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25-Jan-2025 10:48 AM
Anant singh : Bihar के Mokama में Anant Singh और सोनू-मोनू गुट के बीच टकराव में जमकर गोलियां चली। अनंत सिंह के वर्चस्व को चुनौती देने वाले इन दोनों भाइयों पर कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि यह दोनों भाई विवेका पहलवान के गैंग से जुड़े रहे हैं। ऐसे में इस गोलीबारी की हकीकत क्या है इसको लेकर आज हम आपको कुछ अहम बताने वाले हैं।
अनंत सिंह के स्टाइल को कॉपी करते हैं सोनू-मोनू
दरअसल, सोनू और मोनू की अनंत सिंह से सीधी अदावत नहीं रही है। बल्कि सही तौर पर देखें तो सोनू और मोनू दोनों भाई अनंत सिंह की स्टाइल के फैन हैं और उनकी तरह ही यह दोनों भाई भी अपने घर के बाहर दरबार लगाते हैं और इनके पास आए फरयादी का यदि कोई काम प्रखंड स्तर से नहीं हो रहा है तो एक फ़ोन कॉल से उसका काम करवाने तक की ताकत रखते हैं। यह दोनों भाई कहते भी हैं कि हम एक तरफ से अनंत सिंह के स्टाइल के फैन हैं। लेकिन उनके विचार का हम समर्थन नहीं करते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर फैन फिर गोलीबारी कैसे कर सकता है तो आइए इसकी कहानी भी आपको बताते हैं?
सोनू और मोनू दोनों भाई वैसे तो मुख्य तौर पर अपने इलाके में ठेकेदारी का काम करते हैं और अपना रोजी-रोजगार चलाते हैं। यह दोनों कुछ दिन पहले ही इलाके में चर्चित हुए हैं। हालांकि,अभी भी इनका क्रेज या कहें की नाम उतना नहीं था,जितना इन दिनों अनंत सिंह प्रकरण के बाद हुआ है। यह दोनों विवेका पहलवान ग्रुप के मेंबर थे। यह बात खुद सोनू स्वीकार भी करते हैं और कहते हैं कि विवेका पहलवान उसके लिए पीता के जैसे हैं। उन्होंने मुझे काफी मदद किया है।
विवेका सिंह के शिष्य हैं सोनू-मोनू
अब सवाल यह है कि विवेका पहलवान कौन है तो इसका जवाब यह है कि विवेक पहलवान अनंत सिंह के गांव के ही हैं और उनके गोतिया लगते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन्होंने अनंत सिंह के एक भाई की हत्या करवाने कि साजिश रची थी। इतना ही नहीं विवेका पहलवान अनंत सिंह के रिश्ते में उनका चाचा लगते हैं। विवेका और अनंत सिंह की अदावत में इन दोनों के परिवार के कई लोगों की हत्या हो चुकी है।जिनमें अनंत सिंह के भाई और उनके बहनोई की हत्या हो चुकी थी। इसके बाद ही इनका अनंत सिंह के साथ रिश्ता खराब हो गया और दोनों तरफ से जमकर एक समय में लड़ाई हुई और न जानें कितने लोगों की जानें भी गई। इन दोनों ने पुरे इलाके को दहशत ले एक समय में लाकर खड़ा कर दिया था। लेकिन,बाद में पुलिस के एक्शन के बाद मामला शांत हुआ। लेकिन,इन दोंनों के अंदर जो गर्मी थी वह कम नहीं हो रही थी। हालांकि,बाद में केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने इस मामले में अगवाई कि और पिछले उपचुनाव में विवेका सिंह और अनंत सिंह के बीच सुलह करवाया। जबकि इससे पहले सोनू-मोनू विवेका पहलवान के साथ काफी घुल-मिल गया था। अब वापस आते हैं अनंत सिंह और सोनू मोनू के हमले कि कहानी पर।
50 लाख में हत्या की सुपारी
बताया जाता है कि यह पहली बार नहीं था कि सोनू-मोनू गैंग ने अनंत सिंह को निशाना बनाया हो। इससे पहले 2018 में भी सोनू-मोनू गैंग ने अनंत सिंह कि हत्या की साजिश रची गई थी। लेकिन उस वक्त पुलिस ने हमला होने से पहले गिरफ्तारी कर ली थी। जबकि इसके ठीक एक साल पहले साल 2017 में सोनू के भाई मोनू सिंह ने अनंत सिंह की हत्या के लिए 50 लाख रुपये की सुपारी ली थी। इसके साथ ही सोनू सिंह का यह भी कहना है कि अनंत सिंह ने उनकी बहन पर भी 302 का मुकदमा दर्ज करवा है। इतना ही नहीं इनके बहनोई को भी चुनाव हरवाने में अहम रोल निभाया। इसके अलाबा जेल में जब सोनू -मोनू कैद थे तो वहां भी अनंत सिंह ने अपने कुछ लड़कों से हमला करवाया। तो इसका मतलब साफ़ है कि ;लड़ाई की मुख्य वजह इनदोनों का विवेका सिंह से करीबी होना है।
मोनू ने मुंगेर से 6 लाख रुपये में AK-47 राइफल खरीदी
इतना ही नहीं उसने इस हाई प्रोफाइल मर्डर के लिए मुंगेर से 6 लाख रुपये में AK-47 राइफल खरीदी और सोनपुर मेले में हत्या की योजना बनाई थी। लेकिन मोनू की यह योजना सफल नहीं हो सकी। इसके बाद उसने अनंत सिंह पर हमला करने के लिए दोबारा रेकी की। इस हमले में अनंत सिंह के करीबी मुखिया प्रत्याशी मणि सिंह की हत्या किये जाने का भी प्लान था। लेकिन वो हमला कर पाता उससे पहले ही पुलिस ने मोनू और उसके साथी नीलेश को गिरफ्तार कर लिया था। स्थानीय लोग इस पुरे प्रकरण को भी विवेका पहलवान के अदावत से जोड़ कर देखते हैं। हालांकि,अबतक इसका कोई प्रमाण नहीं मिला है।
BJP कैंडिडेट के लिए प्रचार करते थे सोनू-मोनू
वहीं, अनंत सिंह और विवेका पहलवान के बीच पैचअप हो गया. लेकिन उनके शूटर रहे सोनू-मोनू का पैचअप नहीं हुआ। पिछले उपचुनाव में विवेका जहां अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी का प्रचार कर रहे थे, वहीं ये दोनों भाई NDA कैंडिडेट ललन सिंह (बीजेपी नेता) की पत्नी का समर्थन कर रहे थे। इस दौरान अनंत सिंह जेल में थे।
मुलाकात के बाद भी नहीं बनी बात
अनंत सिंह 2005 से 2022 तक अलग-अलग दलों से मोकामा से विधायक रहे हैं। 2022 में उनकी सदस्यता रद्द होने के बाद उनकी पत्नी यहां से विधायक चुनी गई थीं। अनंत सिंह का भी आपराधिक इतिहास रहा है। उनके चुनावी हलफनामे के मुताबिक, उनपर 52 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। जिनमें हत्या से लेकर अपहरण और यूएपीए के तहत मुकदमे शामिल हैं। यूएपीए मामले में अनंत सिंह को साल 2024 में बेल मिल गई। वहीं जेल से आने के बाद उन्होंने सोनू-मोनू से मुलाकात की। जिसकी एक तस्वीर भी सोशल मीडिया पर वायरल है। लेकिन शायद बात नहीं बन पाई।
लोकसभा चुनाव में मोकामा में पिछड़े ललन सिंह
इधर मोकामा मुंगेर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है ,इस क्षेत्र से 2024 में केंद्रीय मंत्री ललन सिंह जदयू के उम्मीदवार थे। उनको चुनावी लाभ पहुंचाने के लिए अनंत सिंह को पैरोल पर जेल से बाहर निकाला गया था। लेकिन चुनाव आयोग के एक आंकड़े के मुताबिक ललन सिंह मुंगेर के बाकी विधानसभाओं में तो आगे रहे लेकिन मोकामा में पिछड़ गए। इस घटना को मोकामा में भूमिहारों की आपसी अदावत से जोड़ कर देखा गया। जिसके सोनू-मोनू भी एक अहम किरदार हैं।
गौरतलब हो कि, जलालपुर नौरंगा गांव के रहने वाले सोनू-मोनू कुख्यात अपराधी हैं। इन पर मर्डर, अपहरण और फिरौती समेत 12 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। जमालपुर नौरंगा पंचायत के रहने वाले सोनू-मोनू का उनके ईंट-भट्ठे पर मुंशी का काम करने वाले मुकेश कुमार से पैसे का विवाद चल रहा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुकेश कुमार जमालपुर नौरंगा पंचायत के हेमजा गांव का रहने वाला है और वह लखीसराय जिले के खुटहा गांव स्थित चिमनी में मुंशी का काम करता था। उसमें सोनू-मोनू पार्टनर थे। इस चिमनी के संचालक ने मुकेश पर 60 लाख रुपये के गबन का आरोप लगाया था। इसी सिलसिले में 4 दिन पहले सोनू-मोनू ने उनके घर पर ताला जड़ दिया था।
मुकेश कुमार ने बताया कि इस घटना के बाद वह शिकायत करने थाने पहुंचे। लेकिन वहां उसकी सुनवाई नहीं हुई। जिसके बाद वह एसपी कार्यालय पहुंचे. यहां भी उचित कार्रवाई का आश्वासन नहीं मिला। जिसके बाद वह अनंत सिंह के पास पहुंचे। अनंत सिंह पहले भी इस तरह के मामलों में हस्तक्षेप करते रहे हैं। अनंत सिंह ने पहले तो सोनू-मोनू से फोन पर बात की। इस दौरान दोनों ओर से तीखी बहस हो गई। उसके बाद अनंत सिंह अपने समर्थकों के साथ हमजा गांव पहुंचे.और अपनी मौजूदगी में ताला खुलवाया और फिर इसके बाद सोनू-मोनू के गांव नौरंगा पहुंचे। अनंत सिंह के नौरंगा पहुंचते ही दोनों ओर से गोलियां चलने लगीं।