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DGP Bihar Orders: बिहार में अब माननीयों पर नकेल कसेगी पुलिस, सांसद-विधायक से जुड़े केस की जांच होगी तेज; DGP ने दिए सख्त निर्देश

DGP Bihar Orders: बिहार में अब सांसदों, विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आपराधिक मामलों की जांच तय समय सीमा में पूरी होगी। डीजीपी ने सभी एसपी को सख्त निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट भी ऐसे मामलों की निगरानी कर रहा है।

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Mon, 11 Aug 2025 12:19:49 PM IST

DGP Bihar Orders

- फ़ोटो file

DGP Bihar Orders: बिहार में अब विधायकों, सांसदों, मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों जैसे माननीय व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जांच भी आम नागरिकों की तरह निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरी की जाएगी। इस संबंध में पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने सभी जिलों के एसपी को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं।


डीजीपी के निर्देश के अनुसार, ऐसे मामलों की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी जिला स्तर पर एसपी को सौंपी गई है, जो खुद इन केसों की निगरानी करेंगे। साथ ही हर सप्ताह इन मामलों की अद्यतन रिपोर्ट संबंधित डीआईजी और आईजी को भेजनी होगी। डीआईजी इन रिपोर्टों की समीक्षा कर पुलिस मुख्यालय को अवगत कराएंगे।


पुलिस मुख्यालय ने स्पष्ट किया है कि अगर किसी अनुसंधानकर्ता द्वारा जानबूझकर जांच में देरी की जाती है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। ऐसे अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। सभी जिलों से ऐसे मामलों की सूची मांगी गई है जिनकी जांच लंबे समय से लंबित है, खासकर वे मामले जो माननीयों से संबंधित हैं और जिन पर अक्सर सवाल उठते हैं।


पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, भागलपुर और पूर्णिया जैसे जिलों में माननीयों के खिलाफ सबसे अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। पटना हाईकोर्ट भी वर्तमान और पूर्व सांसदों तथा विधायकों के विरुद्ध लंबित मामलों की निगरानी कर रहा है। अदालत ने इन मामलों के त्वरित निपटारे के लिए विशेष अदालतों को निर्देश जारी किए हैं।


एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में 45% विधायकों और 38% सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से कई गंभीर अपराधों की श्रेणी में आते हैं, जैसे हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध। चुनावों के दौरान धोखाधड़ी, नियमों का उल्लंघन, और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने जैसे आरोप भी आम हैं।


राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि आगामी विधानसभा चुनाव 2025 से पहले ऐसे मामलों को निपटाने के लिए एक ठोस रणनीति पर काम किया जा रहा है। जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यह नई व्यवस्था लागू की जा रही है, ताकि भविष्य में ऐसे लंबित मामलों को लेकर उठने वाले सवालों से बचा जा सके।