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26-Jun-2025 11:50 AM
By First Bihar
Success Story: सफलता ना तो हालात देखती है, ना ही किसी शरीर की मजबूरी। इसका जीता-जागता उदाहरण हैं इरा सिंघल, जिन्होंने शारीरिक रूप से अक्षम होते हुए भी देश की सबसे कठिन और प्रतिष्ठित परीक्षा UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) में टॉप कर दिखाया। साल 2014 में उन्होंने सामान्य श्रेणी में IAS टॉपर बनकर वो इतिहास रच दिया जो आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुका है।
इरा सिंघल का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में हुआ था और उनका बचपन वहीं बीता। उन्होंने एक साक्षात्कार में बताया था कि जब वह सात-आठ साल की थीं, तब मेरठ में दंगों के कारण लंबा कर्फ्यू लगता था। उन्हें अकसर लोगों से सुनने को मिलता था कि 'कर्फ्यू DM लगाते हैं', और यहीं से जिलाधिकारी बनने का सपना उनके दिल में पलने लगा। बाद में उनका परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया, जहाँ इरा ने अपनी शिक्षा पूरी की।
उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित संस्थान से कंप्यूटर इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की और फिर देश के शीर्ष मैनेजमेंट संस्थानों में से एक FMS (Faculty of Management Studies) से एमबीए किया। पढ़ाई के बाद इरा ने एक नामी कन्फेक्शनरी कंपनी में स्ट्रैटेजी मैनेजर के तौर पर काम किया। लेकिन यह कॉरपोरेट जीवन उन्हें संतुष्ट नहीं कर सका, और उन्होंने अपने बचपन के सपने को साकार करने के लिए UPSC की तैयारी शुरू की।
इरा ने साल 2010, 2011 और 2013 में UPSC परीक्षा दी और तीनों बार IRS (Indian Revenue Service) में चयनित भी हुईं। लेकिन दुर्भाग्यवश, उन्हें शारीरिक अक्षमता के आधार पर पदभार ग्रहण करने से रोक दिया गया। यह घटना उनके लिए बेहद पीड़ादायक थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने UPSC आयोग के खिलाफ केस लड़ा, और कानूनी लड़ाई जीत कर यह साबित किया कि हक को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
इस पूरी यात्रा के दौरान इरा ने IAS बनने का सपना नहीं छोड़ा। चौथे प्रयास में, यानी वर्ष 2014 में, उन्होंने UPSC की सिविल सेवा परीक्षा में सामान्य श्रेणी में पहला स्थान प्राप्त कर इतिहास रच दिया। उनकी ये सफलता सिर्फ परीक्षा की नहीं, बल्कि दृढ़ निश्चय, आत्मबल और सामाजिक सोच की भी जीत थी।
आज इरा सिंघल एक प्रतिबद्ध, समर्पित और सशक्त IAS अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। वे खास तौर पर दिव्यांगजनों, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा और बाल संरक्षण जैसे क्षेत्रों में सक्रिय रूप से काम कर रही हैं। उन्होंने समाज में यह संदेश दिया कि "अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी बाधा मंजिल नहीं रोक सकती।" उनकी सफलता आज उन लाखों युवाओं के लिए उम्मीद की किरण है, जो किसी ना किसी कारणवश हिम्मत हार जाते हैं। इरा सिंघल की कहानी बताती है कि सपनों के आगे कोई भी शारीरिक चुनौती टिक नहीं सकती, अगर जज़्बा और मेहनत साथ हो।