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27-Jul-2025 01:30 PM
By Viveka Nand
Bihar News: बिहार की कानून व्यवस्था को लेकर दो नेता आक्रामक हैं. एक एनडीए तो दूसरे विपक्ष के नेता हैं. दोनों एक साथ विधि-व्यवस्था पर नीतीश सरकार को घेर रहे हैं. लॉ एंड ऑर्डर पर सवाल खड़े करने वाले चिराग-तेजस्वी गंभीर सवालों के घेरे में हैं. दोनों नेता बाहुबलियों-माफियाओं का दल में स्वागत करते हैं. इनकी ऐसी मजबूरी है कि एक पार्टी की स्थापना दिवस पर शहाबुद्दीन अमर रहें का नारा लगवाते हैं . दूसरे नेता जो मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं, वे कुख्यात को दल में शामिल कराने उनके घर जाते हैं, पार्टी में उनका वेलकम करते हैं. इतना करने के बाद भी इन दिनों कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करते थक नहीं रहे. इन नेताओं के दोहरे चरित्र पर हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने सवाल खड़े किए हैं.
एक नेता कुख्यात के लिए मंच से जिंदाबाद तो दूसरे अमर रहें का नारा लगवाते हैं - संतोष सुमन
हम (से.) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व लघु जल संसाधन मंत्री डॉ. संतोष सुमन ने कहा है कि आजकल अपराध पर बयान देकर मीडिया की सुर्खियां बटोरने का फैशन हो गया है। अपराधियों को ताम झाम व गाजे बाजे के साथ पार्टी में शामिल कराने तथा अपराधियों के लिए मंच से 'जिंदाबाद' और 'अमर रहे' के नारे लगवाने के दौरान नैतिकता कहां चली जाती है ? सुमन ने कहा कि बिहार कब का संगठित व सत्ता संरक्षित अपराध की दुनियाँ से बाहर निकल गया है। संगठित अपराध के मामले में बिहार देश में 19वें स्थान पर है। महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराध में राष्ट्रीय औसत से बिहार आधे पर है। अपराधियों को छुड़ाने व बचाने के लिए थानों में फोन करने की बातें गुजरे दिनों की हो गई हैं। हर आपराधिक घटना के खिलाफ त्वरित व कारगर कार्रवाई करने की पुलिस को खुली छूट मिली हुई है। उन्होंने नसीहत देते हुए कहा है कि राजनैतिक दलों के नेताओं को बयानवीर बनने से पहले इन आंकड़ों व पुलिस की कार्रवाई को देखना चाहिए। अनर्गल बयानबाज़ी से राजनीति की विश्वसनीयता संकट में पड़ रही है। राजनीति की मूल पूंजी भरोसा है, वह अगर एक बार ख़त्म हो गई तो फिर कभी ऐसे दलों व नेताओं पर जनता विश्वास नहीं करेगी। गलत बातों व तथ्यों से जनता को एक बार भ्रमित किया जा सकता है, बार-बार नहीं, क्योंकि उसकी पारखी नजर सबकी खबर रखती है। जनता को बेवकूफ समझने की भूल ऐसे नेताओं को भारी पड़ेगी। मंत्री संतोष सुमन ने कहा कि कथनी और करनी के फर्क की वजह से भी राजनीति व राजनेताओं की विश्वसनीयता घटती जा रही है। क्या राजनैतिक दलों में यह हिम्मत है कि वह अपराध की चर्चा करने व सरकार को कोसने से पहले अपने दलों के अराजक व आपराधिक तत्वों को चिन्हित कर उन्हें अपने दल से निकाल बाहर करें? अपराधियों को पनाह देकर, अपराधियों से घिरे रह कर क्या थोथे बयान देकर मीडिया का कवरेज पा लेने मात्र से अपराध पर नियंत्रण सम्भव है? क्या अपराध पर प्रवचन देने वाले अपराधी चरित्र के लोगों को टिकट देने से परहेज करेंगे? अगर नहीं, तो फिर किस मुँह से बोलेंगे व जनता के बीच जाएँगे?
तेजस्वी ने शहाबुद्दीन अमर रहें का लगवाया था नारा
इसी महीने की 5 तारीख को राजद का स्थापना दिवस कार्यक्रम आयोजित था. आरजेडी के फाउंडेशन डे पर तेजस्वी ने शहाबुद्दीन अमर रहे का नारा लगाया. खुद तो लगाया ही तमाम नेताओं-कार्यकर्ताओं से शहाबुद्दीन अमर रहें का नारा लगवाया. तेजस्वी ने शहाबुद्दीन अमर रहें के नारे लगाकर अपनी साफ सुथरी राजनीति को एक बार फिर शक के दायरे में डाल दिया है. जंगल राज के दिनों के कुख्यात माफियाओं का राजद ने एक बार फिर से महिमामंडन शुरू कर दिया है, खासकर तेजस्वी यादव ने. तेजस्वी यादव के राजनीतिक उदय के साथ ही राजद शहाबुद्दीन परिवार से दूरी बनाने की रणनीति अपनाई. इसका एक मात्र उद्देश्य था कि RJD की छवि को जंगलराज से मुक्त करना. RJD ने शहाबुद्दीन परिवार को पार्टी के आधिकारिक कार्यक्रमों से दूर रखा. कोरोना काल में शहाबुद्दीन के जेल में ही मृत्यु के बाद भी तेजस्वी यादव खुलकर सामने नहीं आये. 2022 के गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव में, RJD ने शहाबुद्दीन परिवार का समर्थन नहीं लिया. इसके बाद पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब को बाहर का रास्ता दिखा दिया. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी राजद ने शहाुद्दीन की पत्नी को सिवान से टिकट नहीं दिया. अब विधानसभा के चुनाव हैं. अल्पसंख्यकों का वोट खिसक न जाय, इसके लिए तेजस्वी यादव चिंतित है. लिहाजा मंच से ही शहाबुद्दीन अमर रहें का नारा लगवा रहे.
कुख्यात खान ब्रदर्स को शामिल करा गदगद थे चिराग पासवान
कुख्यात 'खान ब्रदर्स' आज 15 जनवरी को चिराग पासवान की पार्टी में शामिल हो गए. इन्हें शामिल कराने पार्टी सुप्रीमो व केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान उड़नखटोले से सिवान गए थे. कई गंभीर केस के आरोपी कुख्यात खान ब्रदर्स( अयूब- रईस खान) अब चिराग पासवान के बिहार फर्स्ट-बिहार फर्स्ट के नारे को आगे बढ़ायेंगे.नरेंद्र मोदी सरकार की कैबिनेट में शामिल चिराग पासवान ने बिहार ही नहीं बल्कि झारखंड से लेकर उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में आतंक का पर्याय रहे खान ब्रदर्स को पूरे तामझाम के साथ पार्टी में शामिल कराया. मंत्री जी खुद उन्हें शामिल कराने उनके घर(सिवान) गए। वहां, संकल्प सभा की और बड़े नेता को लोजपा(रा) में शामिल करा लिया .चिराग पासवान ने कई राज्यों में आतंक के पर्याय रहे खान ब्रदर्स (अयूब खान और रईस) को गले लगा लिया. दल में शामिल करने के बाद पार्टी की तरफ से कहा गया है कि खान ब्रदर्स का पार्टी में शामिल होना हमारे दल की प्रतिबद्धता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है
जेडीयू ने खान ब्रदर्स को शामिल कराने से कर दिया था इंकार
बता दें, रईस खान काफी दिनों से जेडीयू में शामिल होने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा से लेकर प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा तक से मुलाकात की थी. लेकिन जेडीयू ने उन्हें पार्टी में शामिल करने से इंकार कर दिया था. अब चिराग का सहारा मिला है.
कौन हैं खान ब्रदर्स...?
सिवान के खान ब्रदर्स अयूब खान (बड़ा भाई) और रईस खान (छोटा भाई) पर बिहार सहित कई राज्यों के अलग-अलग थानों में अपराध की लंबी फेहरिस्त दर्ज है. रईस खान नाम के जिस “नेता” को अपनी पार्टी में शामिल कराने के लिए चिराग पासवान खुद सिवान गए, उनका परिचय क्या है. रईस खान बिहार के कई जिलों के साथ साथ दूसरे राज्यों में भी आतंक का पर्याय माने जाने वाले खान ब्रदर्स गैंग के दो भाईयों में से एक हैं. खान ब्रदर्स में रईस खान के साथ साथ उनके बड़े भाई अयूब खान शामिल हैं. इस गैंग पर हत्या, लूट, गोलीबारी, रंगदारी जैसे कई दर्जन मामले दर्ज हैं.खान ब्रदर्स पर हत्या, लूट, अपहरण और रंगदारी के मामले दर्ज हैं. रईस खान बिहार के इनामी मुजरिम रह चुके हैं. पुलिस ने रईस खान पर दो दफे इऩाम घोषित किया था. रईस खान का नाम सालों तक बिहार के टॉप टेन वांटेड की सूची में शामिल रहा. तीन साल पहले भी रईस खान पर एक पुलिस सिपाही की हत्या का आरोप लगा था. उसी समय एक प्रापर्टी डीलर की हत्या कराने का भी आरोप रईस खान पर लगा था. 2022 में खान गैंग पर सिवान में तीन युवकों को अगवा कर हत्या करने और फिर उनके शव के टुकड़े-टुकड़े कर सरयू नदी में फेंक देने का आरोप लगा था.
शहाबुद्दीन से अदावत
सिवान के खान गैंग की बहुत पहले से ही सिवान के डॉन शहाबुद्दीन से अदावत रही है. सिवान में जब तक शहाबुद्दीन अपने रूतबे में थे तब तक खान ब्रदर्स उस इलाके से दूर ही रहते थे. लेकिन शहाबुद्दीन को तिहाड़ जेल भेजे जाने और फिर कोविड के दौरान उनकी मौते होने के बाद रईस खान ने सिवान में डेरा डाल लिया. खान ब्रदर्स का इरादा शहाबुद्दीन की विरासत पर कब्जा करने का रहा है.
MLC चुनाव के दौरान हुआ था हमला
रईस खान ने 2022 में स्थानीय निकाय कोटे से हुए विधान परिषद के चुनाव में सिवान से चुनाव लड़ा था. इसी दौरान रईस खान के काफिले पर एके-47 से हमला हुआ था. एमएलसी चुनाव के वोटिंग के दिन उनके काफिले पर रात के करीब 10 बजे एके 47 से गोलीबारी की गयी थी. हालांकि इसमें रईस खान बच गए थे. गोलीबारी में एक स्थानीय व्यक्ति की मौत हो गयी थी. रईस खान ने अपने काफिले पर हुए हमले में शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब सहित कुल 8 लोगों को आरोपी बनाया था.
रईस खान को चुनाव में टिकट मिलेगा?
चिराग पासवान ने रईस खान-अयूब खान को अपना लिया है. पार्टी की तरफ से क्लीयर नहीं किया गया है कि उन्हें टिकट दिया जायेगा या नहीं ? लेकिन रईस खान ने खुद मीडिया के सामने ये ऐलान किया था कि वे विधानसभा चुनाव लड़ने वाले हैं और इसी कारण लोक जनशक्ति पार्टी में शामिल हो रहे हैं. तब मीडिया से बात करते हुए रईस खान ने कहा था कि वह रघुनाथपुर या दरौंदा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहते हैं. वैसे पार्टी अगर किसी दूसरे क्षेत्र से भी टिकट देगी तो चुनाव लड़ लेंगे.