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पटना में विजिलेंस की बड़ी कार्रवाई: मातृत्व अवकाश के बदले घूस मांगने वाला शिक्षा विभाग का प्रधान लिपिक रंगेहाथ गिरफ्तार

पटना शिक्षा विभाग में घूसकांड, लिपिक अशोक कुमार वर्मा को निगरानी की टीम ने एक लाख रुपये घूस लेते हुए गिरफ्तार किया। उन्होंने मातृत्व अवकाश के लिए महिला कर्मचारी से डेढ़ लाख की मांग की थी।

Bihar

10-Jul-2025 04:51 PM

By First Bihar

PATNA: पटना से इस वक्त की बड़ी खबर आ रही है जहां शिक्षा विभाग के डीईओ कार्यालय के प्रधान लिपिक अशोक कुमार वर्मा को एक लाख रूपये घूस लेते निगरानी ने रंगेहाथ गिरफ्तार किया है। मातृत्व अवकाश के लिए अशोक कुमार वर्मा ने डेढ़ लाख रुपये का डिमांड किया था।


शिक्षा विभाग में कार्यरत एक वरिष्ठ कर्मचारी को घूसखोरी के मामले में विजिलेंस टीम ने रंगेहाथ गिरफ्तार किया है। पटना जिले के जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) कार्यालय में कार्यरत प्रधान लिपिक अशोक कुमार वर्मा को गुरुवार को एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए दबोचा गया।


उन पर आरोप है कि उन्होंने मातृत्व अवकाश (maternity leave) की स्वीकृति के बदले एक महिला कर्मचारी से डेढ़ लाख रुपये की रिश्वत की मांग की थी। महिला द्वारा इसकी शिकायत निगरानी विभाग (Vigilance Bureau) से की गई, जिसके बाद पूर्व नियोजित जाल में फंसाकर वर्मा को रंगे हाथ पकड़ा गया।


कैसे हुआ खुलासा?

सूत्रों के अनुसार, महिला कर्मचारी ने जब आलोक वर्मा से मातृत्व अवकाश स्वीकृति के लिए संपर्क किया, तो वर्मा ने प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के बदले ₹1.5 लाख की मांग रखी। परेशान होकर महिला ने इसकी शिकायत बिहार राज्य निगरानी अन्वेषण ब्यूरो से कर दी। विजिलेंस टीम ने शिकायत की प्रारंभिक जांच के बाद ट्रैप प्लान तैयार किया। गुरुवार को जैसे ही आलोक वर्मा ने एक लाख रुपये की पहली किस्त स्वीकार की, टीम ने उन्हें रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।


गिरफ्तारी के बाद कार्रवाई

गिरफ्तारी के तुरंत बाद अशोक वर्मा को पटना निगरानी थाने लाया गया, जहां उनसे पूछताछ की जा रही है। साथ ही उनके कार्यालय और आवास पर भी तलाशी की कार्रवाई की जा रही है। निगरानी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया:"यह मामला सरकारी सेवा में भ्रष्टाचार का गंभीर उदाहरण है। आरोपी के खिलाफ सुसंगत धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई है और उसे न्यायिक हिरासत में भेजने की प्रक्रिया चल रही है।"


शिक्षा विभाग की साख पर सवाल

इस घटना ने एक बार फिर शिक्षा विभाग की नैतिक साख और पारदर्शिता पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। जहां एक ओर सरकार शिक्षकों और कर्मचारियों को सुविधाएं देने की कोशिश कर रही है, वहीं विभाग के कुछ कर्मचारी ऐसी सुविधाओं को भी अवैध कमाई का जरिया बना रहे हैं।