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18-Oct-2025 02:01 PM
By First Bihar
Govardhan Puja 2025: हर साल दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष 2025 में यह पावन पर्व 22 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जाएगा। कार्तिक मास की शुक्ल प्रतिपदा तिथि को मनाया जाने वाला यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गौ माता की पूजा को समर्पित है। इस दिन लोग घर के आंगन या मंदिर परिसर में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर पूजा-अर्चना करते हैं और भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग (अन्नकूट) का प्रसाद अर्पित करते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने देवेंद्र इंद्र के घमंड को तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठा लिया था। उस समय इंद्र ने ब्रजवासियों पर लगातार वर्षा करके उन्हें दंड देने का प्रयास किया था, लेकिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत के नीचे सभी लोगों और गायों को सुरक्षित स्थान प्रदान किया। इस घटना की स्मृति में ही हर वर्ष गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास बताते हैं कि इस दिन गोवर्धन पर्वत, भगवान कृष्ण और गौ माता की पूजा का विशेष विधान है। यह पर्व न केवल भक्ति और आस्था का प्रतीक है बल्कि यह प्रकृति और पशुधन के प्रति हमारी कृतज्ञता भी दर्शाता है।
‘अन्नकूट’ का अर्थ होता है, अन्न का ढेर। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को विभिन्न प्रकार के व्यंजन — मिठाई, पूड़ी, सब्ज़ियाँ, फल, मिष्ठान्न आदि का भोग लगाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन श्रद्धापूर्वक भोजन का दान और प्रसाद वितरण करने से अन्न और समृद्धि की प्राप्ति होती है। देशभर के मंदिरों में इस अवसर पर विशेष अन्नकूट महोत्सव और भोग आरती आयोजित की जाती है। शहरों और गांवों में लोग मिलकर गोवर्धन पर्वत के प्रतीक स्वरूप नवधान्य (नई फसलों) से बने पर्वत शिखर बनाते हैं और पूजा के बाद इन्हें प्रसाद स्वरूप वितरित करते हैं।
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ 21 अक्टूबर 2025 को शाम 5:54 बजे से होगा और समापन 22 अक्टूबर 2025 को शाम 8:16 बजे होगा। उदयातिथि के अनुसार गोवर्धन पूजा का पर्व 22 अक्टूबर 2025 (बुधवार) को मनाया जाएगा। भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास के अनुसार, पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06:30 बजे से 08:47 बजे तक रहेगा।
गोवर्धन पूजा के दिन घर या आंगन में गोबर से गोवर्धन देवता की प्रतिमा बनाई जाती है और उसे फूलों से सजाया जाता है। पूजा के दौरान भगवान को दीप, फल, फूल, प्रसाद, जल और दूध अर्पित किया जाता है। देवता की नाभि पर मिट्टी का दीपक रखा जाता है, जो शक्ति और प्रकाश का प्रतीक माना जाता है। पूजा के बाद सात बार परिक्रमा की जाती है और परिक्रमा के समय जौ बोते हुए व जल अर्पित करते हुए गोवर्धन देव की आराधना की जाती है।
गोवर्धन पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि मानव और प्रकृति के सह-अस्तित्व का संदेश देती है। यह पर्व हमें सिखाता है कि हमें प्रकृति, जल, अन्न और पशुधन की रक्षा करनी चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने यह संदेश दिया था कि हमें देवताओं की जगह प्रकृति की पूजा और संरक्षण करना चाहिए क्योंकि वही हमारे जीवन का आधार है।