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06-Mar-2025 06:47 AM
By First Bihar
Premananda Maharaj: राधारानी के परम भक्त प्रेमानंद महाराज अपने प्रवचनों को लेकर हमेशा चर्चा में बने रहते हैं। उनके प्रवचनों में गहरी आध्यात्मिकता और समाज के प्रति जागरूकता झलकती है। हाल ही में उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें उनसे महिलाओं के छोटे कपड़ों को लेकर सवाल किया गया था। इस विषय पर महाराजजी ने क्या कहा, आइए जानते हैं।
प्रश्न: मंदिर में महिलाओं के छोटे वस्त्र पहनने पर आपका क्या विचार है?
वायरल वीडियो में भीमाशंकर संस्थान के पुजारी ने प्रेमानंद महाराज से यह सवाल किया कि जब महिलाएं छोटे वस्त्र पहनकर मंदिर आती हैं और उन्हें टोका जाता है, तो वे इसे अपनी स्वतंत्रता बताती हैं और विरोध जताती हैं। पुजारी ने इस स्थिति पर मार्गदर्शन की मांग की।
प्रेमानंद महाराज का उत्तर:
महाराजजी ने उत्तर देते हुए कहा कि आज के समय में मन और इंद्रियों की गुलामी को स्वतंत्रता माना जाता है, जबकि शास्त्रों और गुरुजनों की आज्ञा को परतंत्रता समझा जाता है। जब समाज में संतों और शास्त्रों की वाणी के प्रति श्रद्धा नहीं रहती, तो लोग अपने मन के अनुसार आचरण करने लगते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई व्यक्ति अपनी बहन के प्रति पवित्र दृष्टि रख सकता है, तो समाज की सभी महिलाओं को भी उसी दृष्टि से देखना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि भगवान ही समाज को शुद्ध करने की शक्ति रखते हैं और वही संतों की वाणी से यह कार्य करवा सकते हैं।
शास्त्र आज्ञा का पालन कम हो गया है
महाराजजी ने यह भी कहा कि आजकल शास्त्रों की आज्ञा का पालन करने का समय नहीं है, बल्कि मनमाने आचरण का दौर चल रहा है। अगर कोई व्यक्ति इस विषय पर खुलकर बोलेगा, तो उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो सकती है और समाज उसे ही गलत समझ सकता है। इसलिए सबसे पहले अपनी दृष्टि को शुद्ध करना आवश्यक है।
गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड संस्कृति पर विचार
प्रेमानंद महाराज ने वर्तमान समय में बढ़ती गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड संस्कृति पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आजकल युवा एक-दूसरे के साथ रिश्ते बनाते हैं और जब ब्रेकअप हो जाता है तो नए रिश्ते की तलाश में लग जाते हैं। शास्त्रीय दृष्टि से इसे व्यभिचार कहा गया है। उन्होंने बताया कि संयम और पवित्रता का महत्व धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है, जिससे समाज में मर्यादा और नैतिकता की कमी होती जा रही है।
समाधान: अपने भावों को शुद्ध रखें
महाराजजी ने बताया कि सबसे अच्छा समाधान यही है कि व्यक्ति अपनी दृष्टि को शुद्ध करे और अपने भावों को पवित्र बनाए। उन्होंने यह भी कहा कि किसी को सुधारने के प्रयास में स्वयं फंसने की संभावना होती है, इसलिए सबसे पहले आत्मशुद्धि पर ध्यान देना चाहिए। प्रेमानंद महाराज के अनुसार, समाज में नैतिकता और शुद्धता बनाए रखना आवश्यक है। मंदिर जैसे पवित्र स्थानों पर श्रद्धा और मर्यादा का पालन करना चाहिए। हालांकि, उन्होंने यह भी चेताया कि यदि कोई व्यक्ति इन मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखता है, तो उसे समाज से विरोध भी झेलना पड़ सकता है। इसलिए, सबसे पहले आत्मशुद्धि और अपनी दृष्टि को पवित्र बनाए रखना ही सबसे अच्छा उपाय है।