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03-Jan-2020 01:44 PM
By Ganesh Samrat
PATNA: चुनाव की सुगबुगाहट तेज होते ही बिहार की सियासत में भूत और तंत्र-मंत्र का सियासी खेल शुरू हो गया है. चुनाव के ठीक पहले अपने विरोधियों को परास्त करने के लिए नीतीश कुमार ने गड़े मुर्दे उखाड़ने शुरू कर दिये हैं, तो लालू भी इस से पीछे नहीं हैं. बिहार की सत्ता पाने को लालायित रहने वाले जेडीयू अध्यक्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव तंत्र मंत्र के सहारे कुर्सी पाना चाहते हैं. ये नेता कुर्सी पाने के लिए तंत्र मंत्र ही नहीं करते बल्कि तांत्रिक पूजा कराने से भी पीछे नहीं हटते हैं.
तांत्रिक से कान फूंकवाते हैं नीतीश
सोशल मंच पर अंधविश्वास को नहीं मानने का दावा करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने दुश्मनों को पराजित करने के लिए पटना से कामाख्या तक तंत्र पूजा कराते हैं और जब भी मौका मिलता है वह तांत्रिक के शरण में पहुंच कान फूंकवाते हैं. लालू-नीतीश के करीब रहने वाले आरजेडी के एक बड़े नेता ने नीतीश कुमार के अंधविश्वास को लेकर कई खुलासे तक कर दिये हैं. कभी नीतीश के सहयोगी रहने वाले आरजेडी नेता ने 1 st बिहार के सामने कई चौंकाने वाले खुलासे किये हैं. लालू-राबड़ी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के बाद जब नीतीश कुमार बिहार के सीएम बने और सीएम आवास पहुंचे तो देखा कि सत्ता से बेदखल होने के बाद लालू प्रसाद ने मुख्यमंत्री आवास में जादू टोना करा रखा था, जिससे नीतीश कुमार को नुकसान हो. हालांकि इस बात का जिक्र लालू प्रसाद ने खुद किया था. यह बात साल 2004-2005 की है, लेकिन 15 साल बाद नए साल के शुरुआत में ही नीतीश कुमार ने गड़ा मुर्दा उखाड़ कर बिहार की सियासत में एक बार फिर से भूत पॉलिटिक्स की शुरुआत कर दी है. हालांकि सीएम नीतीश कुमार खुद कई मंचों से बोल चुके हैं कि वो भूत पिशाच, और तंत्र मंत्र को नहीं मानते हैं.
तांत्रिक गुरु से मिले थे नीतीश कुमार
तंत्र मंत्र नहीं मानने वाले नीतीश कुमार जब सत्ता से बेदखल हुए थे उस समय जून 2014 में लालू से गठबंधन करने के बाद नीतीश कुमार एक तांत्रिक के दरबार में पहुंचे थे. जहां तांत्रिक ने नीतीश कुमार को गले लगाते हुए कहा था कि लालू से क्यों हाथ मिलाया लालू मुर्दाबाद के नारे लगाए थे. लेकिन उस समय नीतीश कुमार ने तांत्रिक के सवालों का जबाब नहीं दिया था बल्कि मुस्कुराते हुए दिखे थे. यह वीडियो जून 2015 के विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण के समय का है, जब नीतीश कुमार जदयू एमएलसी और बिहार सरकार के मंत्री नीरज कुमार के घर गए थे जहां नीरज कुमार के तांत्रिक गुरु से वो मिले थे. जिसके बाद यह वीडियो बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने ट्वीट कर लालू नीतीश के गठबंधन पर तंज कसा था. बाद में पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके नीतीश के तंत्र-मंत्र पर हमला बोला था.
'तांत्रिक गठबंधन' नाम रखने की नरेंद्र मोदी ने दी थी सलाह
नरेंद्र मोदी भी तंत्र-मंत्र के इस खेल में पीछे नहीं थे. 25 अक्टूबर 2015 को बिहार के सारण और नालंदा में चुनाव प्रचार करने पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी ने लालू नीतीश के तांत्रिक साधना पर मंच से ही सीधा हमला बोलते हुए कहा था कि इनको अपने गठबंधन का नाम बदलकर तांत्रिक गठबंधन रख देना चाहिए. हालांकि इस वीडियो के बाद गठबंधन पर कोई खास असर तो नहीं पड़ा लेकिन महागठबंधन की सरकार महज 18 महीने ही चल पाई और लालू नीतीश की दोस्ती एक बार फिर से टूट गई लेकिन बीजेपी से गठबंधन करके नीतीश कुमार बिहार के सीएम बने रहे.
लालू यादव को तंत्र-मंत्र पर शुरू से है भरोसा
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव धार्मिक प्रवृत्ति के नेता शुरू से ही जाने जाते हैं. लालू को जब भी मौका मिला वह पूजा पाठ करते दिखे हैं, लेकिन इन सब से इतर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद बिहार और केंद्र की सत्ता से बेदखल होने के बाद साल 2013 के जुलाई महीने में यूपी के एक तांत्रिक के दरबार में पहुंच घंटों पूजा की थी और तांत्रिक को अपना गुरु बताते हुए शिव अवतार बता दिया था. रेल मंत्री की कुर्सी गंवाने के बाद लालू प्रसाद यादव ने उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में तांत्रिक गुरु बिभूति नारायण के दरबार पहुंचकर अपनी हाजरी लगाई और घंटों पूजा भी की थी. पूजा के बाद लालू प्रसाद यादव ने अपने ही अंदाज़ में मीडिया को कहा था कि आप लोग को जो समझना है समझिए हमने खूब ठोक ठेठा के देखा है. यह तांत्रिक बाबा शिव के अवतार हैं. हम पर जितना लोग अटैक करता है बाबा को सब मालूम है. बाबा ने बोला है मेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा. हमारे गुरु हैं, हम माथा टेकने आते हैं.यह कोई पहला मौका नहीं था जब लालू प्रसाद यादव ने किसी तांत्रिक बाबा के दरबार में माथा टेका हो, इससे पहले भी लालू विंध्याचल के पास अक्टूबर 2011 में भी एक तांत्रिक अघोरी बाबा आसाराम नरेश के दरबार मे 3 घंटे तक तंत्र पूजा किये थे.