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जमुई में निगरानी विभाग का छापा: मत्स्य विभाग में दो हिरासत में, दस्तावेज़ खंगाले गए

बिहार के जमुई जिले में निगरानी विभाग ने मत्स्य विभाग कार्यालय पर छापा मारा। दो कर्मचारियों को हिरासत में लेकर वित्तीय अनियमितताओं की जांच की जा रही है। छापे से प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है।

BIHAR

18-Jul-2025 02:36 PM

By Dhiraj Kumar Singh

JAMUI: शुक्रवार की सुबह जमुई में प्रशासनिक हलकों में अचानक अफरा-तफरी का माहौल तब बन गया,जब निगरानी विभाग की एक विशेष टीम ने मत्स्य विभाग के कार्यालय में छापेमारी करने पहुंच गयी। पटना से आई निगरानी विभाग की टीम ने सुबह करीब 11 बजे रेड किया। समाहरणालय के पास स्थित मत्स्य विभाग के दफ्तर में मौजूद कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच इस रेड से हड़कंप मच गया।


सूत्रों की माने तो यह छापेमारी गुप्त सूचना के आधार पर की गयी। निगरानी विभाग को लंबे समय से मत्स्य विभाग में भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतें मिल रही थीं। निगराननी ने कार्रवाई करते हुए मत्स्य विभाग के दो कर्मचारियों को हिरासत में लिया और दोनों से पूछताछ शुरू की। हालांकि,इस पूरे मामले में निगरानी की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।


कार्रवाई के दौरान टीम ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों और फाइलों की जांच की। इन फाइलों में सरकारी योजनाओं के तहत किए गए खर्च,खरीदारी और भुगतान से संबंधित रिकॉर्ड शामिल हैं। प्रारंभिक जांच में कुछ लेन-देन संदिग्ध पाए गए हैं, जिनकी अब विस्तार से जांच की जा रही है। इस छापेमारी के बाद न सिर्फ मत्स्य विभाग,बल्कि जिले के अन्य सरकारी कार्यालयों में भी हड़कंप मचा हुआ है। अधिकारी से लेकर कर्मचारी अपने-अपने पुराने रिकॉर्ड को खंगालने में लग गये हैं। कई कार्यालयों में अतिरिक्त सतर्कता देखी जा रही है और फाइलों की समीक्षा की जा रही है।


विशेषज्ञों का मानना है कि यह कार्रवाई राज्य सरकार की 'भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस' नीति के तहत की गयी है। अब सरकारी विभागों में लापरवाही,अनियमितता और पारदर्शिता की कमी को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जमुई में हुई यह कार्रवाई तो एक उदाहरण है, आने वाले समय में अन्य विभागों पर भी निगरानी की नजर है। यह छापेमारी यह भी दर्शाता है कि निगरानी अब पहले से अधिक सक्रिय और सजग हैं।


यदि सरकारी कार्यालयों में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं की गई,तो ऐसी कार्रवाइयों की संख्या और बढ़ सकती है। यही कारण है कि आए दिन घूसखोर निगरानी के हत्थे चढ़ रहे है। रिश्वत लेने वाले लोग अपनी आदतों से बाज नहीं आ रही है। निगरानी की नजर घूसखोरो पर भी है और सरकारी दफ्तरों में गड़बड़ी कर पैसा अर्जित करने वालों पर है।