलियों में बड़ी संख्या में जनता की मौजूदगी की संभावना है। भाजपा ने इन रैलियों के लिए व्यापक तैयारी की है, जिसमें स्थानीय कार्यकर्ताओं को तैनात करना, सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना और मंच सजावट तथा प्रचार सामग्री को सुनिश्चित करना शामिल है। पार्टी नेताओं का दावा है कि प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों में लोग उत्साह के साथ शामिल होंगे और यह बिहार में भाजपा की लोकप्रियता को बढ़ावा देगा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रैलियों की रणनीति भी कम महत्व की नहीं है। सीवान और बक्सर में आयोजित होने वाली रैलियों का लक्ष्य ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में भाजपा की पकड़ मजबूत करना है। अमित शाह का अंदाज और भाषण शैली अक्सर जनता के बीच पार्टी की विश्वसनीयता और नेतृत्व क्षमता को रेखांकित करता है। इसके अलावा, इन रैलियों में स्थानीय मुद्दों को प्रमुखता देने का भी प्रयास किया जाएगा, जिससे मतदाताओं में पार्टी के प्रति विश्वास और जुड़ाव बढ़ सके।
विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा की इस बहुस्तरीय रणनीति में विकास, विरासत और एकता पर फोकस करना इसके चुनावी संदेश को मजबूती प्रदान करता है। प्रधानमंत्री मोदी का कर्पूरी ग्राम का दौरा और समस्तीपुर-बेगूसराय में रैलियां, साथ ही अमित शाह की सीवान-बक्सर रैलियां, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भाजपा की चुनावी रणनीति की स्पष्ट झलक हैं। यह कदम यह संदेश देने के लिए है कि पार्टी सभी वर्गों और क्षेत्रों को जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है और उसका लक्ष्य बिहार में हर मतदाता तक अपनी आवाज़ पहुँचाना है।
इस प्रकार, 24 अक्टूबर का दिन बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भाजपा के लिए रणनीतिक मोड़ साबित हो सकता है। प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह की रैलियों के माध्यम से भाजपा बिहार में अपनी पैठ मजबूत करने और महागठबंधन के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। आगामी दिनों में इन रैलियों का प्रभाव चुनावी मैदान में देखने को मिलेगा और यह तय करेगा कि बिहार के मतदाता किस पक्ष में अपनी वोटिंग शक्ति का प्रयोग करेंगे।