तेजप्रताप यादव ने मांगा आधा हिस्सा, 'तेजस्वी' पर तलवार उठाने से किया इनकार

तेजप्रताप यादव ने मांगा आधा हिस्सा, 'तेजस्वी' पर तलवार उठाने से किया इनकार

PATNA : लालू परिवार में पावर को लेकर छिड़े घमासान के बीच लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से एक पोस्ट शेयर किया है. इस पोस्ट के कई मायने निकाले जा रहे हैं. लोग अपने-अपने तरीके से इसकी व्याख्या और विवेचना कर रहे हैं. दरअसल तेज प्रताप यादव ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' द्वारा लिखे गए महाकाव्य 'रश्मिरथी' तीसरे सर्ग के हिस्से को शेयर किया है, जिसे किताबों में 'कृष्ण की चेतावनी' के रूप में प्रस्तुत किया गया है.


तेजप्रताप यादव ने लिखा है कि "मैत्री की राह बताने को, सबको सुमार्ग पर लाने को, दुर्योधन को समझाने को, भीषण विध्वंस बचाने को, भगवान् हस्तिनापुर आये, पांडव का संदेशा लाये।" यानी कि खुद को हमेशा से कृष्ण बताने वाले तेज प्रताप यादव यहां यह कहना चाहते हैं कि वे मित्रता का प्रस्ताव रखना चाहते हैं. हालांकि उन्होंने यहां ये स्पष्ट नहीं किया कि वे दरअसल दुर्योधन किसे बता रहे हैं. लेकिन न्यायप्रियता का परिचय देने की बात कर रहे हैं ताकि इस प्रकार युद्ध के विनाश से बचा जा सकेगा. आरजेडी पार्टी और लालू परिवार में जो घमासान छिड़ा है, उसे विराम दिया जाये.


आगे इन्होंने लिखा है कि "‘दो न्याय अगर तो आधा दो, पर, इसमें भी यदि बाधा हो, तो दे दो केवल पाँच ग्राम, रक्खो अपनी धरती तमाम। हम वहीं खुशी से खायेंगे, परिजन पर असि न उठायेंगे!" अब यहां सवाल ये है कि क्या तेज प्रताप राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' की पक्तियों के माध्यम से अपने मनोविकार को रख रहे हैं. क्या वे अपनी महत्वाकांक्षाओं और अनुभूति की भावना को सामने रख रहे हैं. क्या तेजप्रताप यादव न्याय के नाम पर तेजस्वी यादव से आधा राज्य मांग रहे हैं. क्या वे पार्टी में आधा हिस्सा चाहते हैं. क्योंकि कड़े शब्दों में लिखी गई इन पंक्तियों का भावार्थ ही यही है. दिनकर के मुताबिक श्रीकृष्ण आधा राज्य या फिर कम से कम पांच गांव ही देने की बात कह रहे हैं. वे अपना हक पाने के लिए अपने परिवार के लोगों पर यानी कि कौरवों पर तलवार नहीं उठाएंगे. वह उनसे युद्ध नहीं करेंगे.



अब यहां एक और सवाल पैदा होता है कि क्या तेजप्रताप की नजर में तेजस्वी यादव अब वो नहीं रहें, जो अब तक हुआ करते थे. क्या तेजस्वी अर्जुन से 'कौरव या दुर्योधन' बन गए हैं. या फिर तेज प्रताप यादव अभी भी 'कौरव या दुर्योधन' की संज्ञा किसी और को दे रहे हैं. लोगों के मन में कई सारे सवाल हैं. किंतु तेजप्रताप ने जो आगे लिखा है, उससे यह भी साफ़ जाहिर है कि वे ठंडा होने के मूड में नहीं है. क्योंकि उन्होंने इस महाकाव्य 'कृष्ण की चेतावनी' की एक और खंड को भी लिखा है.


अपने आधिकारिक फेसबुक अकाउंट से किये गए पोस्ट में आखिरी में तेज प्रताप ने लिखा है कि "दुर्योधन वह भी दे ना सका, आशीष समाज की ले न सका, उलटे, हरि को बाँधने चला, जो था असाध्य, साधने चला। जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है। हरि ने भीषण हुंकार किया, अपना स्वरूप-विस्तार किया, डगमग-डगमग दिग्गज डोले, भगवान् कुपित होकर बोले-‘जंजीर बढ़ा कर साध मुझे, हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।"


तेज प्रताप के इस पोस्ट कई मायने निकाले जा रहे हैं. इस इन आखिरी पंक्तियों से ये भी साफ़ जाहिर हो रहा है कि तेजप्रताप झुकने को तैयार नहीं हैं. उनकी नाराजगी और उनका क्रोध आगे भी अनवरत इसी तरह से जारी रहेगा. क्योंकि शायद तेज प्रताप इस बार आर या पार के मूड में है. तेज प्रताप यादव अब पार्टी  या परिवार में बंधकर रहना अस्वीकार कर रहे हैं. 



तेज प्रताप बता रहे हैं कि उनके हुंकार के सामने कई दिग्गज डगमगाकर डोल रहे हैं. तेज प्रताप तो ये भी चुनौती दे रहे हैं कि जो भी उनके विरोधी हैं, हो सके तो वे आगे बढ़कर उन्हें जंजीर से बांधकर दिखाएँ. लेकिन वे यह देख लें कि क्या वे ऐसा कर पाएंगे. क्या तेज प्रताप के विरोधियों के लिए यह संभव है.


जाहिर सी बात है. तेज प्रताप यादव के इस पोस्ट के बाद भारी बवाल मचने वाला है. जिस तरह से लालू के बड़े बेटे ने पार्टी और परिवार के अंतर्कलह को महाभारत बताने की कोशिश की है. उसके बाद तेजस्वी या उनके पिता की ओर से क्या कुछ बयान आता है, ये देखना भी क्या दिलचस्प होगा. क्या सचमुच तेजप्रताप के लिए अब तेजस्वी 'अर्जुन' नहीं रहे या फिर कोई और बात है. आखिरकार वे किससे आधा राज्य मांग रहे हैं.