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11-Mar-2023 08:09 PM
By First Bihar
PATNA: अपने घर समेत लालू परिवार के दूसरे सदस्यों के ठिकानों पर ईडी की छापेमारी के बाद बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव की पहली प्रतिक्रिया सामने आयी है. तेजस्वी ने कहा है कि उनके घर से बरामदी की फर्जी खबर फैलायी जा रही है. भाजपाइयों ने पहले भी ऐसी ही खबरें फैलायी थीं, लेकिन उसका हिसाब नहीं दिया।
क्या कहा तेजस्वी ने?
तेजस्वी ने ट्विट कर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने ट्विट किया है. “याद करिए- 2017 में भी कथित 8000 करोड़ का लेन-देन, हजारों करोड़ का मॉल, सैंकड़ों संपत्तियां, अभी चंद महीनों पहले गुरुग्राम में अरबों का WhiteLand कंपनी का UrbanCube मॉल भी मिला था. भाजपाई अब कथित 600 करोड़ का नया हिसाब लाने से पहले अपने सूत्रों को पुराने का तो हिसाब दे देते.”
तेजस्वी ने इसके साथ ही एक दूसरे ट्विट भी किया है
उन्होंने लिखा है कि “भाजपा सरकार द्वारा सूत्रों के हवाले से इधर-उधर की भ्रामक अफवाह फैलाने अथवा खबर प्लांट करवाने की बजाय रेड के बाद हस्ताक्षर किए जाने वाले पंचनामे (Seizure List) की सूची ही सावर्जनिक कर देनी चाहिए. अगर हम इसे सार्वजनिक कर देंगे तो इन बेचारे नेताओं की क्या इज्जत रहेगी? सोच लो..”
तेजस्वी कह रहे हैं कि उनके या उनके परिजनों के घर से ऐसा कुछ नहीं मिला है जिसके बारे में कहा जा रहा है. हालांकि ईडी ने खुद ट्वीट कर तेजस्वी यादव और उनके परिजनों के ठिकानों से मिले संपत्ति औऱ कागजातों का हिसाब दिया है.
बता दें कि ईडी ने कहा है विशेष खुफिया इनपुट के आधार पर जमीन लेकर नौकरी देने के मामले में दिल्ली एनसीआर, पटना, मुंबई और रांची में 24 जगहों पर छापा मारा गया था. इन जगहों पर तलाशी में 1 करोड़ रुपये की बिना हिसाब-किताब की नकदी, 1900 अमेरिकी डॉलर सहित दूसरी विदेशी मुद्रा, 540 ग्राम सोने की ईंट, और डेढ़ किलोग्राम से ज्यादा सोने के आभूषण बरामद किये गये. सोना के आभूषण की कीमत लगभग सवा करोड़ रूपये है. इसके साथ ही कई संपत्तियों के दस्तावेज, बिक्री किये गये संपत्ति के कागजात और दूसरे आपत्तिजनक दस्तावेजों की बरामदगी हुई. ईडी ने कहा है कि लालू परिवार ने अपने और बेनामी लोगों के नाम पर बड़े पैमाने पर जमीन और दूसरे सामान की खरीद की है. इन सबों के दस्तावेज मिले हैं.
ईडी ने कहा है कि छापेमारी में लगभग 600 करोड़ रुपये की अपराधिक आय का पता चला है. यानि 600 करोड़ की संपत्ति गलत तरीके से अर्जित की गयी. इनमें से 350 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति मिली है, वहीं, बेनामी लोगों के नाम पर 250 करोड़ रुपये के लेनदेन किए गए हैं.
ईडी ने कहा है कि अब तक की गई जांच से पता चला है कि तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार द्वारा रेलवे में नौकरी दिलाने के एवज में पटना और अन्य क्षेत्रों में प्रमुख स्थानों पर कई जमीनों की अवैध रूप से रजिस्ट्री करायी गयी. इन जमीन का वर्तमान बाजार मूल्य 200 करोड़ रूपये से ज्यादा है. ईडी ने इन जमीनों की रजिस्ट्री के लिए खडे किये गये कई बेनामी लोगों, फर्जी संस्थाओं और दूसरे लोगों की पहचान की है.
ईडी ने कहा कि उसके द्वारा की गयी जांच में पता चला है कि दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी के डी-1088 नंबर का मकान ,मैसर्स ए बी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर रजिस्टर्ड है. ये चार मंजिला कोठी है जो तेजस्वी प्रसाद यादव और उनके परिवार के स्वामित्व वाली और नियंत्रित कंपनी ए बी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड का है. 150 करोड़ के मूल्य वाले इस बंगले को तेजस्वी यादव और उनके परिवार को कागज पर मात्र 4 लाख रुपये के मूल्य पर बेच दिया गया है.
ईडी ने कहा है कि इस संपत्ति को खरीदने में बड़ी मात्रा में नकदी/अपराध की आय का उपयोग किया गया है. इसके लिए आभूषण क्षेत्र में काम करने वाली मुंबई की कुछ संस्थाओं का उपयोग किया. उनके जरिये बड़े पैमाने पर अवैध संपत्ति की हेरा-फेरी की गयी. दिल्ली की इस कोठी को दो कंपनी मैसर्स ए बी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और मैसर्स एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यालय के रूप में घोषित किया गया है. लेकिन इसका उपयोग विशेष रूप से लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी प्रसाद यादव द्वारा आवासीय परिसर के रूप में किया जा रहा है. ईडी ने जब रेड किया तो तेजस्वी प्रसाद यादव इसी मकान में ठहरे हुए पाए गए और इस मकान को अपनी आवासीय संपत्ति के तौर पर इस्तेमाल करते पाए गए.
ईडी की जांच में पाया गया है कि लालू यादव के परिवार द्वारा रेलवे की ग्रुप डी की नौकरी के लिए आवेदन करने वाले गरीब लोगों से मात्र 7.5 लाख रुपये में जमीन के चार प्लॉट खरीदने की जानकारी दी गयी है. सिर्फ साढ़े सात लाख रूपये में खरीदी गयी इन चार जमीन को राजद के पूर्व विधायक सैयद अबू दोजाना को साढ़े तीन करोड़ में बेच दिया गया. ईडी की जांच में पाया गया कि साढ़े तीन करोड़ रूपये का बड़ा हिस्सा तेजस्वी प्रसाद यादव के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया था. जांच में खुलासा हुआ कि इसी तरह रेलवे में ग्रुप डी की नौकरी के एवज में कई गरीब माता-पिता और उम्मीदवारों की जमीनें ली गईं. जांच के दौरान खुलासा हुआ है कि कई रेलवे जोन में भर्ती किए गए उम्मीदवारों में 50 प्रतिशत से ज्यादा लोग लालू यादव और परिवार के विधानसभा क्षेत्र से थे. इस संबंध में आगे की जांच की जा रही है.