NEET UG 2025: नीट यूजी 2025 की काउंसिलिंग शुरू, बिहार में MBBS की 1490 और BDS की 140 सीटें उपलब्ध Bihar News: नहाने गए 7 वर्षीय मासूम पर मगरमच्छ का हमला, मौत Bihar News: शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला, बिहार के 31 हजार से ज्यादा स्कूलों में होगा यह नया काम Bihar News: राजगीर और पटना में बनने जा रहा आधुनिक फोरेंसिक लैब, राज्य सरकार का बड़ा कदम Patna News: पटना को मिली नई रफ्तार, मीठापुर-महुली एलिवेटेड रोड से इन जिलों का सफर होगा सुगम Bihar Weather: उत्तर बिहार में बारिश, दक्षिण में गर्मी का प्रकोप; पटना में इस दिन से राहत BIHAR: बंद बोरे में शव मिलने की अफवाह का वैशाली पुलिस ने किया खुलासा, बोरे से निकला दर्जनों मरा हुआ चूहा BIHAR: कंपाउंडर के बेटे ने नीट में 390 रैंक हासिल कर पिता का सपना किया साकार, पहले प्रयास में मिली सफलता बिहार वैश्य महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनंद कुमार बने धार्मिक न्यास पर्षद के सदस्य, वैश्य समाज के लोगों ने दी बधाई ROHTAS: जेल से छूटकर आने के बाद भाई के जख्म का लिया बदला, चलती बस में आरोपी को मारा चाकू
30-Dec-2020 07:45 AM
DESK : केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 34 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान कानून वापसी की मांग पर डटे हुए हैं. किसान और सरकार के बीच में आज एक बार फिर बातचीत होगी. आज यानी बुधवार को केंद्र और आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के बीच ठहरी हुई सातवें दौर की बातचीत होगी.
हालांकि, प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने कहा कि चर्चा केवल तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीकों एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देने पर ही होगी. बता दें कि इससे पहले सरकार और किसान संगठनों के बीच छह दौर की वार्ता हो चुकी है और सभी बेनतीजा ही रहीं. इधर, सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉडर्र और गाजीपुर बॉर्डर पर किसान तंबू तान कर डटे हुए हैं.
कृषि मंत्री तोमर, खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश किसानों के साथ वार्ता में केंद्र का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। तोमर ने सोमवार को कहा था कि उन्हें गतिरोध के जल्द दूर होने की उम्मीद है। केंद्र ने सोमवार को आंदोलन कर रहे 40 किसान संगठनों को सभी प्रासंगिक मुद्दों का तार्किक हल खोजने के लिए 30 दिसंबर को अगले दौर की बातचीत के लिए आमंत्रित किया। लेकिन किसान यूनियनों का प्रतिनिधित्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार को केंद्र को लिखे पत्र में कहा कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीकों एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने का मुद्दा वार्ता के एजेंडे का हिस्सा होना ही चाहिए।