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Bihar News: बिहार के इस जिले में सबसे अधिक भ्रष्ट अधिकारी, निगरानी विभाग ने जारी की रिपोर्ट

Bihar News: बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई जारी है। निगरानी विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2006 से अब तक सबसे ज्यादा 213 अधिकारी और कर्मचारी मुजफ्फरपुर में कार्रवाई की जद में आए हैं।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 01 Aug 2025 02:02:14 PM IST

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बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE

Bihar News: बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही कार्रवाई लगातार तेज होती जा रही है। निगरानी विभाग और अन्य भ्रष्टाचार-निरोधक एजेंसियों की सक्रियता के चलते प्रदेश में बड़ी संख्या में सरकारी कर्मियों और अधिकारियों पर शिकंजा कसा जा रहा है। वर्ष 2006 से लेकर अब तक यानी 19 वर्षों की अवधि में भ्रष्टाचार के मामलों में सबसे अधिक कार्रवाई मुजफ्फरपुर जिले में हुई है। यहां 213 अधिकारियों और कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार निरोधक कार्रवाई की गई है, जो राज्य में सर्वाधिक है।


निगरानी विभाग द्वारा कार्मिक विभाग को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार, भ्रष्ट अधिकारियों-कर्मचारियों की सूची में दूसरा स्थान किशनगंज का है, जहां 72 अधिकारी-कर्मचारी कार्रवाई की जद में आए। वहीं, पटना जिले के 24 और वैशाली के 19 कर्मियों पर निगरानी विभाग ने शिकंजा कसा है। नालंदा के 15, समस्तीपुर के 14, और पश्चिम चंपारण के 10 अधिकारी-कर्मचारी भी कार्रवाई का सामना कर चुके हैं। निगरानी विभाग की रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि भ्रष्टाचार की जड़ें कई विभागों तक फैली हैं। इनमें पंचायती राज, कृषि विभाग, पशुपालन, शिक्षा, बिजली, राजस्व, वन विभाग, सहकारिता, बैंकिंग, और भवन निर्माण विभाग प्रमुख रूप से शामिल हैं।


मुजफ्फरपुर में कार्रवाई की जद में सबसे अधिक पंचायत सचिव आए हैं। इसके अलावा कई उच्च पदस्थ अधिकारी भी जांच की चपेट में आए, जिनमें कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक भानू राम, जिला कृषि पदाधिकारी जेपी ओझा व रामानंद प्रसाद, पशु चिकित्सक डॉ. मदन कुमार व डॉ. सुभाष चंद्र चौधरी, बैंक क्लर्क दीनबंधु सिंह, भवन निर्माण विभाग के सहायक अभियंता विनोद कुमार झा, कार्यपालक अभियंता बेचन झा व मदन मोहन राय, अधीक्षण अभियंता सत्यनारायण महतो, कॉपरेटिव अफसर ध्रूव कुमार, प्राचार्य नवल किशोर सिंह, कॉलेज इंस्पेक्टर राजेंद्र प्रसाद महतो, बीईओ हरदेव राय व इंदिरा देवी, बिजली विभाग के अभियंता अजीत कुमार, आपूर्ति निरीक्षक देवेंद्र सिन्हा, बीडीओ महर्षि राम, अहमद महमूद, प्रदीप कुमार, सीओ प्रेम प्रकाश शर्मा व मनोज राम, तत्कालीन एसएसपी विवेक कुमार, वन विभाग के रेंज अफसर ददन कुमार शामिल हैं। 


संयुक्त सचिव अंजु सिंह की ओर से जारी पत्र में कार्मिक विभाग को सिफारिश की गई है कि इन दागी अधिकारियों और कर्मचारियों को किसी प्रकार का वित्तीय लाभ या प्रोन्नति (प्रमोशन) नहीं दी जाए। साथ ही, लंबित मामलों की तेजी से जांच कर कठोर दंड देने की बात भी कही गई है। राज्य सरकार का दावा है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' की नीति पर काम हो रहा है। पिछले वर्षों में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो (Vigilance Investigation Bureau) और एंटी करप्शन यूनिट की छापेमारी और गिरफ्तारी से यह जाहिर होता है कि अब भ्रष्ट अफसरों को बख्शा नहीं जा रहा।