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25-Dec-2025 07:55 PM
By FIRST BIHAR
Makar Sankranti 2026: हिंदू धर्म में व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व है, जिनसे जुड़ी कई प्राचीन धार्मिक मान्यताएं प्रचलित हैं। इन्हीं में से एक प्रमुख और पावन पर्व है मकर संक्रांति, जो पौष माह में मनाया जाता है। इस माह में सूर्य देव और भगवान विष्णु की पूजा से अच्छे स्वास्थ्य के साथ सुख-समृद्धि की प्राप्ति मानी जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है, तभी मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य उपासना और नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।
हिंदू पंचांग और ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार वर्ष 2026 में सूर्य देव 14 जनवरी को मकर राशि में गोचर करेंगे। यह गोचर दोपहर 3:13 बजे होगा, इसी कारण मकर संक्रांति 14 जनवरी 2026 को मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन स्नान, दान और गया श्राद्ध का विशेष महत्व होता है। इसे नए वर्ष के सबसे बड़े और शुभ त्योहारों में से एक माना जाता है।
मकर संक्रांति पूरे भारत में अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाई जाती है। गुजरात में इसे उत्तरायण, पंजाब में लोहड़ी, असम में माघ बिहू और तमिलनाडु में पोंगल के रूप में मनाया जाता है। कई राज्यों में इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है, तो कहीं खिचड़ी और विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं। इसी दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर बढ़ता है, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा या यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
वर्ष 2026 की मकर संक्रांति विशेष रूप से शुभ मानी जा रही है, क्योंकि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। ज्योतिष के अनुसार, सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए कार्यों में सफलता मिलती है और बाधाएं दूर होती हैं, जबकि अमृत सिद्धि योग में किए गए कार्य स्थायी फल देते हैं। इन शुभ योगों के कारण मकर संक्रांति पर किए गए दान और पुण्य कर्मों का महत्व और बढ़ जाता है, और मान्यता है कि इस दिन किया गया दान दोगुना फल देता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति पर दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इस दिन अन्न जैसे गेहूं, चावल और दाल का दान करना शुभ माना जाता है। साथ ही जरूरतमंदों को वस्त्र और धन का दान, तिल-गुड़ का वितरण तथा गाय, कुत्तों और पक्षियों को भोजन कराना भी पुण्यदायी माना जाता है।