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25-Aug-2025 02:55 PM
By Viveka Nand
Bihar News: मोतिहारी के शिक्षा कार्यालय के अधिकारियों के आंख में पानी भी खत्म हो गया है. सरकारी स्कूलों में चवन्नी का भी काम नहीं हुआ, विद्यालय के हेडमास्टर को पता तक नहीं, उनके विद्यालय में काम भी हुआ है. इधर, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने अप्रैल महीने में ही प्रति स्कूल 4-5 लाख रू का बिल तैयार कर भुगतान के लिए भेज दिया. खबर है कि बिना काम कराये ही, प्रति विद्यालय लाखों रू का भुगतान हो भी गया. 1ST Bihar/Jharkhand ने 23 अगस्त को बड़े स्तर पर हुए भ्रष्टाचार का खुलासा किया. इसके बाद भीतर ही भीतर हड़कंप मच गया है. मोतिहारी के जिला शिक्षा पदाधिकारी टीम गठित करने कर जांच कराने की बात कर रहे तो जिला कार्यक्रम पदाधिकारी बुधवार को संग्रामपुर व अन्य प्रखंड़ों के वैसे स्कूल जहां बिना काम के भुगतान की खबर है, स्वयं जांच करने की बात दुहरा रहे.
देखना होगा जांच होती है या मामले को दबाने की कोशिश की जाती है...
1ST Bihar/Jharkhand ने 23 अगस्त को ''बड़ा खुलासाः सरकारी स्कूलों में 'चवन्नी' का भी काम नहीं हुआ और प्रति स्कूल 4-5 लाख का बिल भुगतान ! हेडमास्टर को पता भी नहीं और DPO ने भुगतान की कर दी सिफारिश, करोड़ों के घोटाले का खेल बेनकाब'' शीर्षक से खबर छापी थी. खबर के बाद खेल में शामिल अधिकारी-इंजीनियर-ठेकेदारों में हड़कंप मच गया. मोतिहारी से जिला शिक्षा पदाधिकारी से जब पूरे खेल के बारे में पूछा गया, तो पहले तो चुप रहे. फिर कहा कि वे पूरे मामले में जांच कमेटी गठित कर जांच करेंगे. पता लगायेंगे कि बिना काम के ही राशि निकासी हुई है या नहीं ? वहीं जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (सर्व शिक्षा) प्रह्लाद कुमार ने कहा कि मंगलवार को स्कूल में छुट्टी है. बुधवार को वे जांच करेंगे.
जानें पूरा मामला......
मामला पूर्वी चंपारण(मोतिहारी) से जुड़ा है. जहां करोड़ों के खेल का खुलासा हुआ है. मोतिहारी में जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय भ्रष्टाचार में लिप्त है. इन आरोपों में पूर्व के दो जिला शिक्षा पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है, फिर भी डर नही. मार्च 2025 में सरकारी स्कूलों में असैनिक कार्य करने वाले ठेकेदारों की राशि का भुगतान किया गया. फिर भी करोड़ों का भुगतान रूक गया. मार्च 2025 के बाद जिला कार्यक्रम पदाधिकारी(स्थापना) ने 260 स्कूलों की एक लिस्ट तैयार की. यह लिस्ट जिला शिक्षा पदाधिकारी के पत्र के आलोक में तैयार कर BSEIDC के उप प्रबंधक तकनीकी पूर्वी चंपारण को भेजी गई। लिस्ट में राशि भुगतान को लेकर विद्यालय की सूची संलग्न की गई थी. जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना ने 12 अप्रैल 2025 को उप प्रबंधक तकनीकी बीएसईडीसी को पत्र लिखा था. जिसमें कहा था कि जिला शिक्षा पदाधिकारी ने 10 अप्रैल 2025 को असैनिक योजनाओं से संबंधित सूची उपलब्ध कराने का कहा था. इस आलोक में वित्तीय वर्ष 2024- 25 के वैसे सभी असैनिक योजना का भुगतान किया जाना है. इस संबंध में क्रमांक 1 से 260 तक एजेंसी वार सूची संलग्न कर भेजी जा रही है. जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने वैसे सरकारी स्कूल जहां मरम्मति के काम हुए थे, से संबंधित विपत्र जिनका भुगतान 25 मार्च 2025 के बाद नहीं हो सका था, उसकी सूची भेजी थी. जिन 260 स्कूलों की सूची जहां काम के बदले भुगतान करना था, उनमें अधिकांश केसरिया, तुरकौलिया, बंजरिया, अरेराज, कल्याणपुर, प्रखंड़ों के थे. कुल 11 करोड़ 41 लाख 32 हजार 321 रू का विपत्र भेजा गया था.
हेडमास्टरों ने खोली भ्रष्टाचार की पोल
अब आइए, मुख्य बिंदु पर. जिन विद्यालयों में हुए काम के बदल राशि भुगतान को लेकर डीईओ कार्यालय पूरी हड़बड़ी में था, उसकी हकीकत क्या है ? मोतिहारी के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी(स्थापना) ने 12 अप्रैल को 260 स्कूलों में काम किए एजेंसी को भुगतान की लिस्ट BSEIDC के उप प्रबंधक तकनीकी पूर्वी चंपारण को भेजी. प्रति विद्यालय में 5 लाख से कम का बिल स्वीकार कर भेजा गया. यह काम जिला कार्यक्रम पदाधिकारी(स्थापना) ने किया. इसके लिए 11 करोड़ 41 लाख 32 हजार रू का भुगतान करना था. जिला शिक्षा कार्यालय मोतिहारी के अधिकारियों के भ्रष्टाचार की पोल उन विद्यालय के प्रधानाध्यापकों ने ही खोली. जब उनसे पूछा गया कि, आपके यहां स्कूल की मरम्मति हुई है...ठेकेदार ने काम किया है ?यह सवाल सुनकर हेडमास्टर भौंचक रह गए।
बिना काम कराये ही पैसे के लिए दौड़ने लगी फाइल
पूर्वी चंपारण के संग्रामपुर प्रखंड के लगभग 3 दर्जन विद्यालयों में ##### हार्डवेयर नाम की एजेंसी ने कागज पर काम किया. प्रति विद्यालय 5 लाख से कम का बिल लगाया गया. जिला कार्यक्रम पदाधिकारी(स्थापना) ने बिल स्वीकार कर भुगतान के लिए भेजा. काम के बदले बिल का भुगतान करना गुनाह नहीं. गुनाह तब है जब काम कागज पर ही हो जाय, जिस संस्थान में काम हुआ, उसके प्रधान को पता ही नहीं. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है. मोतिहारी के सरकारी स्कूलों में ऐसा ही हुआ है. काम कागज पर हुआ और राशि सरकारी खजाने से निकाली जा रही . पूरी पोल-पट्टी सरकारी स्कूल प्रधानाध्यापक ही खोल रहे हैं. जिस विद्यालय में काम दिखाया जा रहा है, वहां किसी तरह का सिविल वर्क हुआ ही नहीं. G.M.S. के प्रधानाध्यापक रमेश तिवारी से पूछा गया कि आपके स्कूल में लगभग 4 लाथ 90 हजार राशि से मरम्मति का काम हुआ है ? इस पर उन्होंने आश्चर्य जताया और कहा कि किसी तरह का कोई काम नहीं हुआ है. उत्क्रमित मध्य विद्यालय राजपुर के प्रधान शिक्षक और राजपुर टोला के प्रधानाध्यापक संजय कुमार ने भी यही बातें कहीं. जीपीएस सिकंदरपुर खैराचक के प्रधानाध्यापक बलराम प्रसाद ने कहा कि उन्हें किसी तरह के काम होने की जानकारी भी नहीं है.