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23-Oct-2025 02:42 PM
By First Bihar
BIHAR NEWS : बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की 44 जीविका दीदियों ने मेहनत, धैर्य और इच्छाशक्ति के बल पर ऐसा काम कर दिखाया है जो पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणा बन गया है। इन महिलाओं द्वारा संचालित क्लाउड किचन आज 3 करोड़ रुपये का सालाना टर्नओवर हासिल कर चुका है और 50 लाख रुपये का मुनाफा कमा रहा है। सरकार को 15 लाख रुपये का टैक्स चुकाने वाली ये दीदियां इस बात का प्रमाण हैं कि अगर अवसर मिले तो महिलाएं किसी भी क्षेत्र में सफलता का परचम लहरा सकती हैं।
इन दीदियों की सफलता केवल आर्थिक उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह बिहार में महिलाओं के सशक्तिकरण की कहानी भी बयान करती है। राज्य सरकार की जीविका योजना के तहत इन महिलाओं को प्रशिक्षण, पूंजी और मार्गदर्शन मिला, जिसकी बदौलत आज वे न केवल आत्मनिर्भर हैं, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए रोजगार का जरिया भी बनी हैं।
राज्य में आज 1 करोड़ 40 लाख से अधिक जीविका दीदियां अलग-अलग क्षेत्रों में कार्यरत हैं। ये महिलाएं दूध उत्पादन, बागवानी, सिलाई-कढ़ाई, कृषि, हस्तशिल्प, खाद्य प्रसंस्करण और सेवा क्षेत्र में काम करके बिहार और देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
मुख्यमंत्री ने कई बार कहा है कि “आधी आबादी के उत्थान और सम्मान के बिना कोई समाज, कोई राज्य या कोई देश प्रगति नहीं कर सकता।” इसी सोच के साथ बिहार सरकार ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए। पंचायत और नगर निकाय चुनावों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया गया। सरकारी नौकरियों में भी महिलाओं के लिए 35 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई। हाल ही में शिक्षक भर्ती में यह आरक्षण 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया है।
महिलाओं को शिक्षा से जोड़ने के लिए सरकार ने “मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना” के तहत जन्म से लेकर स्नातक तक हर बच्ची पर 94,100 रुपये खर्च करने की व्यवस्था की है। इसके अलावा, हर परिवार की एक महिला को 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देकर स्वयं का रोजगार शुरू करने का अवसर दिया जा रहा है। रोजगार चलने पर 2 लाख रुपये तक की अतिरिक्त सहायता की भी योजना बनाई गई है।
इन योजनाओं का परिणाम यह है कि आज बिहार की महिलाएं न केवल पढ़ रही हैं, बल्कि नौकरी कर रही हैं, स्वरोजगार में लगी हैं और अन्य लोगों को भी रोजगार दे रही हैं। मुजफ्फरपुर की 44 जीविका दीदियों का यह क्लाउड किचन इसका जीवंत उदाहरण है। ये महिलाएं गुणवत्तापूर्ण खाना तैयार कर विभिन्न शहरों में ऑनलाइन ऑर्डर के माध्यम से सप्लाई कर रही हैं। इस व्यवसाय से जहां स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़े हैं, वहीं बिहार की छवि भी बदली है।
हालांकि, जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, कुछ राजनीतिक दल जीविका दीदियों और महिलाओं के नाम पर नए वादे कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, “अब कुछ लोग मतदान से कुछ दिन पहले जीविका दीदियों और बिहार की आधी आबादी का हितैषी दिखने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सच यह है कि ‘जीविका दीदियों’ के नाम पर ये लोग अपने परिवार की ‘आजीविका’ तलाश रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि “बिहार की जनता ने इन लोगों को भी मौका दिया था, लेकिन तब इनका ध्यान सेवा करने से ज्यादा मेवा खाने पर था। उनके राज में महिलाओं का विकास सिर्फ उनके परिवार तक सीमित था। आज बिहार की महिलाएं जानती हैं कि उनके उत्थान और सम्मान के लिए वास्तव में किसने काम किया है।”
मुख्यमंत्री ने भरोसा जताया कि बिहार की बहन-बेटियां एक बार फिर एनडीए सरकार बनाने जा रही हैं। उन्होंने कहा, “2005 में बिहार से किया गया वादा हमें हमेशा याद रहता है। जब तक मैं हूं, बिहार और विशेषकर हमारी बहन-बेटियों को आगे बढ़ने से कोई शक्ति रोक नहीं सकती।”
मुजफ्फरपुर की इन दीदियों की सफलता कहानी यह साबित करती है कि जब अवसर, समर्थन और इच्छाशक्ति एक साथ आते हैं तो बदलाव निश्चित होता है। यह क्लाउड किचन केवल एक व्यावसायिक उपक्रम नहीं, बल्कि बिहार की नई पहचान बन चुका है — आत्मनिर्भर, सक्षम और सशक्त महिलाओं का बिहार।