शिक्षा विभाग की बैठक में नहीं पहुंचे VC तो पाठक ने जारी किया निर्देश : तीन यूनिवर्सिटी के बैंक खातों पर लगाई रोक ; मांगा जवाब

शिक्षा विभाग की बैठक में नहीं पहुंचे VC तो पाठक ने जारी किया निर्देश : तीन यूनिवर्सिटी के बैंक खातों पर लगाई रोक ; मांगा जवाब

PATNA : राज्य के तीन विश्वविद्यालयों के बैंक खातों के संचालन पर शिक्षा विभाग ने फिर रोक लगा दी है। इनमें मुंगेर, पूर्णिया और मजहरुल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय शामिल हैं। यह कार्रवाई विभाग में बुलायी गयी बैठक में कुलपतियों के नहीं आने पर की गयी है। साथ ही, तीनों विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से स्पष्टीकरण भी मांगा गया है कि क्यों न आपको पद से हटाने की कार्रवाई प्रारंभ की जाये।


शिक्षा विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव ने इस संबंध में तीनों कुलपतियों को पत्र लिखा है। पत्र में विभाग ने कहा है कि विश्वविद्यालयों के वर्ष 2024-25 के बजट की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई गयी थी। इस बैठक में कुलपतियों को अन्य संबंधित पदाधिकारियों यथा वित्त परामर्शी, कुल सचिव और वित्त पदाधिकारी समेत बजट बनाने वाले अन्य कर्मियों को साथ लाने को कहा गया था। परंतु विगत 15-16 मई की बैठक में आप नहीं आये। इस कारण विभाग और आपके विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों का समय व्यर्थ हुआ है। कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा भी नहीं हो सकी, क्योंकि आप अनुपस्थित थे। 


इस पत्र में आगे कहा गया है कि आप जानते होंगे कि बजट संबंधी मामला अति गंभीर होता है। इसमें कुलपति का स्वयं रहना अत्यंत आवश्यक है। आपका बैठक में नहीं आना यह दर्शाता है कि विश्वविद्यालय के अति महत्वपूर्ण कार्यों के प्रति आप उदासीन हैं। मालूम हो कि पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर तीन मई को पूर्व से विश्वविद्यालयों के बैंक खातों के संचालन पर लगी रोक को हटा लिया गया था। इसके बाद विभाग ने बजट की समीक्षा के लिए सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति समेत अन्य पदाधिकारियों को बैठक में बुलाया था। गुरुवार को मुंगेर विवि के कुलपति के नहीं आने के कारण विभाग में बैठक भी नहीं हो सकी।


बताते चलें कि शिक्षा विभाग की ओर से बुलायी गयी बैठक में कुलपतियों के नहीं आने पर यह कार्रवाई की गयी है। साथ ही तीनों विश्वविद्यालय के कुलपतियों से स्पष्टीकरण भी मांगा गया है कि क्यों न आपको पद से हटाने की कार्रवाई प्रारंभ की जाये? ऐसे में अब यह कहा जा रहा है कि हाईकोर्ट के निर्देश के बाद शिक्षा विभाग और विश्विवद्यालयों के बीच टकराव की स्थिति खत्म होती दिख रही थी। लेकिन अब यह पूरा मामला कोर्ट की अवहेलना का बनता जा रहा है।