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2 लोगों के अपहरण का मामला, अपहृत एक व्यक्ति की बेटी की शादी में पप्पू यादव हुए थे शामिल, दूसरे व्यक्ति ने कहा- तब कंफ्यूजन में हुआ था केस

2 लोगों के अपहरण का मामला, अपहृत एक व्यक्ति की बेटी की शादी में पप्पू यादव हुए थे शामिल, दूसरे व्यक्ति ने कहा- तब कंफ्यूजन में हुआ था केस

13-May-2021 11:53 AM

DESK: 32 साल पहले जिन दो व्यक्तियों के अपहरण कांड में जाप सुप्रीमो व पूर्व सांसद पप्पू यादव को गिरफ्तार किया गया। उन्हीं में एक की बेटी की शादी में 17 फरवरी 2021 को पप्पू यादव शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने वर-वधु को आशीर्वाद भी दिया था। इस मामले के बाद वे चुप हैं।


वही दूसरे अपहृत रामकुमार यादव अब मीडिया के सामने आए हैं। जो  इसे कन्फ्यूजन का केस करार दे रहे हैं। राजकुमार यादव का कहना है कि उमाकांत इस केस के संबंध में कुछ बोलना नहीं चाहते। दो दिनों से यह मामला सुर्खियों में आने के बाद भी वे किसी मीडियाकर्मी से बात नहीं कर रहे हैं। 


बताया जाता है कि उमाकांत यादव उर्फ उमाकांत राय की बेटी रूपम की शादी मधेपुरा जिला परिषद अध्यक्ष मंजू देवी के पुत्र श्वेत कमल उर्फ बौआ यादव से 17 फरवरी 2021 को मधेपुरा स्थित जिला परिषद आवास पर हुई थी। श्वेत कमल उस वक्त पप्पू यादव के खास हुआ करते थे। इस शादी में पप्पू यादव भी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। इस दौरान पप्पू यादव ने वर-वधू को आशीर्वाद भी दिया था।


1989 मेंं रामकुमार यादव और उमाकांत यादव उर्फ उमाकांत राय दोनों पप्पू यादव के साथ ही थे। इस बीच गुट के ही एक युवक द्वारा एक लड़की से शादी कर लेने के कारण पप्पू यादव का रामकुमार यादव व उमाकांत यादव से मतभेद हो गया। 29 जनवरी 1989 को रामकुमार यादव के चचेरे भाई शैलेन्द्र यादव ने मुरलीगंज थाना में शिकायत दर्ज कराते हुए यह बताया कि पप्पू यादव ने रामकुमार यादव और उमाकांत यादव को जान से मारने की नीयत से अपहरण कर लिया है।


अब रामकुमार यादव बताते हैं कि ऐसा मामला नहीं था। उस दिन जब पप्पू यादव की गाड़ी में हम लोग बैठे थे तब लोगों को यह लगा था कि हमारा अपहरण कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि उसी दिन वे दोनों पप्पू यादव से निकलकर मधेपुरा आ गए थे लेकिन दर्ज केस के आधार पर पुलिस ने पप्पू यादव को गिरफ्तार कर लिया।


 रामकुमार यादव व उमाकांत यादव के अपहरण का केस एसीजेएम-फर्स्ट की कोर्ट में है। बेल टूटने के बाद कोर्ट से 10 फरवरी 2020 को गैर जमानती धाराओं में पप्पू यादव के खिलाफ वारंट जारी किया गया। वारंट एसपी के कार्यालय गया। वहां से कुमारखंड थाना को डिस्पैच किया गया। लेकिन थाने तक वारंट नहीं पहुंचा। 19 सितंबर 2020 को कुमारखंड के थानाध्यक्ष सियावर मंडल ने कोर्ट को वारंट की दूसरी कॉपी जारी करने की मांग की लेकिन कोर्ट को कहा गया कि चौकीदार संजीव कुमार वारंट लेकर एसपी कार्यालय से चला था लेकिन वारंट रास्ते में कहीं गिर गया। वारंट थानाध्यक्ष को नहीं मिला। पूर्व के थानाध्यक्ष दीपकचंद्र दास ने भी यही बात कही। इसलिए वारंट की दूसरी कॉपी जारी करने की मांग की गई। इस पर कोर्ट ने पुराने वारंट को रद्द करते हुए दोबारा वारंट जारी कर दिया।


कोर्ट ने कार्यालय को आदेश दिया कि "विद्वान" एसपी को वारंट इंड्यूस किया जाए। जबकि "विद्वान" एसपी को निर्देश दिया कि अविलंब वारंट का तामिल कराएं। लेकिन एक साल तीन माह यानि 454 दिन तक पुलिस कागजी प्रक्रियाओं में ही समय बिताती रही। यह भी संभव था कि अगर पप्पू यादव का नया प्रकरण नहीं शुरू होता, तो उनकी गिरफ्तारी भी नहीं हो पाती।19 सितंबर को दोबारा मिले वारंट के बाद भी पुलिस पप्पू यादव को गिरफ्तार नहीं कर पाई।


जबकि वे हमेशा से सुर्खियों में रहे। इस बीच कुर्की का आदेश भी निकल गया। इसके बाद कुर्की से संबंधित कार्रवाई के लिए एसपी ने कुमारखंड पुलिस को 25 मार्च को पत्र जारी किया। इसके बाद कुमारखंड थाने से 8 अप्रैल को सीओ को पत्र भेजकर खुर्दा निवासी पूर्व सांसद पप्पू यादव की चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा मांगा गया। सीओ ने मामले को सीआई को रेफर कर दिया जो प्रक्रियाधीन है। मंगलवार को पप्पू यादव को उनके पटना स्थित आवास से गिरफ्तार किया गया जिन्हें फिलहाल जेल में रखा गया है।