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BPSC70th परीक्षा का रद्द होना तय: खान सर का बड़ा दावा-BPSC की धांधली का सबसे बड़ा सबूत मिल गया, अब हर हाल में होगी फिर से परीक्षा

BPSC70th परीक्षा पर हो रहे विवाद के बीच खान सर ने बड़ा दावा किया है. खान सर ने कहा है कि बीपीएससी में बड़ी धांधली के सबूत मिल गये हैं और अब 70th परीक्षा का रद्द होना तय हो गया है.

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 13 Feb 2025 08:04:27 PM IST

BIHAR

खान सर का दावा - फ़ोटो GOOGLE

PATNA: बिहार लोक सेवा आयोग यानि BPSC की 70वीं पीटी परीक्षा को लेकर कोचिंग संचालक खान सर उर्फ फैजल खान ने बड़ा दावा किया है. खान सर ने आज मीडिया से बात करते हुए कहा-बीपीएससी की 70वीं पीटी परीक्षा में धांधली का सबसे बड़ा सबूत हमारे हाथ लग चुका है. बिहार लोक सेवा आयोग की सारी कलई खुल गयी है. अब इस परीक्षा का रद्द होना तय है. हर हाल में फिर से परीक्षा होगी.


कौन से सबूत हाथ लगे?

खान सर ने कहा कि बीपीएससी परीक्षा में धांधली का आरोप हम शुरू से लगा रहे थे. फिर से परीक्षा कराने को लेकर हम हाईकोर्ट भी गये हैं. लेकिन हमसे सबूत खोजा जा रहा था. बिना सबूत के कोई बात बनने वाली नहीं थी. एक महीने की कोशिश के बाद हमने सबूत ढ़ूंढ़ लिया है. 


खान सर ने कहा- लोग कह रहे थे कि बीपीएससी परीक्षा को लेकर खान सर चुप बैठ गये लेकिन हम लगातार काम कर रहे थे. अब हमारे हाथ जो सबूत लगे हैं, उन्हें हाईकोर्ट में पेश करेंगे. जो सबूत हमारे हाथ लगे हैं, उसे देखने के बाद हाईकोर्ट परीक्षा को रद्द करने का आदेश देगा ही. 


ऐसे हुई धांधली

खान सर ने कहा कि 13 दिसंबर को बीपीएससी की परीक्षा हुई थी. उस परीक्षा के लिए बीपीएससी ने तीन सेट में प्रश्न पत्र तैयार कराया था. ऐसा इसलिए किया जाता है कि अगर कोई सेट का पेपर लीक हो जाये तो दूसरे सेट के प्रश्न से परीक्षा ली जाये. 13 दिसंबर को जो परीक्षा हुई उसमें इन तीन में से एक सेट के प्रश्न पत्र का उपयोग किया गया.


खान सर ने कहा कि किसी परीक्षा को लेकर जो नियम कानून हैं, उसके मुताबिक तीन सेट में जिन दो सेट के प्रश्न पत्र को यूज नहीं किया जाता है, उन्हें हर जिले के ट्रेजरी में जमा करा दिया जाता है. बाद में उस प्रश्न पत्र को कबाड़ में बेच दिया जाता है क्योंकि उनका कोई उपयोग नहीं बचता. 


खान सर के मुताबिक उन्होंने बिहार के हर ट्रेजरी में पता लगाना शुरू किया कि कहां-कहां बीपीएससी ने प्रश्न पत्र के दो सेट जमा किये हैं. बिहार के हर जिले से खबर ली गयी. उसमें पता चला कि नवादा और गया जिले के ट्रेजरी में बीपीएससी ने प्रश्न पत्र जमा ही नहीं कराया. वहां से प्रश्न पत्र गायब थे. 


कबाड़ में बेचने वाले प्रश्न पत्र से ली परीक्षा

खान सर ने बताया कि जब उन्होंने ट्रेजरी से गायब प्रश्न पत्र की जानकारी ली तो बीपीएससी की कलई खुल गयी. दरअसल बीपीएससी ने 13 दिसंबर को हुई परीक्षा में बापू परीक्षा केंद्र की परीक्षा को रद्द कर दिया था. 4 जनवरी को उस सेंटर के परीक्षार्थियों की फिर से परीक्षा ली गयी. इसी परीक्षा में खेला कर दिया गया.


खान सर ने दावा किया कि नवादा और गया ट्रेजरी में जो प्रश्न पत्र जमा नहीं कराया गया था, उसी प्रश्न पत्र का उपयोग 4 जनवरी की परीक्षा में कर लिया गया. जिस पेपर को कबाड़ में बेचना था,  उसी पेपर को 4 जनवरी को परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों को दे दिया गया. बीपीएससी ने बड़ी हेराफेरी कर दी. 


तीन गुणा रिजल्ट आया

खान सर ने दावा किया कि बीपीएससी की इस हेराफेरी का परीक्षा पर बड़ा असर हुआ. 4 जनवरी को आयोजित पुनर्परीक्षा में जो अभ्यर्थी शामिल हुए उनका सक्सेस रेट 19 परसेंट रहा. यानि 100 में से 19 बच्चे पास कर गये. जबकि 13 दिसंबर को हुई परीक्षा का सक्सेस रेट सिर्फ 6 परसेंट था. इसका मतलब ये है कि 13 दिसंबर को परीक्षा देने वालों की तुलना में 4 जनवरी को परीक्षा देने वाले का सक्सेस रेट तीन गुणा से भी ज्यादा रहा. 


इससे साफ है कि गड़बड़ी कैसे हुई. 4 जनवरी की परीक्षा में किसी सुरक्षा मानक का पालन नहीं किया गया. कबाड़ में फेंकने वाले प्रश्न पत्र से परीक्षा ली गयी. तभी सक्सेस रेट में इतना अंतर आया. बीपीएससी ने लाखों अभ्यर्थियों का भविष्य बर्बाद कर दिया. 


रद्द होगी परीक्षा

खान सर ने कहा कि उन्होंने इस सबूत को लेकर अपने वकीलों औऱ कानूनी जानकारों से बात की है. पहले सब कह रहे थे कि सबूत नहीं है इसलिए परीक्षा रद्द करा पाना मुश्किल है. लेकिन अब सबूत हाथ लग गये हैं. अब सारे कानूनी जानकार कह रहे हैं कि हाईकोर्ट से परीक्षा रद्द होना तय है. खान सर इस सबूत को हाईकोर्ट को सौंपने जा रहे हैं. 


10 साल से बीपीएससी में बैठा है अधिकारी

खान सर ने आऱोप लगाया कि बीपीएससी में सारी गड़बड़ी की भूमिका कुंदन कुमार नाम के एक अधिकारी रच रहे हैं. वे 10 सालों से बीपीएससी के संयुक्त सचिव पद पर तैनात हैं. बिहार सरकार के हर दफ्तर में अधिकारियों को तीन साल के भीतर बदल दिया जाता है. फिर कुंदन कुमार को 10 सालों से क्यों बीपीएससी में बिठा कर रखा गया है. 


खान सर ने कहा कि कुंदन कुमार नाम के अधिकारी पूरी तरह से छात्र विरोधी हैं, उन्हें बीपीएससी के बजाय बिहार सरकार के शौचालय विभाग में तैनात करना चाहिये. इस साल की बीपीएससी परीक्षा के फार्म भरने के दौरान आयोग का सर्वर डाउन हो गया. इसके कारण करीब 80 हजार बच्चों ने फार्म तो भर दिया लेकिन परीक्षा शुल्क का पेमेंट नहीं कर पाये. 


खान सर ने दावा किया कि ऐसे बच्चों ने तमाम गुहार लगाई. लेकिन कुंदन कुमार नाम के इस अधिकारी ने कुछ नहीं सुना. सर्वर डाउन होना बीपीएससी की गड़बड़ी थी. लेकिन कुंदन कुमार ने 80 हजार बच्चों को परीक्षा से बाहर कर दिया. अब ऐसे अधिकारी की भी कलई खुल रही है.