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04-Dec-2025 07:23 AM
By First Bihar
Land for Job scam : राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के लिए आज का दिन बेहद अहम माना जा रहा है। वर्षों से सुर्खियों में रहे लैंड फॉर जॉब scam— जमीन के बदले नौकरी देने के कथित मामले— में आज रायूज एवेन्यू कोर्ट में आरोप तय किए जा सकते हैं। अदालत की ओर से होने वाली इस सुनवाई पर न सिर्फ राजनीतिक हलकों बल्कि पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं।
लैंड फॉर जॉब मामला उस अवधि से जुड़ा है जब लालू प्रसाद यादव रेलवे मंत्री थे। आरोप यह है कि रेलवे में ग्रुप-D और अन्य पदों पर भर्ती कराने के लिए कई व्यक्तियों से उनकी परिवार के नाम पर जमीन ली गई। सीबीआई के अनुसार, यह जमीन बाजार मूल्य से काफी कम दाम पर ली गई थी और बदले में उन लोगों को रेलवे में नौकरियां दी गईं।
इस मामले में सीबीआई ने लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव समेत परिवार के अन्य सदस्यों और कई आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
रायूज एवेन्यू स्थित विशेष सीबीआई कोर्ट में आज इस मामले में महत्वपूर्ण सुनवाई निर्धारित है। पिछली सुनवाई के दौरान, विशेष सीबीआई न्यायाधीश विशाल गोगने ने 10 नवंबर को अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए 4 दिसंबर तक के लिए फैसला टाल दिया था। आज अदालत यह तय करेगी कि मामले में आरोप तय किए जाने लायक पर्याप्त सबूत हैं या नहीं।
यदि अदालत को आरोप तय करने के लिए पर्याप्त आधार मिलता है, तो यह लालू परिवार के लिए परेशानी बढ़ा सकता है। वहीं, यदि अदालत पर्याप्त सबूत नहीं पाती है और आरोप तय नहीं होते, तो लालू परिवार को बड़ी राहत मिल सकती है।
सीबीआई की ओर से पेश किए गए साक्ष्यों में जमीन के दस्तावेज, लेन-देन के विवरण और कथित लाभ लेने वाले व्यक्तियों के बयान शामिल हैं। एजेंसी का दावा है कि यह मामला भ्रष्टाचार का स्पष्ट उदाहरण है, जिसमें जनता के पद का दुरुपयोग किया गया।
दूसरी ओर, लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार की ओर से लगातार कहा गया है कि यह मामला राजनीतिक प्रेरित है और उन्हें फंसाया जा रहा है। बचाव पक्ष का तर्क है कि भूमि खरीद पूरी तरह वैध थी और इसका रेलवे में नौकरी देने से कोई संबंध नहीं है।
इस पूरे मामले ने बिहार की राजनीति में एक बार फिर सरगर्मी बढ़ा दी है। लालू यादव और तेजस्वी यादव बिहार की राजनीति के केंद्र में हैं, ऐसे में इस मामले का फैसला राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकता है।
महागठबंधन के नेता इस मामले को भाजपा सरकार द्वारा राजनीतिक बदला बताने से नहीं चूकते। उनका कहना है कि विपक्षी दलों को कमजोर करने के लिए सीबीआई और अन्य जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। वहीं भाजपा नेताओं का कहना है कि कानून अपना काम कर रहा है और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को सजा मिलनी चाहिए।
यदि अदालत आरोप तय करती है, तो लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को आगे लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा। इससे उनके राजनीतिक कार्यक्रमों, चुनावी रणनीतियों और पार्टी की दिशा पर असर पड़ सकता है।लालू प्रसाद यादव पहले से ही चारा घोटाला मामले में दोषी ठहराए जा चुके हैं और कई बार जेल भी जा चुके हैं। ऐसे में किसी नए मामले में आरोप तय होना उनके लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।तेजस्वी यादव, जो बिहार के प्रमुख विपक्षी नेता हैं, इस मामले से राजनीतिक दबाव में आ सकते हैं। विरोधी दल इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाकर उन्हें घेरने की कोशिश कर सकते हैं।
आज की सुनवाई में अगर अदालत कहती है कि अभियोजन के पास पर्याप्त सबूत हैं, तो औपचारिक रूप से आरोप तय कर दिए जाएंगे। इसके बाद मामले की नियमित सुनवाई शुरू होगी।अगर सबूत पर्याप्त नहीं पाए जाते, तो जिस तरह से इस मामले में लंबे समय से चली आ रही कानूनी चुनौतियों के बीच लालू परिवार को राहत की उम्मीद है, वह पूरी हो सकती है।