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Bihar Election 2025: मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर बहुओं के ससुराल से लेकर मायके तक टेंशन, कैसे जुड़ेगा वोटर लिस्ट में नाम?

Bihar Election 2025: बिहार में विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान के दौरान बहुओं और नए मतदाताओं को दस्तावेजों की अनिवार्यता के कारण कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बीएलओ को भी दिशा-निर्देशों की स्पष्टता न होने से दिक्कतें आ रही हैं।

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Sun, 06 Jul 2025 12:12:41 PM IST

Bihar Election 2025

प्रतिकात्मक - फ़ोटो google

Bihar Election 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण का कार्य तेज़ी से चल रहा है। इस प्रक्रिया में सबसे ज़्यादा परेशानी उन बहुओं को हो रही है जो ससुराल में अपना नाम वोटर लिस्ट में जुड़वाना चाहती हैं। नियम के अनुसार, बहू का नाम ससुराल की मतदाता सूची में तभी जोड़ा जाएगा जब उसके माता-पिता के दस्तावेज उसके फॉर्म के साथ संलग्न किए जाएं।


बहुओं के मायके से दस्तावेज मंगवाने को लेकर भागदौड़ मची हुई है, खासकर वे महिलाएं जिनके मायके दूर हैं या जिनके माता-पिता जीवित नहीं हैं। ऐसी स्थिति में बीएलओ भी असमंजस में हैं कि किनका दस्तावेज फॉर्म के साथ संलग्न किया जाए। मीनापुर के एक बीएलओ ने बताया कि उनके पास ऐसा मामला आया है लेकिन स्पष्ट निर्देश नहीं हैं कि इस स्थिति में क्या करना है। फिलहाल बहुओं के फॉर्म भर लिए गए हैं, और अधिकारियों से मार्गदर्शन मांगा गया है। दिशा-निर्देश मिलने के बाद ही दस्तावेज संलग्न करके फॉर्म को ऐप पर अपलोड किया जाएगा।


1 जुलाई 1987 के बाद जन्मे मतदाता को उनके फॉर्म के साथ उन्हें स्वयं या माता-पिता में से किसी एक का दस्तावेज देना होगा। 2 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे मतदाताओं के फॉर्म के साथ स्वयं और माता-पिता दोनों के दस्तावेज जरूरी हैं। हालांकि, जिनके माता-पिता जीवित नहीं हैं, उनके लिए स्पष्ट निर्देश नहीं मिले हैं, जिससे वे परेशान हैं। जिला उप निर्वाचन पदाधिकारी सत्यप्रिय कुमार से संपर्क नहीं हो पाने के कारण स्थिति और अधिक जटिल बनी हुई है।


मड़वन के एक बीएलओ ने बताया कि उन्हें एक ऐसा परिवार मिला है जिसके नौ सदस्य दिल्ली में रहते हैं, जबकि सिर्फ एक व्यक्ति घर पर है। उनके दस्तावेज व्हाट्सएप या ई-मेल के माध्यम से मंगाने की कोशिश की जा रही है। वहीं पारू, साहेबगंज और कांटी जैसे इलाकों में 50 से अधिक घरों में ताले लगे मिले हैं। वहां रहने वाले कहां गए हैं, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। बीएलओ ने बताया कि ऐसे घरों पर केवल स्टीकर चिपकाए जा सके हैं, लेकिन फॉर्म नहीं भरे जा सके।


कई बीएलओ ने बताया कि वे शुरुआत में उन मतदाताओं को प्राथमिकता दे रहे हैं जिनके दस्तावेज पूरे हैं। उनके फॉर्म भरकर ऐप पर अपलोड किए जा रहे हैं ताकि शुरुआती रिपोर्टिंग में उपलब्धि दिख सके और कार्यवाही से बचा जा सके। पेचीदा मामलों में फॉर्म फिलहाल भरकर अपने पास रखा जा रहा है और दस्तावेज मिलने पर ही उसे अपलोड किया जाएगा। साथ ही मतदाताओं पर दस्तावेज जल्द से जल्द उपलब्ध कराने का दबाव बनाया जा रहा है।