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IRCTC होटल करप्शन केस: राबड़ी देवी की ट्रांसफर याचिका पर कोर्ट का नोटिस, इस दिन होगी अगली सुनवाई

दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने IRCTC होटल करप्शन केस में राबड़ी देवी की ट्रांसफर याचिका पर CBI से जवाब मांगा। मामले की अगली सुनवाई 6 दिसंबर को होगी।

IRCTC होटल करप्शन केस: राबड़ी देवी की ट्रांसफर याचिका पर कोर्ट का नोटिस, इस दिन होगी अगली सुनवाई

26-Nov-2025 11:33 AM

By First Bihar

  • Rouse Avenue Court notice : दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने IRCTC होटल करप्शन मामले में बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की ट्रांसफर एप्लीकेशन पर नोटिस जारी कर दिया है। कोर्ट ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को निर्देश दिया है कि वे याचिका पर अपना जवाब पेश करें। इस मामले की अगली सुनवाई 6 दिसंबर को निर्धारित की गई है।


राबड़ी देवी, उनके पति और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख नेता लालू प्रसाद यादव, उनके बड़े बेटे और पार्टी उपाध्यक्ष तेजस्वी यादव तथा अन्य आरोपी इस मामले में पहले से ही ट्रायल का सामना कर रहे हैं। सभी आरोपी फिलहाल प्रॉसिक्यूशन एविडेंस के चरण में हैं।


याचिका का उद्देश्य

राबड़ी देवी ने अपने वकील के माध्यम से अदालत से यह अनुरोध किया है कि उनका केस किसी अन्य जज के पास ट्रांसफर किया जाए। याचिका में यह तर्क दिया गया है कि वर्तमान ट्रायल जज के अधीन मामले में पक्षपाती रवैया या अन्य वजहों से निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं हो पा रही है। अदालत ने इस याचिका पर नोटिस जारी करते हुए CBI को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। सुनवाई के दौरान अदालत ने मामले की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए 6 दिसंबर को आगे की तारीख तय की है। इस दिन जज CBI द्वारा दाखिल जवाब और याचिका में उठाए गए मुद्दों पर विचार करेंगे।


मुकदमे की पृष्ठभूमि

IRCTC होटल करप्शन केस में आरोप है कि बिहार के नेताओं और अन्य अधिकारियों ने भारतीय रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) के होटल परियोजनाओं में अनियमितताएं की थीं। इन परियोजनाओं में अवैध लाभ और भ्रष्टाचार के मामले सामने आए थे। CBI ने इस मामले में कई आरोपियों के खिलाफ जांच की थी और सबूतों के आधार पर आरोपपत्र दाखिल किया था।


राबड़ी देवी और लालू प्रसाद यादव पर आरोप है कि उन्होंने इस योजना में सीधा या अप्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप किया और लाभ प्राप्त किया। तेजस्वी यादव और अन्य परिवार के सदस्य या सहयोगी भी आरोपों की जांच के दायरे में हैं।


प्रॉसिक्यूशन एविडेंस का चरण

इस मुकदमे में वर्तमान में ट्रायल प्रॉसिक्यूशन एविडेंस के चरण में है। इसका मतलब है कि अब तक CBI द्वारा दर्ज किए गए साक्ष्य और दस्तावेज अदालत में पेश किए जा चुके हैं और आरोपी पक्ष को उनका जवाब देने का अवसर दिया गया है। यह ट्रायल का महत्वपूर्ण चरण माना जाता है क्योंकि इसी में कोर्ट यह तय करती है कि आरोप सिद्ध होते हैं या नहीं।


वकीलों का बयान और ED केस

राबड़ी देवी के सीनियर वकील ने अदालत में बताया कि IRCTC होटल केस के अलावा उनका परिवार प्रवर्तन निदेशालय (ED) के केस का भी सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि ED केस के लिए अलग से ट्रांसफर याचिका दाखिल की जाएगी। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी मामलों में निष्पक्ष और स्वतंत्र सुनवाई हो।


वकील ने कोर्ट में यह भी तर्क दिया कि ट्रायल जज के बदलने से मामले की निष्पक्षता बनी रहेगी और सभी पक्षों को न्याय मिलने की संभावना बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि परिवार के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ लगाए गए आरोपों की गंभीरता को देखते हुए ट्रायल के हर पहलू में न्याय सुनिश्चित होना चाहिए।


राजनीतिक और कानूनी परिप्रेक्ष्य

यह मामला केवल कानूनी ही नहीं, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी बेहद संवेदनशील है। राबड़ी देवी और लालू प्रसाद यादव बिहार के राजनीतिक परिवेश में प्रमुख और प्रभावशाली नेता रहे हैं। इस प्रकार के मुकदमे अक्सर मीडिया और आम जनता का ध्यान आकर्षित करते हैं।


विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की ट्रांसफर याचिकाओं का उद्देश्य अदालत में निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करना होता है, विशेषकर तब जब मामला राजनीतिक रूप से संवेदनशील हो और आरोपी उच्च पदों पर रहे हों।


आगामी सुनवाई और प्रक्रिया

6 दिसंबर को होने वाली सुनवाई में अदालत CBI के जवाब और याचिका में उठाए गए मुद्दों की समीक्षा करेगी। कोर्ट इस बात का निर्णय ले सकती है कि क्या केस को किसी अन्य जज के पास ट्रांसफर किया जाए या नहीं। यदि ट्रांसफर याचिका स्वीकार होती है, तो मामला नए जज के अधीन ट्रायल होगा। इससे ट्रायल प्रक्रिया में कुछ देरी संभव है, लेकिन इससे न्यायिक निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।


IRCTC होटल करप्शन केस में राबड़ी देवी की ट्रांसफर याचिका ने कानूनी और राजनीतिक दोनों स्तरों पर ध्यान आकर्षित किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 6 दिसंबर को होगी, जिसमें अदालत CBI के जवाब के आधार पर निर्णय लेगी। इस केस के नतीजे न केवल आरोपियों के लिए, बल्कि बिहार की राजनीति और भ्रष्टाचार के मामलों में न्यायिक प्रक्रिया के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। इस पूरे मामले में यह देखा जाना बाकी है कि अदालत ट्रांसफर याचिका को मंजूरी देती है या नहीं, और आगे की ट्रायल प्रक्रिया में आरोपियों को किस तरह से न्यायिक सुनवाई का सामना करना पड़ता है।