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Bihar Election 2025 : जीपीएस से लैस फ्लाइंग स्क्वाड टीमों से आयोग करवा रही निगरानी, पुलिस अलर्ट मोड में; जानिए क्या है पूरा प्लान

Bihar Election 2025 : Bihar Election 2025 में फ्लाइंग स्क्वाड टीमों की सरकारी गाड़ियां GPS से लैस हैं। अधिकारी हर पल की गतिविधि ट्रैक कर आचार संहिता उल्लंघन पर तुरंत कार्रवाई करेंगे। पुलिस भी अलर्ट मोड में है।

Bihar Election 2025 : जीपीएस से लैस फ्लाइंग स्क्वाड टीमों से आयोग करवा रही निगरानी, पुलिस अलर्ट मोड में; जानिए क्या है पूरा प्लान

25-Oct-2025 07:56 AM

By First Bihar

Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को शांतिपूर्ण और पारदर्शी तरीके से संपन्न कराने के लिए चुनाव आयोग और प्रशासन पूरी तरह से हाइटेक मोड में आ गया है। इस बार चुनावी प्रक्रिया को और अधिक सटीक और निगरानीपूर्ण बनाने के लिए सभी फ्लाइंग स्क्वाड टीमों (एफएसटी) की सरकारी गाड़ियों को जीपीएस सिस्टम से लैस कर दिया गया है। इसका उद्देश्य है कि प्रत्येक टीम की गतिविधियों पर अधिकारियों की सीधी नजर बनी रहे और किसी भी प्रकार के आचार संहिता उल्लंघन या गड़बड़ी की सूचना मिलते ही त्वरित कार्रवाई की जा सके।


जिला निर्वाचन अधिकारी के अनुसार, चुनाव को शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष ढंग से संचालित करने के लिए तकनीकी साधनों का अधिकतम उपयोग किया जा रहा है। जीपीएस सिस्टम के माध्यम से अब अधिकारियों को हर वाहन की लोकेशन, मूवमेंट और टीम की गतिविधियों की पल-पल की जानकारी मिल रही है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि कोई भी टीम अपने क्षेत्र में सक्रिय रहे और किसी भी प्रकार की अनियमितता पर तत्काल प्रतिक्रिया दी जा सके।


जानकारों का कहना है कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में तीन फ्लाइंग स्क्वाड टीमें लगातार गश्त कर रही हैं। कुल मिलाकर पूरे जिले में करीब 38 टीमें गठित की गई हैं। इन्हें आठ-आठ घंटे के शिफ्ट में 24 घंटे क्षेत्र में घूमते रहने का निर्देश दिया गया है। इन टीमों की जिम्मेदारी राजनीतिक दलों, प्रत्याशियों और उनके समर्थकों की गतिविधियों पर पैनी नजर रखना है, ताकि किसी प्रकार की अवैध गतिविधि, धन-बल या शराब वितरण जैसी घटनाओं को रोका जा सके।


चुनाव कंट्रोल रूम में किसी भी प्रकार की सूचना प्राप्त होते ही संबंधित एफएसटी टीम को जीपीएस के जरिये लोकेट किया जा सकता है। इसके बाद टीम को मौके पर भेजा जाता है, जहां आवश्यकतानुसार सुरक्षाबलों की मदद से आगे की कार्रवाई की जाती है। यह व्यवस्था पहले की तुलना में कहीं अधिक सटीक और प्रभावी है, क्योंकि अब अधिकारियों को फोन या मैसेज पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। जीपीएस सिस्टम से हर वाहन का मूवमेंट तुरंत देखा जा सकता है।


अधिकारियों के मुताबिक, यह तकनीक चुनावी पारदर्शिता बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगी। पहले जहां कई बार एफएसटी टीमों की लोकेशन ट्रैक करना मुश्किल होता था, वहीं अब उनकी हर मूवमेंट की रिपोर्ट डिजिटल सिस्टम पर स्वतः अपडेट होती रहेगी।


विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य के सभी जिलों में पुलिस प्रशासन भी अलर्ट मोड पर है। बगहा जिले में पुलिस अधीक्षक सुशांत कुमार सरोज ने सभी थाना क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सख्त निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में कानून-व्यवस्था से समझौता नहीं किया जाएगा।


एसपी के नेतृत्व में बैंकिंग क्षेत्रों, बाजारों, सरकारी प्रतिष्ठानों और प्रमुख यातायात बिंदुओं पर सघन जांच अभियान चलाया जा रहा है। पुलिस अधिकारी और जवान नियमित रूप से बैंकों, एटीएमों और वाहनों की जांच कर रहे हैं ताकि कोई संदिग्ध गतिविधि सामने न आए।


चुनावी प्रक्रिया के दौरान संवेदनशील और अति-संवेदनशील इलाकों में पुलिस बल की तैनाती बढ़ा दी गई है। जिला प्रशासन ने अतिरिक्त बल को रणनीतिक रूप से ऐसे क्षेत्रों में भेजा है, जहां पहले गड़बड़ी या विवाद की आशंका रहती थी। रात के समय गश्त को भी तेज किया गया है ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत अंकुश लगाया जा सके।


एसपी सरोज ने बताया कि जिले के सभी थानों को चौकसी बढ़ाने, हर शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करने और चुनावी माहौल में किसी भी अफवाह या झूठी खबर पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही स्थानीय खुफिया इकाइयों को भी सक्रिय किया गया है ताकि संभावित जोखिमों का पहले से पता लगाया जा सके।


बिहार चुनाव 2025 का यह दौर राज्य में तकनीक और सतर्कता के मेल का प्रतीक बन गया है। जहां एक ओर प्रशासन डिजिटल साधनों की मदद से चुनावी प्रक्रिया पर सीधी निगरानी रख रहा है, वहीं पुलिस प्रशासन जमीनी स्तर पर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत कर रहा है। जीपीएस मॉनिटरिंग, ड्रोन सर्विलांस और लाइव रिपोर्टिंग सिस्टम जैसी तकनीकों के सहारे यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई भी गड़बड़ी या आचार संहिता उल्लंघन चुनाव की पारदर्शिता को प्रभावित न कर सके।


अधिकारियों का मानना है कि इस तरह की व्यवस्थाओं से मतदाताओं में भी विश्वास बढ़ेगा कि उनका वोट सुरक्षित माहौल में डाला जा रहा है। बिहार चुनाव 2025 न केवल राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का मैदान बनेगा, बल्कि यह इस बात का भी उदाहरण होगा कि तकनीक के माध्यम से लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और अधिक सशक्त कैसे बनाया जा सकता है।