UP में नीतीश मॉडल की ये दुर्दशा: हजार वोट के लिए भी तरस गये JDU प्रत्याशी, कई तो चुनाव से पहले ही भाग खड़े हुए

UP में नीतीश मॉडल की ये दुर्दशा: हजार वोट के लिए भी तरस गये JDU प्रत्याशी, कई तो चुनाव से पहले ही भाग खड़े हुए

DESK: जिस नीतीश मॉडल के सहारे नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल बताया जा रहा था उसकी उत्तर प्रदेश में ऐसी दुर्दशा हुई कि पार्टी की इज्जत तार-तार हो गयी. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जेडीयू बीजेपी से 51 सीट मांग रही थी. लेकिन जब बीजेपी ने नोटिस नहीं लिया तो अकेले चुनाव लड़ने के लिए 51 उम्मीदवार नहीं तलाश पायी. दिलचस्प बात ये है कि पार्टी ने जिन उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की घोषणा की थी उसमें से कई नामांकन करने से पहले भी भाग खड़े हुए. जो चुनाव मैदान में उतरे उनमें से 80 फीसदी उम्मीदवारों को हजार वोट भी नहीं मिले. 


नीतीश मॉडल का ये हश्र

हम आपको उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले जेडीयू के दावों की याद दिला दें. चुनाव से पहले जेडीयू ने बीजेपी से यूपी में सीट छोड़ने की मांग की. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी की दावेदारी उत्तर प्रदेश की 51 सीटों पर है और जेडीयू कोटे से केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह से पार्टी ने कहा है कि वे बीजेपी तक ये मांग पहुंचा दें. उधर बीजेपी ने जेडीयू की किसी बात को कोई नोटिस नहीं लिया. इसके बाद जेडीयू ने एलान कर दिया कि वह नीतीश मॉडल का उदाहरण पेश कर उत्तर प्रदेश में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी. लेकिन नीतीश मॉडल का जो हश्र हुआ हम उसे बता रहे हैं.


चुनाव से पहले भाग खड़े हुए उम्मीदवार

उत्तर प्रदेश चुनाव में जेडीयू ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी की थी. हमारे पास जेडीयू द्वारा घोषित उम्मीदवारों की सूची उपलब्ध है. अब जेडीयू और नीतीश मॉडल का हाल देखिये. कई सीटें ऐसी रहीं जहां जेडीयू ने अपने उम्मीदवार के नाम का एलान कर दिया लेकिन पार्टी के प्रत्याशी ने नामांकन ही नहीं किया. यानि चुनाव से पहले ही जेडीयू का उम्मीदवार भाग खड़ा हुआ. जेडीयू ने गोसाईगंज, बांगरमऊ, प्रतापपुर, ओरैया, भिंगा, भोगिनीपुर जैसे विधानसभा क्षेत्रों के लिए अपने जिन उम्मीदवारों के नाम का एलान किया था उन्होंने नामांकन ही नहीं किया. राबर्ट्सगंज में जेडीयू के उम्मीदवार ने नामांकन करने के बाद उसे वापस ले लिया. 


जो मैदान में रहे उनका हाल देखिये

ये तो चुनाव मैदान में उतरने से पहले ही भागने वालों की कहानी थी. अब हम आपको सीधे आंकड़ों के सहारे ये बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में जेडीयू ने जो उम्मीदवार उतारे उनका हाल क्या रहा. जानिये किन विधानसभा क्षेत्रों में जेडीयू के कितना वोट मिला. 

  • लखनऊ कैंट विधानसभा क्षेत्र-118 वोट
  • फर्ररूखाबाद विधानसभा क्षेत्र-168 वोट
  • जलालपुर विधानसभा क्षेत्र-246 वोट
  • रामपुर खास विधानसभा क्षेत्र-301 वोट
  • बिसवान विधानसभा क्षेत्र-302 वोट
  • जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र-346 वोट
  • कुशीनगर विधानसभा क्षेत्र-354 वोट
  • भाटपरानी विधानसभा क्षेत्र-488 वोट
  • घोड़ावाल विधानसभा क्षेत्र-559 वोट
  • मरियाहू विधानसभा क्षेत्र-780 वोट
  • चुनार विधानसभा क्षेत्र-808 वोट
  • महरौनी विधानसभा क्षेत्र-997 वोट
  • रानीगंज विधानसभा क्षेत्र-526 वोट
  • बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र-522 वोट
  • सलोन विधानसभा क्षेत्र-528 वोट
  • तमकुही राज विधानसभा क्षेत्र-597 वोट
  • पथरदेवा विधानसभा क्षेत्र-690 वोट
  • डुमरियागंज विधानसभा क्षेत्र-542 वोट
  • फेफना विधानसभा क्षेत्र-621 वोट
  • भदोही विधानसभा क्षेत्र-799 वोट
  • मंझवा विधानसभा क्षेत्र-876 वोट


सिर्फ पांच उम्मीदवार को एक हजार वोट मिले

जेडीयू का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हाल ये रहा कि पार्टी के सिर्फ पांच उम्मीदवारों को एक हजार वोट मिले. बाकी सभी उम्मीदवार एक हजार से नीचे दम तोड़ गये. जेडीयू की सबसे अच्छी स्थिति सिर्फ एक सीट मल्हानी में रही. दरअसल जेडीयू ने वहां से इनामी मुजरिम रहे कुख्यात धनंजय सिंह को उम्मीदवार बनाया था. बाहुबल के सहारे दो बार सांसद के साथ साथ विधायक रह चुके धनंजय सिंह वैसे तो उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के करीबी माने जाते हैं लेकिन उनकी छवि के कारण बीजेपी और योगी दोनों ने धनंजय सिंह से पल्ला झाड़ लिया था. ऐसे में धनंजय सिंह ने जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ा. वे हारे लेकिन दूसरे स्थान पर रहे. 




सारी ताकत झोंकने के बाद ये हाल

दिलचस्प बात ये है कि 100-200 वोटों तक में सिमटने वाली जेडीयू ने उत्तर प्रदेश चुनाव में सब किस्म की ताकत झोंकी थी. बिहार से जेडीयू के मंत्री, विधायक औऱ सांसद प्रचार में जा रहे थे. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह प्रचार कर रहे थे. केसी त्यागी मैनेजमेंट देख रहे थे. मजबूत माने जाने वाले उम्मीदवारों को सारी मदद दी जा रही थी. उत्तर प्रदेश जाने वाला जेडीयू का हर नेता ये दावा कर रहा था कि यूपी में नीतीश मॉडल ही काम कर सकता है.


वैसे अंदर की बात ये भी है कि जेडीयू जाति के समीकरण पर भी बहुत यकीन कर रहा था. पार्टी ने एक खास जाति के सबसे ज्यादा उम्मीदवार उतारे थे. उस जाति के प्रभाव वाले क्षेत्रों में ही ज्यादातर उम्मीदवार उतारे गये थे. लेकिन जनता ने सिरे से खारिज  कर दिया.