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28-May-2025 01:35 PM
By First Bihar
IMF report : अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की अप्रैल में जारी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (WEO) रिपोर्ट में भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर एक बड़ी भविष्यवाणी की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2025-26 के अंत तक जापान को पछाड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। कुछ साल पहले ही भारत ने यूनाइटेड किंगडम को पीछे छोड़ते हुए 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल किया था। अब अगर ऐसा होता है तो भारत सिर्फ अमेरिका, चीन और जर्मनी से पीछे रहेगा।
भारत का तेज़ विकास और प्रति व्यक्ति आय का सवाल
हालांकि, भारत की कुल जीडीपी में तेज़ उछाल देखने को मिल रहा है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश अभी भी कई विकसित देशों से पीछे है। IMF के मुताबिक, भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी फिलहाल केवल $2,880 है, जबकि चीन की यह $13,690 और जापान की $33,960 है। प्रति व्यक्ति जीडीपी किसी देश की औसत आय और समृद्धि का अहम संकेतक होता है, और इस आधार पर भारत अभी शीर्ष 100 देशों में भी शामिल नहीं है – यहां तक कि क्रय शक्ति समता (PPP) रैंकिंग में भी नहीं।
क्या है रुकावटें?
भारत की बड़ी आबादी (1.4 अरब) जीडीपी की वृद्धि को व्यक्तिगत स्तर पर प्रभावी बनाने में बाधा बनती है। इसके अलावा, 90% से अधिक वर्कफोर्स अनौपचारिक क्षेत्र में है और महिला श्रमिकों की भागीदारी भी सिर्फ 26% है, जबकि वैश्विक औसत 47% है। इन वजहों से प्रति व्यक्ति लाभ सीमित हो जाता है। फिर भी, बीते 10 वर्षों में प्रति व्यक्ति आय लगभग दोगुनी हुई है, जो यह दर्शाती है कि जीडीपी ग्रोथ और जनसंख्या में धीमी वृद्धि के बीच एक बेहतर संतुलन बन रहा है।
GDP ग्रोथ की रफ्तार और ग्लोबल रैंकिंग
भारत की नॉमिनल जीडीपी 2014 से 2025 तक 105% से अधिक बढ़ेगी और 2025 तक भारत 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। 2014 में जहां भारत दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था, वहीं 2025 तक यह चौथे पायदान पर पहुंच जाएगा – महज 11 सालों में छह स्थान की छलांग। IMF ने अनुमान जताया है कि भारत 2025 में भी 6.2% की विकास दर के साथ दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। 1990 से 2023 तक भारत की औसत वार्षिक विकास दर 6.7% रही, जो अमेरिका (3.8%), जर्मनी (3.9%) और जापान (2.8%) से काफी बेहतर है।
भविष्य की दिशा: भारत का आर्थिक सपना
IMF और अन्य वैश्विक संस्थाओं के अनुमानों के अनुसार, भारत 2027 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनेगा और 2028 तक जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए तीसरे स्थान पर काबिज हो जाएगा। हालांकि, इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए भारत को निरंतर सुधारों की आवश्यकता होगी। PwC के रानेन बनर्जी का मानना है कि निजी उद्यमों को प्रोत्साहन देने वाले सुधार, MSME सेक्टर को गुणवत्ता बढ़ाने में सहयोग देने वाली सुविधाएं, लॉजिस्टिक्स की लागत में कटौती, और बुनियादी ढांचे में निवेश ज़रूरी हैं।
राजनीतिक स्थिरता और निवेशकों का भरोसा
पिछले एक दशक में राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक सुधारों ने वैश्विक निवेशकों के बीच भारत की विश्वसनीयता को मज़बूत किया है। हालांकि, इस प्रगति का लाभ व्यापक जनसंख्या तक पहुंचाने के लिए सरकार को युवाओं के लिए पर्याप्त रोजगार अवसरों का सृजन और एक मजबूत विनिर्माण आधार तैयार करने पर विशेष ध्यान देना होगा।