आरसीपी आउट तो उपेंद्र इन: नीतीश ने उपेंद्र कुशवाहा को जेडीयू का नया पावर सेंटर बनाया, आवास पर सजने लगा दरबार

आरसीपी आउट तो उपेंद्र इन: नीतीश ने उपेंद्र कुशवाहा को जेडीयू का नया पावर सेंटर बनाया, आवास पर सजने लगा दरबार

PATNA : 7 महीने पहले जेडीयू में आये उपेंद्र कुशवाहा अब पार्टी के नये पावर सेंटर बना दिये गये हैं. केंद्र सरकार में मंत्री बनने के फेरे में आरसीपी सिंह संगठन में अपना रूतबा गंवा बैठे हैं. आज दिन भर जेडीयू में जो हलचल रही उसने बता दिया कि संगठन में उपेंद्र कुशवाहा कमोबेश उसी रोल में आने वाले हैं जो आरसीपी सिंह निभाया करते थे.


उपेंद्र कुशवाहा का सजने लगा दरबार
सबसे पहले हम आपको आज यानि सोमवार को जेडीयू की हलचल बताते हैं. पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक एक दिन पहले हुई थी. पटना में नीतीश तो थे ही, राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के साथ साथ आरसीपी सिंह भी मौजूद थे. लेकिन पार्टी की सारी गतिविधि उपेंद्र कुशवाहा के आवास पर ही नजर आयी. सुबह से लेकर देर शाम तक उपेंद्र कुशवाहा के घर जेडीयू के तमाम छोटे-बडे नेता ऐसे पहुंचते रहे मानो अब सब कुछ वहीं से तय होना है.


जेडीयू संगठन में नंबर टू की हैसियत पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव केसी त्यागी की है. सोमवार की सुबह होते ही के सी त्यागी उपेंद्र कुशवाहा के घर पहुंच गये. बंद कमरे में गुफ्तगूं की और फिर निकल कर कहा कि नीतीश कुमार को पूरे देश में पॉपुलर करने के लिए उपेंद्र कुशवाहा के पास आये हैं. उनके साथ बैठक में ये प्लानिंग की गयी कि नीतीश मॉडल को कैसे देश के दूसरे राज्यों के लोगों तक पहुंचाना है.


त्यागी निकले ही थे कि उत्तर प्रदेश जेडीयू के अध्यक्ष अनूप सिंह अपनी पूरी टीम के साथ उपेंद्र कुशवाहा के दरबार में पहुंच गये. मुलाकात के बाद जब उत्तर प्रदेश जेडीयू के अध्यक्ष बाहर निकले तो कहा कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में 200 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. अब तक जेडीयू के नेता कह रहे थे कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी से तालमेल की बात की जायेगी. लेकिन वहां के पार्टी अध्यक्ष ने एलान कर दिया कि नीतीश मॉडल को सामने रख कर जेडीयू अकेले चुनाव लड़ेगी. मैसेज यही गया कि उपेंद्र कुशवाहा से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद ही यूपी के जेडीयू अध्यक्ष ने अकेले चुनाव लडने का एलान किया.


उपेंद्र कुशवाहा के घर पूरे दिन जेडीयू के नेताओं का तांता लगा रहा. मंत्री लेसी सिंह बड़ा गुलदस्ता लेकर उपेंद्र कुशवाहा के घर पहुंची. जेडीयू के विधान पार्षद संजय सिंह भी बुके लेकर पहुंचे. कुछ दिनों पहले जेडीयू में शामिल हुए श्रीभगवान सिंह कुशवाहा भी उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात करने पहुंचे. पार्टी नेताओं के आने का तांता तभी थमा जब खुद उपेंद्र कुशवाहा पटना से अपने गृह जिले वैशाली के लिए निकल गये. ये बेहद दिलचस्प बात थी कि जेडीयू का जो भी नेता उपेंद्र कुशवाहा के घर मिलने पहुंच रहा था उसके हाथों में एक बड़ा गुलदस्ता जरूर था.


क्यों पावर सेंटर बन गये कुशवाहा
उपेंद्र कुशवाहा के घर आज जो नजारा दिखा उसके मतलब था. जेडीयू में नये पावर सेंटर का उदय हो चुका है. एक-दो महीने पहले तक ऐसा ही नजारा आरसीपी सिंह के घर पर दिखा करता था. लेकिन आरसीपी सिंह के घर आज पसरा सन्नाटा बता गया कि भले ही वे मंत्री बन गये हों, पार्टी में अपना रूतबा खो चुके हैं. आरसीपी सिंह भले ही खुद कह रहे हों कि वे मंत्री रहने के साथ साथ पार्टी भी चलायेंगे लेकिन पार्टी से उनकी पकड लगभग समाप्त हो गयी है. 


नीतीश ने सौंपी कुशवाहा को कमान
दरअसल रविवार को जब जेडीयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक हुई थी तो उसमें एक मैसेज तो क्लीयर दे दिया गया था. आरसीपी सिंह और नीतीश कुमार के बीच अब वह संबंध नहीं रहा जो 23 साल तक हुआ करता था. जेडीयू की ये पहली बैठक होगी जब पूरी मीटिंग के दौरान नीतीश कुमार ने अपने ठीक बगल में बैठे आरसीपी सिंह से कोई बात तक नहीं की. इससे पहले जेडीयू की बैठकों में नीतीश और आरसीपी सिंह के बीच गुफ्तगूं चलती रहती थी. वहीं, जेडीयू राष्ट्रीय परिषद की बैठक में ही उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल बताने वाला प्रस्ताव ले आये. बैठक में इस प्रस्ताव को पास भी कर दिया गया. इसका मैसेज ये गया कि उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार की मर्जी से ही ऐसा प्रस्ताव लेकर आये थे. 


जेडीयू के एक बड़े नेता के मुताबिक उपेंद्र कुशवाहा को उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पार्टी की सारी रणनीति तैयार करने की कमान सौंप दी गयी है. नीतीश कुमार की ओर से ये मैसेज भी पार्टी के उन नेताओं को दे दिया गया है जिन्हें उत्तर प्रदेश चुनाव से लेना देना है. केसी त्यागी औऱ उत्तर प्रदेश जेडीयू के नेता नीतीश कुमार का मैसेज मिलने के बाद ही उपेंद्र कुशवाहा के घर पहुंचे थे. 


वहीं उपेंद्र कुशवाहा पूरे बिहार की यात्रा भी कर रहे हैं. सीधे सीएम आवास से जिलों के जेडीयू नेताओं को खबर दी जा रही है कि उपेंद्र कुशवाहा के स्वागत से लेकर तमाम बंदोबस्त ठीक से करना है. हालांकि आरसीपी सिंह कैंप के नेता कुछ कंफ्यूज थे. लेकिन राष्ट्रीय परिषद की बैठक में उनका कंफ्यूजन दूर हो गया. अब पार्टी नेताओं को ये लग रहा है कि बिहार में संगठन का काम भी देर सवेर उपेंद्र कुशवाहा के जिम्मे ही आने वाला है.


ललन सिंह की भी सहमति
बेहद दिलचस्प बात ये भी है कि पिछले दो महीने में जेडीयू के राष्ट्रीय ललन सिंह कम से कम दो दफे उपेंद्र कुशवाहा के आवास पर गये हैं. ललन सिंह को जानने वाले जानते हैं कि उनका स्वभाव कैसा है. नीतीश नहीं बुलायें तो वे सीएम आवास भी नहीं जाते. लेकिन उपेंद्र कुशवाहा के प्रति ललन सिंह का सदभाव कुछ अलग ही कहानी कह रहा है. दरअसल ललन सिंह का पार्टी औऱ सरकार में दूसरे किस्म की भूमिका रही है. वे संगठन के मामलों के एक्सपर्ट नहीं माने जाते. वहीं केंद्र में मंत्री बनने के समय आरसीपी सिंह ने जो खेल किया उसने आरसीपी-ललन की दशकों पुरानी दोस्ती को तोड दिया. जेडीयू के एक नेता ने बताया कि 2009-10 में जब ललन सिंह नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोलकर बैठ गये थे उस दौरान भी वे आरसीपी सिंह पर अटैक नहीं करते थे. 


आरसीपी सिंह से उस दौरान भी उनकी दोस्ती कायम थी. लेकिन मंत्री बनने की होड़ में आरसीपी सिंह जो कर गये उससे ललन सिंह का दिल टूटा है. लिहाजा अब वे भी चाहते हैं कि दशकों से संगठन में जो रोल आरसीपी सिंह निभाते आये हैं उसे उपेंद्र कुशवाहा के जिम्मे कर दिया जाये. जानकार बताते हैं कि ललन सिंह की सहमति से ही नीतीश कुमार ने उत्तर प्रदेश में जेडीयू की चुनावी कमान उपेंद्र कुशवाहा के हाथों में सौंपी है.


कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि जेडीयू में नये पावर सेंटर का उदय हो चुका है. अब देखने की बात ये है कि आरसीपी सिंह क्या करेंगे. आरसीपी सिंह की राज्यसभा की सदस्यता अगले साल समाप्त हो रही है. क्या नीतीश उन्हें लगातार तीसरी दफे राज्यसभा भेजेंगे. आरसीपी सिंह की पूरी कवायद ये रही है कि वे नीतीश के उत्तराधिकारी के तौर पर स्थापित हो जायें लेकिन अब जो घटनाक्रम हो रहा है उससे उनके सपने बिखरते नजर आ रहे हैं. अपने सपने को पूरा करने के लिए आरसीपी कौन सी चाल चलेंगे ये देखने की चीज होगी.