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08-May-2023 07:55 AM
By First Bihar
DELHI : बिहार के बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई मामले में आज यानी 8 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। यह गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या मामले में दोषी करार दिए गए थे। जिसके बाद इनको आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी थी। हालांकि, पिछले दिनों बिहार सरकार द्वारा कानून में संसोधन करने के बाद इन्हें रिहाई दे दी गयी। अब इसी मामले को लेकर तत्कालिक डीएम की पत्नी जी कृष्णैया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किया है , जिस पर आज सुनवाई होनी है। ये सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जे.के. माहेश्वरी की बेंच करेगी।
दअरसल, कुछ दिन पहले ही नीतीश सरकार ने कारा नियमों में संशोधन कर आनंद मोहन समेत 26 कैदियों को रिहा किया है। बिहार की सहरसा जेल में आनंद मोहन उम्रकैद की सजा काट रहे थे। लेकिन, 27 अप्रैल को आनंद मोहन को रिहा कर दिया गया था। बिहार सरकार ने जेल मैनुअल में बदलाव किया था, इसके बाद आनंद मोहन सिंह गुरुवार (27 अप्रैल) सुबह 6ः15 बजे सहरसा जेल से रिहा हुए थे। इसके बाद 29 अप्रैल को DM जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने इस रिहाई को चुनौती दी। उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में आनंद मोहन को फिर से जेल भेजने की मांग की है।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट में याचिका स्वीकार होने पर डीएम जी कृष्णैया की पत्नी ने कहा कि ये अच्छा संकेत है। मुझे न्यायालय पर भरोसा है। सुप्रीम कोर्ट हमारे साथ जरूर न्याय करेगा। सुप्रीम कोर्ट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उनके फैसले को वापस लेने का निर्देश देगा। जिस दिन आनंद मोहन की रिहाई हुई थी, उस दिन उमा कृष्णैया ने कहा था कि ये वोट बैंक की राजनीति है। बिहार सरकार ने राजपूत वोटों के लिए आनंद मोहन की रिहाई की है।
इसके आलावा आनंद मोहन की रिहाई के बाद सियासी घमासान भी जमकर हुआ बीजेपी ने नीतीश सरकार पर आरोप लगाया कि आनंद मोहन की आड़ में जिस अन्य 26 कैदियों को रिहा कराया गया है। वो सभी जंगलराज के पुरोधा है। और एक बार फिर से बिहार में गुंडाराज आने वाला है। वहीं कृष्णैया की बेटी ने नीतीश सरकार के इस आदेश को अन्याय करार दिया था। वहीं आनंद मोहन की रिहाई को लेकर आईएएस लॉबी में आक्रोश देखा गया।
आपको बताते चलें कि, साल 1994 में जी कृष्णैया की हत्या उस वक्त हुई थी जब वो गोपालगंज के डीएम थे। मुजफ्फरपुर मेंशव यात्रा के जुलूस निकलने के दौरान उन पर हमला हुआ। इस दौरान भीड़ ने पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी थी। और आरोप आनंद मोहन पर लगे थे। कि उन्होने भीड़ को उकसाया था। जिसके बाद पुलिस आनंद मोहन समेत 6 लोगों को आरोपी बनाया था। इस मामले में पहले आनंद मोहन को साल 2007 में फांसी की सजा हुई थी। जिसे 2008 में हाईकोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। जिसके बाद से वो सजा काट रहे थे।