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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 17 Oct 2025 11:26:35 AM IST
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Bihar Assembly elections : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह वर्तमान में तीन दिवसीय बिहार दौरे पर हैं। उनके इस दौरे की अहमियत इस समय और बढ़ गई है क्योंकि एनडीए ने हाल ही में विधानसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारा तय किया है। बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर तय किया है कि दोनों दल 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। इस बार का सीट बंटवारा बिहार की सियासी गलियारों में चर्चा का प्रमुख विषय बना हुआ है।
दौरे के दूसरे दिन अमित शाह ने पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की। इस मुलाकात को लेकर राजनीतिक हलकों में अनुमान लगाया जा रहा है कि इसका मकसद केवल एनडीए की चुनावी रणनीति पर चर्चा करना ही नहीं बल्कि भविष्य में मुख्यमंत्री पद को लेकर स्पष्ट संकेत देना भी है। दरअसल, पिछले दिनों अमित शाह ने एक कार्यक्रम में यह बयान दिया था कि एनडीए में मुख्यमंत्री कौन होगा, इसका फैसला संसदीय दल की बैठक में होगा। इस बयान के बाद जेडीयू के अंदर हलचल बढ़ गई और कई नेता इस पर विचार कर रहे हैं कि आने वाले चुनाव में पार्टी की नेतृत्व स्थिति कैसी रहेगी।
अमित शाह और नीतीश कुमार के बीच हुई यह मुलाकात पार्टी कार्यकर्ताओं और राजनीतिक विश्लेषकों की नजरों में अहम मानी जा रही है। खासकर जब बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आ रही हैं, तब यह दौरा दोनों दलों के लिए रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। अमित शाह ने पिछली बार भी बिहार के दौरे में पार्टी नेताओं से हर जिले की चुनावी तैयारियों का विस्तृत हाल जाना था। इस बार भी उनका मकसद यही बताया जा रहा है कि एनडीए की पूरी तैयारी पूरी तरह से चुस्त-दुरुस्त हो।
बीजेपी और जेडीयू के बीच हुए सीट बंटवारे पर ध्यान दें तो दोनों पार्टियों ने मिलकर 2025 विधानसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति अंतिम रूप दे दिया है। 243 सीटों वाले बिहार विधानसभा में दोनों दलों के बीच समान रूप से 101-101 सीटें बांटी गई हैं। बाकी की सीटें छोटे सहयोगी दलों को देने का निर्णय अभी तक अधर में है। राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि यह बंटवारा दोनों दलों के बीच सहयोग और संतुलन बनाए रखने का प्रयास है, लेकिन इसके बावजूद जेडीयू के अंदर मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही चर्चा बंद नहीं हुई है।
जेडीयू में खलबली का कारण अमित शाह का बयान था जिसमें उन्होंने यह स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री पद का चुनाव संसदीय दल की बैठक में होगा। इस बयान ने कई जेडीयू नेताओं के बीच असमंजस की स्थिति पैदा कर दी। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता अब इस बात पर विचार कर रहे हैं कि संसदीय दल की बैठक में किस प्रकार के फैसले हो सकते हैं और नीतीश कुमार की संभावित वापसी कितनी मजबूत होगी।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि अमित शाह का यह दौरा सिर्फ चुनावी रणनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संकेत भी देता है कि केंद्र सरकार और बिहार में एनडीए की स्थिति को मजबूती देने के लिए दोनों दलों के बीच तालमेल कितना जरूरी है। अमित शाह ने बैठक में दोनों दलों के नेताओं से चर्चा की और बिहार की जनसंख्या, विकास के मुद्दे, चुनावी रणनीति और मीडिया मैनेजमेंट जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर सुझाव लिए।
इसके अलावा, अमित शाह का दौरा इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है कि एनडीए के लिए मुख्यमंत्री पद का निर्णय राजनीतिक स्थिरता और गठबंधन के भीतर संतुलन बनाए रखने के लिहाज से जरूरी है। बिहार में पिछले कई चुनावों में यही देखा गया है कि मुख्यमंत्री पद को लेकर हुई उलझनें गठबंधन को कमजोर कर सकती हैं। ऐसे में अमित शाह का दौरा गठबंधन के नेताओं को एक मंच पर लाने और स्पष्ट संदेश देने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
अमित शाह और नीतीश कुमार की इस मुलाकात के बाद एनडीए कार्यकर्ताओं में उत्साह देखा जा रहा है। दोनों नेताओं की बैठक ने यह संकेत दिया है कि गठबंधन अपनी पूरी ताकत के साथ चुनाव में उतरेगा। हालांकि, जेडीयू के अंदर मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही चर्चा अभी पूरी तरह शांत नहीं हुई है।
बहरहाल, अमित शाह का यह तीन दिवसीय दौरा बीजेपी-जेडीयू गठबंधन की चुनावी रणनीति और मुख्यमंत्री पद की संभावित स्थिरता दोनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। बिहार की राजनीतिक स्थिति और सीट बंटवारे के फैसले ने इस दौरे को और भी अहम बना दिया है। ऐसे में आने वाले दिनों में गठबंधन के भीतर चल रही चर्चाओं और निर्णयों पर राजनीतिक नजरें बनी रहेंगी।
रिपोर्टर -प्रेम राज