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31-Aug-2025 02:48 PM
By First Bihar
Life Style: हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप), जिसे अक्सर "साइलेंट किलर" कहा जाता है, केवल दिल की सेहत को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि यह धीरे-धीरे लिवर (यकृत) को भी गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। Frontiers in Medicine में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों में लिवर फाइब्रोसिस (Liver Fibrosis) यानी लिवर की कोशिकाओं में कठोरता का खतरा बढ़ जाता है। यह खतरा उन लोगों में और भी अधिक होता है जिन्हें मेटाबोलिक असंतुलन से जुड़ी फैटी लिवर बीमारी (MASLD - Metabolic dysfunction-associated steatotic liver disease) है।
अगर पर्याप्त आराम के बाद भी शरीर में थकान बनी रहती है और आप अक्सर सुस्त महसूस करते हैं, तो यह केवल तनाव नहीं बल्कि लिवर स्ट्रेस का संकेत हो सकता है। हाई ब्लड प्रेशर के कारण लिवर का फंक्शन प्रभावित होता है, जिससे शरीर की एनर्जी प्रोडक्शन और पोषक तत्वों की प्रोसेसिंग क्षमता घट जाती है। इस तरह की थकान कभी-कभी ब्रेन फॉग, एकाग्रता में कमी और मानसिक सुस्ती के रूप में भी नजर आती है।
लिवर में सूजन या आकार में बढ़ोतरी के कारण ऊपरी दाहिने पेट में भारीपन या दर्द महसूस हो सकता है। इसे आमतौर पर गैस या अपच समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है। समय पर अल्ट्रासाउंड या CT स्कैन से जांच कर गंभीर लिवर डैमेज को रोका जा सकता है।
स्किन या आंखों में पीलापन (Jaundice)
स्किन और आंखों में पीलापन या पीलिया (जॉन्डिस) लिवर में गड़बड़ी का स्पष्ट संकेत होता है। हाई ब्लड प्रेशर के कारण लिवर में बाइल फ्लो रुक सकता है, जिससे बिलिरुबिन का स्तर बढ़ जाता है। हल्के पीलेपन को भी अनदेखा करना नुकसानदायक हो सकता है।
पैरों और पेट में सूजन (Ascites)
लिवर की प्रोटीन उत्पादन क्षमता घटने से शरीर में पानी जमा होने लगता है, जिसे मेडिकल भाषा में Ascites कहा जाता है। इसका परिणाम पैरों, टखनों और पेट में सूजन के रूप में दिखाई देता है। यदि लंबे समय तक बनी रहे, तो यह सिरोसिस का संकेत हो सकता है।
यूरिन और स्टूल का रंग बदलना
डार्क यूरीन और हल्के रंग का स्टूल भी लिवर फंक्शन में गड़बड़ी का संकेत हो सकते हैं। ऐसा तब होता है जब लिवर ठीक से बाइल (पित्त) का निर्माण या फ्लो नहीं कर पाता, जिससे डाइजेशन और डिटॉक्सीफिकेशन प्रभावित होता है।
लिवर हेल्थ के लिए क्या करें?
ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखें: नियमित मॉनिटरिंग और डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं समय पर लें।
लिवर-फ्रेंडली डाइट अपनाएं: ज्यादा तेल, प्रोसेस्ड फूड और एल्कोहल से बचें। हरी सब्जियां, फल, ओमेगा-3 युक्त आहार लें।
समय-समय पर टेस्ट कराएं: LFT (Liver Function Test), USG जैसे टेस्ट साल में एक बार जरूर कराएं।
लक्षणों को नजरअंदाज न करें: हल्की भी तकलीफ होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
फिजिकल एक्टिविटी रखें: एक्सरसाइज ब्लड सर्कुलेशन और मेटाबोलिज्म सुधारने में मदद करती है।
हाई ब्लड प्रेशर केवल हृदय नहीं बल्कि लिवर जैसे महत्वपूर्ण अंग को भी प्रभावित करता है। यदि इसके लक्षणों को समय पर पहचाना और प्रबंधित किया जाए, तो लिवर फाइब्रोसिस, सिरोसिस और यहां तक कि लिवर फेल्योर जैसी गंभीर स्थितियों से बचा जा सकता है। इसलिए हेल्दी लाइफस्टाइल, सही खान-पान और समय पर जांच से ही आप अपने लिवर और पूरे शरीर को सुरक्षित रख सकते हैं।