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पटना नगर निगम की बैठक में फिर भारी हंगामा, कुर्ते फाड़े गये: मेयर ने दागी कंपनी को ठेका देने की कोशिश की तो बवाल, मेयरपुत्र ने भी संभाला मोर्चा

पटना नगर निगम की बैठक में मेयर द्वारा दागी कंपनी को ठेका देने के प्रयास पर फिर हंगामा हुआ. पार्षदों में जमकर गाली-गलौज और कुर्ताफाड़ी. मेयरपुत्र शिशिर कुमार पर भी गंभीर आरोप लगे है.

Bihar

11-Jul-2025 04:18 PM

By First Bihar

PATNA: भ्रष्टाचार की काली कहानियों से बदनाम पटना नगर निगम की बैठक में एक बार फिर जमकर हंगामा हुआ. पटना नगर निगम की नवमी साधारण बैठक की आज जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई, वैसे ही विवाद खड़ा हो गया. मेयर गुट ने एक दागी कंपनी को ठेका देने का प्रस्ताव पेश किया, जिसे उनके विरोधी पार्षदों ने खारिज कर दिया. इसके बाद हंगामा शुरू हो गया. 


गाली-गलौज, कुर्ते फाड़े गये

नगर निगम की बैठक में मेयर के प्रस्ताव पर इतना बड़ा विवाद खड़ा हुआ कि वार्ड पार्षदों ने एक दूसरे से गाली गलौज करना शुरू कर दिया. एक दूसरे को देख लेने की धमकी तक दिए जाने लगे. मामला तब और शर्मसार हो गया जब पार्षदों ने एक दूसरे के कुर्ते फाड़ डाले.


नगर आयुक्त समेत दूसरे अधिकारी निकले

निगम की बैठक में भारी हंगामे के बीच स्थिति आउट ऑफ कंट्रोल हो गयी. इसके बाद वहां मौजूद नगर आयुक्त औऱ नगर निगम के दूसरे पदाधिकारी बैठक से बाहर निकल गये. नगर आयुक्त ने कहा कि नियम-कानून के खिलाफ बैठक में प्रस्ताव लाया जा रहा है, वे इसकी मंजूरी नहीं दे सकते. उसके बाद मेयर विरोधी गुट ने भी बैठक का बहिष्कार कर दिया. इसके बाद कार्यवाही को बीच में स्थगित कर देना पड़ा. 


दागी कंपनी को ठेका देने की बार-बार कोशिश

नगर निगम में चल रहे विवाद की जड़ मेयर द्वारा बार-बार लाया जा रहा एक एजेंडा है. मामला एक दागी कंपनी को ठेका देने का है. पटना नगर निगम की मेयर सीता साहू अमेजिंग इंडिया नाम की एक कंपनी को पार्किंग का ठेका देने की लगातार कोशिश कर रही है. इससे पहले भी निगम की बैठक में इस मामले पर भारी हंगामा हुआ था. लेकिन आज फिर मेयर ने ठेका देने के एजेंडे को पास कराने की कोशिश, जिसके बाद हंगामा हो गया. 


बैठक में ही निगम आयुक्त अनिमेष पाराशर ने एजेंडे को नियम विरुद्ध बताया और अपनी आपत्ति दर्ज कराई. उनका कहना था कि एजेंडे की स्वीकृति प्रक्रिया में नगर निगम के निर्धारित नियमों का पालन नहीं किया गया है. ऐसे में वे इसकी मंजूरी नहीं दे सकते.


मेयर के अपनों ने भी साथ छोड़ा

पटना नगर निगम की मेयर सीता साहू के कट्टर समर्थकों माने जाने वार्ड पार्षद इंद्रदीप चंद्रवंशी ने बताया कि जो प्रस्ताव मेयर गुट के तरफ से ले गए उस प्रस्ताव पर पहले कोई चर्चा ही नहीं हुई थी. नियम के मुताबिक प्रस्ताव लाने से पहले सशक्त समिति में उस पर चर्चा होती है फिर आम बैठक में प्रस्ताव लाया जाता है. लेकिन मेयर ने बिना कोई चर्चा के बैठक में मनमाना प्रस्ताव पेश कर दिया.


मेयरपुत्र ने भी संभाल रखा था मोर्चा

पटना के एक होटल में हो रही नगर निगम की बैठक के बाहर मेयरपुत्र शिशिर कुमार ने भी मोर्चा संभाल रखा था. बता दें कि शिशिर कुमार पर बेहद गंभीर आरोप लग चुके हैं. सरकार के पास इसकी आधिकारिक रिपोर्ट है कि शिशिर कुमार ने नगर निगम को भ्रष्टाचार औऱ कमीशनखोरी का अड्डा बना दिया है. बिना कमीशन के किसी एजेंसी को नगर निगम का ठेका नहीं मिलता. 


शिशिर कुमार पर नगर निगम के कई पदाधिकारियों के साथ गाली-गलौज और मारपीट करने का आरोप लग चुका है. बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी औऱ नगर विकास मंत्री के सामने शिशिर कुमार ने नगर सचिव को मां-बहन की भद्दी गालियां दी थी. इसके बाद शिशिर कुमार के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करायी गयी थी. वहीं, एक महिला अधिकारी ने शिशिर कुमार की गाली-गलौज से आहत होकर नगर निगम से इस्तीफा दे दिया था. महिला अधिकारी ने भी पुलिस के समक्ष शिशिर कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया था.  


25 जून को भी हुआ था हंगामा

दागी कंपनी को ठेके देने की मेयर की कोशिशों को लेकर 25 जून को भी नगर निगम की बैठक में भारी हंगामा हुआ था. उस बैठक को रद्द कर दिया गया था. उस बैठक में भी दागी कंपनी अमेजिंग इंडिया को फिर से स्मार्ट पार्किंग का ठेका देने का प्रस्ताव लागा गया था. ये वही कंपनी है, जिसे नाजायज काम में लिप्त पाये जाने पर नगर निगम ने ठेका रद्द कर दिया था. इसके बावजूद ये कंपनी पार्किंग वसूल रही थी. उस पर रोक लगाने के लिए जब नगर आयुक्त ने अपने रेवेन्यू ऑफिसर को भेजा तो उसे किडनैप करके हत्या करने की कोशिश की गई. उसके बाद FIR दर्ज कर इस एजेंसी को टर्मिनेट किया गया. पटना की मेयर उसी एजेंसी को फिर से बहाल करने की लगातार कोशिश कर रही है. 


दिलचस्प बात और भी है. अमेजिंग इंडिया कंपनी ने नगर निगम के खिलाफ कोर्ट में केस कर रखा है. कोर्ट में अमेजिंग इंडिया के खिलाफ एडवोकेट प्रसून सिन्हा निगम की ओर से केस लड़ रहे थे. मेयर उन्हें निगम की सेवा से मुक्त करके नए अधिवक्ताओं के पैनल के गठन का प्रस्ताव भी ला रही है.