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20-Mar-2025 04:35 PM
By First Bihar
Success Story: सफलता वक्त मांगती है, लेकिन भारत की इस बेटी ने कम उम्र में ही बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल कर लिया है। दरअसल, पेन स्टेट यूनिवर्सिटी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही दिव्या त्यागी ने एरोडायनामिक्स की 100 साल पुरानी गणित की एक मुश्किल समस्या को आसान बना दिया है। यह भारतीय मूल की रहने वाली है। दिव्या ने वह कर दिखाया है जो बड़े-बड़े महारथी नहीं कर पाए है। अब इससे विंड टरबाइन डिजाइन करने के नए रास्ते खुल गए हैं।
पेन स्टेट यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के अनुसार, एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स कर रही दिव्या ने ब्रिटिश एरोडायनामिक्स एक्सपर्ट हरमन ग्लाउर्ट के काम को और बेहतर बनाया है। ग्लाउर्ट का रिसर्च विंड टरबाइन की मैक्सिमम अटेनेबल पावर कॉएफिशिएंट पर फोकस्ड था। ग्लाउर्ट का मॉडल दक्षता को अधिकतम करता था, लेकिन टरबाइन रोटर पर लगने वाले फोर्स या हवा के दबाव में ब्लेड कैसे मुड़ते हैं जैसे जरूरी फेक्टर्स पर ध्यान नहीं देता था।
दिव्या की उपलब्धि ग्लाउर्ट के काम को और प्रसिद्ध बना दिया है जो उन्होंने टरबाइन पर लगने वाले कुल फोर्सेज पर विचार किया है, जिससे विंड टरबाइन गतिशीलता की समझ अधिक बढती है। साथ ही उन्होंने नकी रिसर्च किया है। उन्होंने श्रेयर ऑनर्स कॉलेज थीसिस के हिस्से के रूप में अपनी यूजी स्टडीज के दौरान पूरा किया, जो विंड एनर्जी साइंस में पब्लिश हुआ था।
वहीं बिजली उत्पादन को मैक्सिमम करने के लिए आइडियल फ्लो कंडीशन का डिटरमिनेशन किया है जो उनका काम विंड एनर्जी टेक्नोलॉजी के भविष्य को बदलने की क्षमता रखता है। उनके काम का दुनिया भर में अगली पीढ़ी के विंड टरबाइनों पर प्रभाव पड़ सकता है।
उन्होंने विंड एनर्जी प्रॉडक्शन को बढ़ाने और लागत को कम करने के लिए उनके रिसर्च के महत्व को प्रकाशित किया है। उनकी उपलब्धि की मान्यता में बेस्ट एयरोस्पेस इंजीनियरिंग थीसिस के लिए एंथोनी ई. वोल्क अवॉर्ड जीता, जो पूरी दुनिया में यादगार कर दिया है।