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23-Oct-2025 09:03 AM
By First Bihar
Bihar Assembly Election : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन ने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर बड़ा फैसला कर लिया है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सूत्रों की मानें तो तेजस्वी यादव महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे। आज महागठबंधन के सभी दल इस फैसले पर मुहर लगाएंगे और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनावी प्रचार की शुरुआत होगी।
सूत्रों के अनुसार, महागठबंधन के विभिन्न घटक दलों के बीच हुई लंबी बातचीत और विचार-विमर्श के बाद तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने पर सहमति बनी है। तेजस्वी के नाम की आधिकारिक घोषणा आज की जाने वाली संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में होगी। महागठबंधन ने अपने चुनावी नारे के रूप में ‘चलो बिहार.. बदलें बिहार’ को चुना है, जिससे यह संदेश दिया जा सके कि गठबंधन राज्य में परिवर्तन की दिशा में काम करेगा।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए होटल मौर्य में तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। हालांकि, इसकी समय-सारणी के बारे में फिलहाल कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है। इस बैठक में न केवल मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा की जाएगी, बल्कि महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर चल रहे विवाद और मतभेद भी सुलझाए जाने की संभावना है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रेस कॉन्फ्रेंस महागठबंधन की चुनावी रणनीति की दिशा को स्पष्ट करेगी और गठबंधन में सीटों के निष्पक्ष वितरण की स्थिति साफ करेगी।
कांग्रेस और अन्य घटक दलों की भूमिका भी इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण रही है। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस ने आरजेडी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार के चयन में शुरुआती हिचकिचाहट दिखाई थी। हालांकि, बुधवार को हुई बैठकों और बातचीत के बाद कांग्रेस ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार स्वीकार करने का निर्णय लिया। इस बातचीत में कांग्रेस के सीनियर नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके पुत्र तेजस्वी यादव शामिल थे। इसके साथ ही कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु भी मौजूद थे।
वर्तमान में महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर गतिरोध की स्थिति बनी हुई थी। सूत्रों के अनुसार, कुछ सीटों पर कांग्रेस और आरजेडी के उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में थे, जबकि चार सीटों पर भाकपा और कांग्रेस, और दो सीटों पर विकासशील इंसान पार्टी (VIP) और आरजेडी के बीच प्रतिद्वंद्विता बनी हुई थी। इस गतिरोध के चलते कई सीटों पर चुनावी मुकाबला अनिश्चित और जटिल हो गया था।
महागठबंधन के नेताओं ने इस समस्या के समाधान के लिए संवाद और सामंजस्य की नीति अपनाई। चर्चा के दौरान यह भी तय हुआ कि गठबंधन के सभी घटक दल अपने मतभेदों को पीछे रखकर एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरेंगे। सूत्रों का कहना है कि बुधवार को हुई बातचीत से मतभेद कम करने में मदद मिली और अब दोस्ताना मुकाबला केवल कुछ सीमित सीटों तक सिमट सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बनने के बाद महागठबंधन की चुनावी रणनीति को नई गति मिलेगी। आरजेडी की ओर से पहले से ही ‘तेजस्वी सरकार’ के मुद्दे को चुनावी प्रचार का केंद्र बनाया गया था, जबकि कांग्रेस इस मुद्दे पर हिचकिचा रही थी। अब कांग्रेस ने इसे स्वीकार कर लिया है, जिससे गठबंधन में स्पष्टता और सामंजस्य दिखता है।
तेजस्वी यादव की युवा और आधुनिक छवि को चुनावी मैदान में एक ताकत के रूप में पेश किया जाएगा। ‘चलो बिहार.. बदलें बिहार’ नारा राज्य के विभिन्न वर्गों को जोड़ने और महागठबंधन के समर्थन को बढ़ाने का एक माध्यम होगा। इसके साथ ही गठबंधन अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए किसानों, युवाओं और महिलाओं के मुद्दों को प्रमुखता से उठाएगा।
महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि किन-किन सीटों पर गठबंधन दल आपस में उम्मीदवार नहीं उतारेंगे और किन सीटों पर सीमित मुकाबला होगा। इससे चुनाव के पहले राजनीतिक हलचल में स्थिरता आएगी और मतदाता भी स्पष्ट संदेश पाएंगे कि महागठबंधन एकजुट है और मुख्यमंत्री पद के लिए तेजस्वी यादव को अपना नेतृत्व मानता है।
कुल मिलाकर, महागठबंधन ने अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार को तय कर के चुनावी मैदान में एक निर्णायक रणनीति अपनाई है। अब यह देखना बाकी है कि ‘चलो बिहार.. बदलें बिहार’ के नारे और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में गठबंधन की यह नई पहल चुनावी परिणामों पर किस तरह असर डालती है।