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06-Dec-2021 04:10 PM
MUNGER: मुंगेर में एक कलयुगी बेटे की करतूत सामने आई है। संपत्ति के लालच में बेटे ने पिता को तीन महीने तक एक कमरे में बंद रखा। इस दौरान बुजुर्ग पिता को कई दिनों तक खाना भी नहीं दिया गया। उनकी तबीयत काफी बिगड़ गयी। यहां तक की पिता से किसी को मिलने भी नहीं देता था। ना ही बड़े भाई को और ना ही मां को ही पिता से मिलने देता था। बहन जब मिलने आती थी तो उसे भी घर में घुसने नहीं देता था। पिता से मिलने की इजाजत किसी को नहीं थी। छोटे भाई की इस करतूत से बहन काफी परेशान थी। अचानक एक दिन वह छोटे भाई के घर पर कुछ लोगों को लेकर पहुंच गयी जहां उसे अपने पिता की हालात देखी नहीं गयी। आनन-फानन में वह पिता को लेकर अस्पताल पहुंच गयी और बेटी होने के फर्ज को निभाया। बुजुर्ग पिता का इलाज मुंगेर सदर अस्पताल में चल रहा है।
मामला मुंगेर के कोतवाली थाना क्षेत्र के लल्लू पोखर की है जहां संपत्ति की लालच में छोटे बेटे ने बीमार पिता को तीन महीने तक घर में बंद कर रखा था। कई दिनों तक तो बेटा उन्हें खाना भी नहीं देता था। जिससे उनकी तबीयत और बिगड़ने लगी। मां अपने बड़े बेटे के घर पर रहती है। मां और बड़े बेटे को भी मिलने नहीं दिया जाता है। छोटे बेटे ने घर में परिवार के किसी भी सदस्य की एंट्री पर रोक लगा रखी है। जिसके कारण बुजुर्ग योगेन्द्र प्रसाद से मिलने कोई नहीं आता था। योगेन्द्र प्रसाद होमियोपैथ के चिकित्सक थे। उनके दो बेटे और एक बेटी है। बड़े बेटे नीरज और छोटे बेटे दीपक कुमार हैं।
मां बड़े बेटे नीरज के साथ रहती है जबकि पिता छोटे बेटे दीपक के साथ रहते हैं। वही बेटी की शादी योगेन्द्र प्रसाद ने भागलपुर किया है। अपने पिता से मिलने के लिए रुबी देवी आती थी लेकिन उसे भी पिता से मिलने नहीं दिया जाता था। उसे इस बात की जानकारी हो गयी थी कि उनके पिता की तबीयत ठीक नहीं रह रही है। उनका ना तो सही से इलाज कराया जा रहा है और ना ही समय पर खाना ही दिया जा रहा है। समय पर खाना और दवा नहीं मिलने पर उनकी स्थिति दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है। एक दिन रूबी अपने पिता से मिलने कुछ लोगों के साथ पहुंच गयी और जबरन घर के अंदर घुस गयी तब घर में देखा कि पिता को रुम में बंद रखा गया है फिर क्या था रुबी पिता को लेकर अस्पताल पहुंच गईं जिसके बाद उनका इलाज शुरू किया गया।
बेटी रुबी ने बताया कि उसके छोटे भाई दीपक ने पिता को तीन महीने से घर में बंद कर रखा था। उनसे किसी को भी मिलने वह नहीं देता था। यहां तक की मां को भी पिता से मिलने नहीं दिया जाता था। ऐसा करने के पीछे उसकी सोच यह थी कि वह अकेले ही पूरी संपत्ति को हथियाना चाहता था। उसे इस बात का डर था कि कही पिता घर से बाहर निकलेंगे तब उनका बड़ा बेटा और बेटी जायदाद को अपने नाम करवा लेंगे। यही कारण था कि बीमार रहने के बावजूद उन्हें अस्पताल तक नहीं ले गया। बेटे की इस करतूत की चर्चा इलाके में भी हो रही है। इलाके के लोग भी छोटे बेटे की इस रवैय्ये से सकते में हैं।