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05-Jul-2020 06:31 PM
DESK : कुत्ते के मांस खाने के शौकीन लोगों को झटका लगा है. राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. कैबिनेट की बैठक में कुत्तों के मांस पर व्यावसायिक आयात और व्यापार पर प्रतिबंध लगाने का फै़सला किया गया है. बीते कुछ समय से कुत्तों के मांस की बिक्री पर पाबंदी लगाने को लेकर कुछ संगठन आवाज उठा रहे थे. जिसके बाद सरकार ने यह कदम उठाया है.
नगालैंड सरकार की कैबिनेट की बैठक में यह बड़ा निर्णय लिया गया है. मुख्यमंत्री नेफ़्यू रियो की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की एक अहम बैठक में कुत्ते के मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही प्रदेश में कुत्तों के बाज़ारों को पूरी तरह बंद करने का निर्णय लिया गया है. नगालैंड के मुख्य सचिव तेमजन टॉय ने ट्वीट कर इस बात की पुष्टी करते हुए कहा, "राज्य सरकार ने कुत्तों के बाज़ार और कुत्तों के वाणिज्यिक आयात और बिक्री पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही कुत्तों के कच्चे और पके मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है."
इससे पहले इस साल मार्च में पूर्वोत्तर राज्य मिज़ोरम ने पशुओं की स्लॉटरिंग यानी वध के लिए उपयुक्त जानवरों की परिभाषा से कुत्तों को हटाने से जुड़े कानून में संशोधन किया था. इसके बाद अब नगालैंड सरकार ने यह कदम उठाया है. दरअसल नगालैंड और मिज़ोरम में कुत्ते का मांस बेचने का यह मुद्दा काफी पुराना है लेकिन फे़डरेशन ऑफ़ इंडिया एनिमल प्रोटेक्शन आर्गेनाईजे़शन ने नगालैंड सरकार से तत्काल कार्रवाई करने के लिए गुरुवार को अपील की थी जिसके बाद से ये मुद्दा फिर से सुर्खियों में आ गया.
The State Government has decided to ban commercial import and trading of dogs and dog markets and also the sale of dog meat, both cooked and uncooked. Appreciate the wise decision taken by the State’s Cabinet @Manekagandhibjp @Neiphiu_Rio
— Temjen Toy (@temjentoy) July 3, 2020
बता दें कि नगालैंड सरकार ने ये फैसला फेडरेशन ऑफ़ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशन (FIAPO) की अपील के बाद लिया है. इस बारे में FIAPO के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर वरदा मेहरोत्रा ने बताया कि हाल ही में उस वक्त हमारे होश उड़ गए जब दीमापुर (नगालैंड का व्यापारिक केंद्र) में कई कुत्ते बोरों में बंद होकर बिकने के लिए आए थे. उन्हें बेहद क्रूरता के साथ बोरों में बंद कर कसाईखाने ले जाया जा रहा था.
नगालैंड में कुत्ते की मांस की बिक्री, तस्करी और खपत पर प्रतिबंध लगाने के लिए फे़डरेशन ऑफ़ इंडिया एनिमल प्रोटेक्शन आर्गेनाईजे़शन की कानूनी प्रबंधक वर्णिका सिंह ने मुख्यमंत्री नेफ़्यू रियो को तत्काल कार्रवाई के लिए एक पत्र लिखा था. उन्होंने अपने पत्र में लिखा था,"हमने नगालैंड के दीमापुर में 'पशु बाज़ारों' की हालिया तस्वीरों को देखा है जिसके कारण हमें एक बार फिर से आघात पहुंचा हैं. अवैध व्यापार के लिए बोरियों में बांधकर इस वेट मार्केट में लाए गए कुत्तों को भयानक परिस्थितियों रखा जा रहा है जो देखा जा सकता है."
बता दें कि पूर्वोत्तर के राज्यों में कुत्ते का मीट खाया जाता है. यहां के लोग कुत्ते के मीट को उच्च पोषण मानते हैं. वैसे तो कानूनी रूप से कुत्ते की हत्या और उसका मांस खाना अवैध है, लेकिन नगालैंड समेत पूर्वोत्तर के राज्यों में लोग कुत्ते का मांस खाते हैं. अभी हाल ही में कुत्ते से बर्बारता का एक वीडियो भी वायरल हुआ था. इस वीडियो के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर काफी बवाल मचा था. प्रतिबंध लगाने की एक वजह ये भी बताई जा रही है जबकि कुछ लोग इसे कोरोना के बढ़ते मामलों से जोड़कर भी देख रहे हैं. खैर जो भी हो, लेकिन मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो के इस आदेश की हर जगह प्रशंसा हो रही है.
गौरतलब है कि कुत्तों के मांस के लिए उनकी तस्करी होती रही है. आवारा कुत्तों को पकड़कर उनके साथ क्रूरता पूर्ण व्यवहार होता है. कुत्तों के मांस का मार्केट नगालैंड के अलावा असम और पश्चिम बंगाल तक फैला है. जानकार बताते हैं कि असम में 50 रुपये में पकड़ा गया कुत्ता नगालैंड के होलसेल मांस मार्केट में 1000 रुपये तक में बिकता है. नगालैंड में कुत्तों के मांस की बिक्री 200 रुपये प्रति किलो तक होती है. यानी कि एक कुत्ते पर लोग यहां 2 हजार रुपये तक कमा लेते हैं. इस वजह से कुत्तों की तस्करी बड़े पैमाने पर होने लगी थी.