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09-Jan-2025 07:00 AM
By First Bihar
Radha Ashtami: हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस पावन दिन पर राधा रानी की पूजा की जाती है और भक्त व्रत रखकर मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना करते हैं। राधा रानी को सुख, समृद्धि, और नवसंचार की देवी माना जाता है। उनके भक्त उन्हें ही कृष्ण के रूप में पूजते हैं।
राधा रानी का महत्व
सनातन शास्त्रों में राधा रानी को द्वापर युग की महत्त्वपूर्ण संगिनी और भगवान कृष्ण की आत्मसंगिनी बताया गया है। यह कहा जाता है कि राधा और कृष्ण अभिन्न हैं। राधा रानी के कई नाम हैं, जिनमें "किशोरी जी" विशेष है। क्या आप जानते हैं कि उन्हें किशोरी जी क्यों कहा जाता है? इसके पीछे एक अद्भुत कथा है।
किशोरी जी कहलाने की कथा
यह कथा ऋषि कहोड़ और उनकी पत्नी सुजाता के पुत्र अष्टावक्र से जुड़ी है। कहते हैं, अष्टावक्र ने अपने ज्ञान और भक्ति के माध्यम से शास्त्रार्थ के क्षेत्र में ख्याति पाई। उनके जीवन में एक घटना का उल्लेख मिलता है, जब वे बरसाने पहुंचे। उनके विकृत रूप को देखकर वहां के लोग उनका उपहास उड़ाने लगे।
अष्टावक्र ने अपनी योग शक्ति से उन्हें पत्थर बना दिया। इस दौरान राधा रानी और भगवान कृष्ण भी वहां उपस्थित थे। राधा रानी की मुस्कान देखकर अष्टावक्र क्रोधित हो गए। लेकिन जब उन्होंने मुस्कान का कारण पूछा, तो राधा रानी ने कहा, “मैं तो आपमें जगत के पालनहार को देख रही हूं।”
यह सुनकर अष्टावक्र प्रसन्न हो गए और राधा रानी को ताउम्र किशोरी बने रहने का वरदान दिया। इसी कारण से उन्हें "किशोरी जी" के नाम से जाना जाता है।
पूजा का महत्व
राधा अष्टमी पर भक्तजन व्रत रखकर राधा रानी की पूजा करते हैं। यह माना जाता है कि इस दिन उनकी आराधना करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
राधा अष्टमी का यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह प्रेम, भक्ति और त्याग का प्रतीक भी है। इस दिन राधा-कृष्ण के प्रेम को स्मरण कर जीवन में पवित्रता और सद्भावना का संदेश मिलता है।
इस राधा अष्टमी पर, आइए हम सभी राधा रानी की कृपा से अपने जीवन को आलोकित करें।