Bihar Vidhan Sabha : बिहार विधानसभा में शनिवार को एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक फैसला लिया गया। विधानसभा अध्यक्ष प्रेम कुमार ने सदन की कुल 19 स्थायी एवं विषयगत समितियों का गठन कर दिया है। इन समितियों में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के वरिष्ठ विधायकों को जिम्मेदारी दी गई है। खास बात यह है कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ विधायक भाई वीरेंद्र को लोक लेखा समिति (PAC) का सभापति बनाया गया है, जिसे एक बेहद महत्वपूर्ण और प्रभावशाली समिति माना जाता है।
विधानसभा अध्यक्ष प्रेम कुमार स्वयं तीन प्रमुख समितियों के सभापति होंगे। इनमें नियम समिति, सामान्य प्रयोजन समिति और विशेषाधिकार समिति शामिल हैं। ये समितियां विधानसभा की कार्यप्रणाली, सदन के विशेषाधिकारों और प्रशासनिक मामलों से जुड़ी होती हैं, इसलिए इनका महत्व काफी अधिक होता है। अध्यक्ष का इन समितियों का नेतृत्व करना यह दर्शाता है कि विधानसभा की कार्य व्यवस्था को मजबूत और सुचारू रखने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
खरमास शुरू होने से पहले सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले को राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टि से अहम माना जा रहा है। समिति गठन में कई पूर्व मंत्रियों को भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। इनमें नीतीश मिश्रा, संतोष कुमार निराला, दामोदर रावत और हरिनारायण सिंह जैसे अनुभवी नेता शामिल हैं। इन नेताओं का प्रशासनिक अनुभव समितियों के कामकाज में उपयोगी साबित हो सकता है।
राजद विधायक भाई वीरेंद्र को लोक लेखा समिति का सभापति बनाए जाने को विपक्ष के लिए बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। लोक लेखा समिति सरकार के खर्चों, वित्तीय लेन-देन और महालेखाकार की रिपोर्ट की जांच करती है। इस समिति के जरिए सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की भूमिका निभाई जाती है। भाई वीरेंद्र के लंबे संसदीय अनुभव को देखते हुए यह जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है।
पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा को प्राक्कलन समिति का सभापति बनाया गया है। यह समिति विभिन्न विभागों के बजटीय प्रावधानों और खर्चों का आकलन करती है। वहीं जदयू के वरिष्ठ विधायक हरिनारायण सिंह को सरकारी उपक्रम समिति का सभापति बनाया गया है, जो राज्य सरकार के उपक्रमों और सार्वजनिक संस्थानों के कामकाज की समीक्षा करती है।
जनक सिंह को याचिका समिति की जिम्मेदारी दी गई है, जहां आम जनता से जुड़ी याचिकाओं और शिकायतों पर विचार किया जाता है। दामोदर रावत को राजकीय आश्वासन समिति का सभापति बनाया गया है। यह समिति सरकार द्वारा सदन में दिए गए आश्वासनों के क्रियान्वयन की निगरानी करती है।
अमरेंद्र कुमार पांडेय को प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण समिति का सभापति बनाया गया है, जो सदन में पूछे जाने वाले सवालों और ध्यानाकर्षण प्रस्तावों से जुड़े मामलों को देखती है। वहीं शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल को जिला परिषद एवं पंचायती राज समिति की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो ग्रामीण विकास और स्थानीय स्वशासन से जुड़े मुद्दों पर काम करती है।
विधानसभा अध्यक्ष ने संतोष कुमार निराला को अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण समिति का सभापति बनाया है, जबकि सिद्धार्थ सौरभ को निवेदन समिति का जिम्मा सौंपा गया है। ये दोनों समितियां सामाजिक न्याय और जनसमस्याओं से सीधे तौर पर जुड़ी हुई हैं।
इसके अलावा अश्वमेघ देवी को महिला एवं बाल विकास समिति की सभापति बनाया गया है, जो महिलाओं और बच्चों से संबंधित योजनाओं और नीतियों की समीक्षा करेगी। संजीव चौरसिया को आचार समिति का सभापति नियुक्त किया गया है, जो विधायकों के आचरण और सदन की मर्यादा से जुड़े मामलों पर नजर रखती है।
अवधेश सिंह को पर्यावरण समिति, अख्तरुल इमान को अल्पसंख्यक कल्याण समिति और मनोरंजन सिंह को पर्यटन उद्योग समिति की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं रेणु सिंह विरासत विकास समिति की कमान संभालेंगी और निशा सिंह को कारा सुधार समिति का सभापति बनाया गया है।
कुल मिलाकर, बिहार विधानसभा में गठित इन 19 समितियों के जरिए सरकार और विपक्ष दोनों को नीतिगत और प्रशासनिक स्तर पर अहम भूमिका निभाने का मौका मिलेगा। समिति गठन को आगामी सत्रों और विधायी कार्यों के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।