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06-Dec-2025 02:49 PM
By First Bihar
देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो की दर्जनों उड़ानों के अचानक रद्द होने से हवाई यात्रा व्यवस्था पूरी तरह पटरी से उतर गई है। इसके बाद टिकट किराए में जिस तेज़ी से आग लगी, उसने आम मुसाफ़िरों की जेबें झुलसा दी हैं। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे व्यस्त मार्गों पर एकतरफ़ा टिकट दरें इस कदर बढ़ीं कि कई यात्रियों को लगा मानो वे विमान का टिकट नहीं, बल्कि कोई लग्ज़री वाहन खरीद रहे हों।
दिल्ली–बेंगलुरु टिकट 80 हजार तक पहुँचा
ट्रैवल पोर्टल मेकमाईट्रिप के ताज़ा बुकिंग डेटा के मुताबिक, 6 दिसंबर को दिल्ली–बेंगलुरु मार्ग पर सबसे सस्ती फ्लाइट का किराया 40,000 रुपये के पार निकल गया। वहीं कुछ टिकट 75,000 से 80,000 रुपये तक बिके, जो सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक है। इसी तरह दिल्ली–मुंबई रूट पर टिकट 36,000 से 56,000 रुपये में मिलते रहे, जबकि दिल्ली–चेन्नई मार्ग पर किराया 62,000 से 82,000 रुपये तक जा पहुंचा।
टिकट दरों का ये उछाल पूरी तरह असामान्य, अवसरवादी और यात्रियों के लिए बेहद बोझिल माना जा रहा है। अचानक उड़ानें रद्द होने से एक तरफ यात्रियों में अफरा-तफरी मची, दूसरी तरफ उपलब्ध सीमित सीटों की वजह से कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं।
यात्रियों की परेशानी बढ़ी, कई का सफ़र ठप
इंडिगो की उड़ानों के रद्द होने से देशभर के एयरपोर्ट्स पर यात्रियों की भारी भीड़ जुट गई। तकनीकी खामी, क्रू की कमी और ऑपरेशनल चुनौतियों जैसे कारणों को लेकर विभिन्न उड़ानें रद्द होने का सिलसिला कई घंटों तक चलता रहा।
इस वजह से सैकड़ों यात्री एयरपोर्ट पर फंसे रहे। इसके अलावा बिजनेस यात्राएँ प्रभावित हुईं साथ ही साथ मेडिकल अपॉइंटमेंट और इमरजेंसी यात्रा बाधित हो गई। इसके साथ ही छात्रों और बुज़ुर्ग यात्रियों को सबसे ज़्यादा दिक्कत हुई। इसमें कई यात्रियों ने सोशल मीडिया पर शिकायतें पोस्ट करते हुए कहा कि “यह हवाई यात्रा नहीं, बल्कि मजबूरी का शोषण है।” कुछ ने तो यहां तक लिखा कि किराया सुनकर ऐसा लगा जैसे “बेंगलुरु नहीं, विदेश जाना हो।”
सरकार का कड़ा रुख – ‘मजबूरी को मुनाफ़े का ज़रिया न बनने दें’
स्थिति को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार तुरंत हरकत में आई। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने स्पष्ट चेतावनी जारी की कि संकट के इस दौर में कोई भी एयरलाइन यात्रियों की जेब काटने की कोशिश करेगी, तो उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा।
मंत्रालय ने अपने वैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए सभी प्रभावित मार्गों पर अधिकतम किराया सीमा (Fare Cap) लागू कर दी है। इसके तहत एयरलाइंस अब किसी भी रूट पर निर्धारित सीमा से ऊपर टिकट नहीं बेच सकतीं। सरकार ने कहा—“हवाई यात्रा किसी की मजबूरी का मुनाफ़ा नहीं बन सकती। यह जनता की सुरक्षा और उनके अधिकारों से जुड़ा मसला है।”
रीयल-टाइम मॉनिटरिंग शुरू
उड्डयन मंत्रालय ने एयरलाइनों और ऑनलाइन ट्रैवल प्लेटफॉर्म्स से रीयल-टाइम डेटा लेकर निगरानी शुरू कर दी है। अब टिकट बिक्री से जुड़ा हर आंकड़ा सरकार की नजर में है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह किराया नियंत्रण एक अस्थायी व्यवस्था है, लेकिन यह तब तक लागू रहेगा जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती और उड़ान संचालन बहाल नहीं हो जाता। यह फैसला खासतौर पर उन यात्रियों के लिए राहत माना जा रहा है, जिन्हें अचानक किसी काम से यात्रा करनी पड़ती है। जैसे मरीज, छात्र, नौकरीपेशा लोग और आपात स्थितियों में सफ़र करने वाले परिवार।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम एयरलाइंस पर बड़ा दबाव बनाएगा। इंडिगो सहित सभी कंपनियों को अब अपने सिस्टम को स्थिर करना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि उड़ानें बिना रुकावट चलती रहें। सरकारी हस्तक्षेप के बाद यात्रियों को उम्मीद है कि अगले 24 से 48 घंटों में किराए स्थिर होने लगेंगे और हवाई यात्रा की सुविधा सामान्य हो जाएगी। हालांकि, यह स्थिति एयरलाइंस की ऑपरेशनल तैयारी पर भी निर्भर करती है कि वे उड़ानों को कितनी जल्दी बहाल कर पाती हैं।