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यूपी के गाजीपुर में गरजे मुकेश सहनी, बोले- यहां के निषादों में संघर्ष की ताकत, लेकिन नेता भटक गए हैं

यूपी के गाजीपुर में गरजे मुकेश सहनी, बोले- यहां के निषादों में संघर्ष की ताकत, लेकिन नेता भटक गए हैं

09-Sep-2023 06:45 PM

By First Bihar

GAJIPUR/PATNA: विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी शनिवार को अपनी निषाद आरक्षण संकल्प यात्रा के क्रम में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर पहुंचे। यहां पहुंचने के बाद खराब मौसम के बावजूद हजारों लोगों ने दिल खोलकर उनका स्वागत किया और वीआईपी तथा मुकेश सहनी के पक्ष में नारे लगाए। 


शनिवार को सहनी की संकल्प यात्रा की शुरुआत रेवती प्रखंड के जमानियां मोड़ से हुई। यहां बड़ी संख्या में महिला, बुजुर्ग, युवा सहित बच्चों ने सहनी का स्वागत किया। यहां लोगों ने आने वाली पीढ़ी के उज्जवल भविष्य के लिए पढ़ाने का तथा संघर्ष करने का हाथ में गंगाजल लेकर संकल्प लिया। लोगों को संबोधित करते हुए मुकेश सहनी ने कहा कि यहां के निषाद अपने समाज के अधिकार को लेकर संघर्ष करने को तैयार हैं, लेकिन यहां के निषाद के नेता कहे जाने वाले उन्हीं के गोद में बैठ गए हैं, जिनसे हमें लड़ना है। 


उन्होंने बिना किसी के नाम लिए इशारों ही इशारों में संजय निषाद पर निशाना साधते हुए कहा कि यहां के नेता भटक गए हैं। बिहार छोड़कर यूपी में निषादों के हक और अधिकार के लिए संघर्ष करने आए हैं क्योंकि निषाद मेरे लिए जाति नहीं मेरा परिवार है, जबकि यहां के नेता के लिए उनका अपना परिवार ही निषाद समाज है। सहनी ने लोगों में उत्साह भरते हुए कहा कि वे जब बिहार में एनडीए की सरकार में मंत्री थे तब भी यहां के चुनाव में निषादों की लड़ाई को लड़ने के लिए आए थे। उन्होंने कहा कि दुश्मन ताकतवर है, लेकिन हमारे पास हौसला है।


जमानियां मोड़ के बाद यह यात्रा माधव पैलेस (बईपुर), चोचकपुर ग्राउंड (मौनी बाबा धाम) होते हुए देवकली के नन्दूगंज पहुंची। इन सभी जगहों पर बड़ी संख्या में लोग सहनी का इंतजार कर रहे थे। इन जगहों पर सहनी ने लोगों के हाथ में गंगाजल देकर लोगों से संघर्ष के लिए संकल्प करवाया। सहनी ने लोगों से स्पष्ट कहा कि घोसी उप चुनाव में निषाद के बेटों ने अपनी ताकत दिखा दी। इस चुनाव में निषादों ने इस आरक्षण को लड़ाई लड़ने का संकल्प दोहराते हुए भाजपा प्रत्याशी को हराने का काम किया। भाजपा के नेता भी अब मानने लगे हैं, निषाद के वोट के बिना जीत आसान नहीं है।