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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 15 Oct 2025 02:49:55 PM IST
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Bihar Assembly Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर एनडीए गठबंधन में सीट बंटवारे के बाद एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। कुछ सीटों को लेकर सहयोगी दलों के बीच मनमुटाव की खबरें सामने आ रही हैं। इसी कड़ी में राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमा) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी खुलकर सामने आई। रालोमा के खाते की मानी जा रही महुआ सीट लोजपा (रामविलास) और दिनारा सीट जदयू के हिस्से में चली जाने से उपेंद्र कुशवाहा काफी नाराज हो गए। नाराजगी इस कदर बढ़ी कि उन्होंने एनडीए उम्मीदवारों के नामांकन कार्यक्रम का सीधा बहिष्कार कर दिया।
सूत्रों के अनुसार, सीट बंटवारे के बाद से ही उपेंद्र कुशवाहा असंतुष्ट थे। पहले उन्हें गठबंधन में अपेक्षा से कम सीटें मिली थीं, जिस पर उन्होंने नाराजगी भी जताई थी। हालांकि, बाद में उन्होंने हालात से समझौता कर लिया। लेकिन जब उनके हिस्से की दो प्रमुख सीटें दूसरे दलों के खाते में चली गईं तो उनका गुस्सा फूट पड़ा। महुआ सीट से उपेंद्र कुशवाहा अपने पुत्र दीपक कुशवाहा को मैदान में उतारने की तैयारी में थे, जबकि दिनारा सीट से आलोक सिंह को प्रत्याशी बनाया जाना तय था।
नाराजगी की खबर जैसे ही एनडीए के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंची, तुरंत मान-मनौव्वल की प्रक्रिया शुरू हुई। जानकारी के अनुसार, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय को जिम्मेदारी दी गई कि वे नाराज उपेंद्र कुशवाहा को मनाएं और स्थिति को संभालें। बुधवार को नित्यानंद राय खुद कुशवाहा के साथ दिल्ली रवाना हुए। रवाना होने से पहले कुशवाहा ने मीडिया से कहा, “नथिंग इज वेल इन एनडीए” — यानी सबकुछ ठीक नहीं है।
दिल्ली पहुंचने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। करीब 45 मिनट चली इस मुलाकात के बाद उनके सुर नरम पड़ गए। मीडिया के सामने आकर उन्होंने कहा, “एनडीए में सबकुछ ठीक है। जिन मुद्दों पर मतभेद थे, उन पर नेताओं से बातचीत हो चुकी है।” हालांकि, जब उनसे यह पूछा गया कि महुआ और दिनारा सीट पर क्या सहमति बनी, तो उन्होंने जवाब देने से बचते हुए कहा कि इस विषय पर “प्रेस कॉन्फ्रेंस में विस्तार से जानकारी दी जाएगी।”
बताया जा रहा है किउपेंद्र कुशवाहा की यह मुलाकात केवल नाराजगी दूर करने भर की नहीं थी, बल्कि एनडीए के भीतर छोटे सहयोगी दलों को एकजुट रखने की कोशिश भी थी। बिहार चुनाव से पहले एनडीए किसी भी तरह के आंतरिक विवाद को सार्वजनिक रूप से नहीं देखना चाहता।
गौरतलब है कि उपेंद्र कुशवाहा बिहार की राजनीति में कुशवाहा समाज के प्रभावशाली नेता माने जाते हैं और एनडीए के लिए उनका साथ चुनावी समीकरणों में अहम भूमिका निभाता है। यही कारण है कि भाजपा नेतृत्व ने तुरंत स्थिति को संभालने की कोशिश की।
अब सबकी नजर रालोमा की आगामी प्रेस कॉन्फ्रेंस पर टिकी है, जहां यह साफ होगा कि सीट बंटवारे का विवाद सचमुच खत्म हुआ या समझौते के बाद भी मनमुटाव बाकी है। हालांकि, कुशवाहा के नरम रुख से यह तो साफ है कि फिलहाल एनडीए ने एक बड़ा संकट टाल दिया है।